scorecardresearch
Sunday, 1 December, 2024
होममत-विमत'आजादी का अमृत महोत्सव'- भूख, गरीबी, भ्रष्टाचार से कितना आजाद हुए हम

‘आजादी का अमृत महोत्सव’- भूख, गरीबी, भ्रष्टाचार से कितना आजाद हुए हम

भारत में यह माना जाता रहा कि ऊपर के लोगों का विकास होगा तो रिसकर नीचे तक पहुंचता है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. आज असमान विकास के नाम पर भारत के सामने जस की तस चुनौती बनी हुई है.

Text Size:

मोदी सरकार 75 साल की आजादी को अमृत महोत्सव के रूप में मना रही. लेकिन आजादी के अमृत से अब भी कितने लोग वंचित हैं, कितने लोग गरीबी, भूख, कुपोषण से जूझ रहे हैं .

देश सभी सरकारों ने गरीब हितैषी बनने की कोशिश की है. इंदिरा गांधी ने तो गरीबी मिटाओ का नारा दिया था. लेकिन सरकारों की शुरू से नीतियां देखें तो गरीबी के खिलाफ कोई कमाल करने वाली नहीं रही हैं. एक अमीर भारत, एक मध्यवर्ग और गरीब भारत बनता रहा है. 1991 से उदारीकरण से भी यही उम्मीद की जाती रही कि विकास रिस कर नीचे तक पहुंचेगा. वहीं पड़ोसी चीन को देखें तो उसकी नीति हमेशा ज्यादा समावेशी रही है और वहां भारत जैसी विकास की खाईं नहीं बनीं.

भारत में यह माना जाता रहा कि ऊपर के लोगों का विकास होगा तो यह रिसकर नीचे तक पहुंचेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. आज असमान विकास के नाम पर भारत के सामने जस की तस चुनौती बनी हुई है.

 आज भी 19 करोड़ लोग देश में खाली पेट सो रहे हैं

2017 में नेशनल हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश में लगभग 19 करोड़ लोग हर रात खाली पेट सो जाते हैं. वहीं देश में भूख और कुपोषण के कारण पांच साल से कम उम्र के 4500 बच्चों की हर दिन मौत हो जाती है.

भुखमरी के आंकड़े बताते हैं कि भारत में अकेले भूख से हर साल 3 लाख बच्चों की मौत होती है. (लिंक) अगर हंगर इंडेक्स पर हम नजर डालें तो हमारे हालात साल दर साल बिगड़ रहे हैं.

2021 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर एक नजर डालें तो भारत 116 देशों में से फिसलकर 101वें स्थान पर आ पहुंचा है. 2020 में भारत जहां 107 देशों में 94वें स्थान पर था, वहीं 2021 में 116 देशों में यह 101वें स्थान पर आ गया है.

भारत का जीएचआई स्कोर भी नीचे चला गया है. यह साल 2000 में 38.8 था और 2012 से 2021 के बीच यह 28.8- 27.5 के बीच रहा है.

जीएचआई चार मानकों पर तय होती है- अल्पपोषण, कुपोषण, बच्चों की वृद्धि दर और बाल मृत्यु दर से.

रिपोर्ट बताती है कि भारत का हाल पड़ोसियों से भी बुरा है. नेपाल 76वें, बांग्लादेश 76वेंं, म्यांमार, 71वें और पाकिस्तान 92वें स्थान पर है. फिलहाल ये देश भी भुखमरी के लिहाज से चिंताजनक स्थिति में हैं लेकिन ये अपने नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराने में भारत से बेहतर स्थिति में है.

वहीं 18 देश टॉप लिस्ट में हैं. चीन, कुवैत, ब्राजील समेत 18 देश टॉप रैंक में हैं. इन देशों का जीएचआई (GHI) स्कोर पांच से भी कम है. इंडेक्स के मुताबिक कुल 15 देश भारत से पीछे हैं. जिनमें पापुआ न्यू गिनी (102), अफगानिस्तान (103), नाइजीरिया (103), कांगो (105), मोजाम्बिक (106), तिमोर लेस्ते (108), हैती (109), लाइबेरिया (110), मेडागास्कर (111), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (112), चाड (113), मध्य अफ्रीकी गणराज्य (114), यमन (114) और सोमालिया (115) स्थान पर है.

देश में गरीबी के हालात

23 जुलाई 2022 को सरकार ने लोकसभा में गरीबी के आंकड़े बताए हैं. आंकड़ों के मुताबिक देश में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. गांव में 26 रुपये हर दिन खर्च करने वाल व्यक्ति और शहर में 32 रुपये खर्च वाला शख्स गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है.

यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में 10 में से हर तीसरा आदमी गरीब है.

देश के सभी राज्यों में छत्तीसगढ़ सबसे गरीब है. जहां की 40 फीसदी आबादी गरीब है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इन आंकड़ों को बताते हुए कहा कि देश की 22 फीसदी आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है. जबकि आजादी के वक्त देश की आबादी 80 फीसदी गरीब है. प्रतिशत के इतर आंकड़ों की बात करें तो आजादी के वक्त देश में 25 करोड़ लोग गरीब थे और आज ये आंकड़ा 26.9 करोड़ है.

छत्तीसगढ़ में 40 फीसदी आबादी गरीब है यानि कि राज्य का 10 में से हर चौथा आदमी गरीब है. जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में 30 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है.

सरकार इन्हें गरीब नहीं मानती

सरकार के मुताबिक गांव में अगर कोई नागरिक हर महीने 816 रुपये खर्च कर रहा है और शहर में 1000 रुपये खर्च कर रहा है तो वह गरीब नहीं माना जाएगा. इससे कम खर्च करने वाले को ही गरीबी रेखा से नीचे माना जाएगा. लोकसभा में सरकार के दिए आंकड़े के मुताबिक देश में 21.9 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे है. मतलब कि देश में हर 100 में से 22 लोग गरीब हैं. यह आंकड़े 2011-12 के हैं. उसके बाद से गीरीबी रेखा के नीचे जीने वालों का हिसाब नहीं लगाया गया है.

भारत में भ्रष्टाचार के हालात

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने दुनिया के देशों में भ्रष्टाचार की रैंकिंग की है. भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (सीपीआई) 2021 में भारत को 180 देशों में 85वां स्थान हासिल हुआ है. इसके मुताबिक भारत की रैंकिंग एक अंक सुधरी है. लेकिन रिपोर्ट ने भारत में लोकतंत्र को लेकर सवाल खड़ा किए हैं.

गौरतलब है एक रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स के हैवेन कहे जाने वाले स्विस बैंक में भारत का पैसा 50 फीसदी बढ़ा है, जो कि 14 साल में उच्चतर स्तर पर पहुंच चुका है. यह 3.83 स्विस फ्रैंक (30,500 करोड़ रुपये हो गया है). यह आंकड़े 16 जून 2022 के हैं.

वहीं 2020 के अंत में यह आंकड़ा 27,700 था.

एक्सपर्ट के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कथित स्तरों को लेकर 180 देशों की रैंकिंग तैयार की जाती है. यह रैंकिंग 0 से 100 अंक के मानदंड पर बनती है. शून्य अंक पाने वाला देश सबसे भ्रष्ट माना जाता है. 100 अंक पाने वाला देश सबसे साफ-सुथरी व्यवस्था वाला माना जाता है.

भारत इस सूची में 40 अंक पाया है और उसे 85वां स्थान हासिल हुआ है. चीन को 45 अंक, इंडोनेशिया को 38 अंक, पाकिस्तान को 28 अंक और बांग्लादेश को 26 अंक हासिल हुआ है. पाकिस्तान को इस सूची में 140वें नंबर पर हैं. वहीं टॉप रैंक पाने वाले देशों में डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नार्वे हैं.

व्यक्त विचार निजी है


यह भी पढ़ें: बहन की रक्षा सिर्फ तन की क्यों? इच्छाओं और अधिकारों की क्यों नहीं


 

share & View comments