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Tuesday, 23 April, 2024
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अरेंज मैरिज बनी पुरानी तालीम,पाकिस्तान में अब ‘सीपीईसी विवाह’

बहुत अधिक इतराने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की वजह से पाकिस्तान में एक नई सांस्कृतिक लहर दौड़ रही है

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एक जटिल पाकिस्तानी समाज में, कुछ साल पहले अरेन्ज मैरिज ने इंटरनेट विवाह को रास्ता दिया। अब, हमारे पास एक नयी घटना है जो सुर्ख़ियोंको जन्म दे रही है। ऐसा तब होता है जब चीनी और पाकिस्तानी एक-दूसरे से शादी करते हैं। हमारे समाचार की सुर्खियों में इसे ‘सीपीईसी विवाह’ कहा जाता है।

जब इस तरह की पहली शादी की सूचना मिली, तो इसे दो बिल्कुल अलग-अलग संस्कृतियों के बीच एक नए बंधन की शुरुआत के रूप में लिया गया। डेढ़ से दो दर्जन टीवी कैमरों ने शादी और इसके उत्सव के क्षणों को अपने कैमरों में कैद कर लिया, जो बार-बार प्रसारित किए गए। सोशल मीडिया ने भी उत्साह और व्यंग्य के साथ चुटकीली।

पाकिस्तान में एक नई सांस्कृतिक लहर दौड़ रही है।आप बड़े शहरों, छोटे शहरों और यहाँ तक कि दूरदराज के इलाकों की भी यात्रा करें तो इन दिनों आप अमेरिकी या अफगानी नहीं बल्कि एक नया चेहरा देखेंगे वो है चीनी। यह परिवर्तन चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के मद्देनजर आधे दशक से भी कम समय में आया है।

सीपीईसी का आर्थिक और रणनीतिक वादा असाधारण या बहुत ही खर्चीला है – यह सिर्फ एक “गेम चेंजर” नहीं है बल्कि एक “फेट चेंजर” भी है, ऐसाकुछ लोग कहते हैं।लेकिन बहस पर भू-राजनीतिक अंतर्दृष्टि का काफी हद तक प्रभुत्व है।
एक दशक पहले, पाकिस्तानी सुपर स्टोरों की अलमारियों में नूडल्स, पिकल्ड केल्प और सॉस के लिए बहुत कम स्थान था।आज पाकिस्तान में छोटी सी सड़क की दुकानों में भी चीनी मसालों ने काफी जगह घेर रखी है। जो रेस्तरांचीनी व्यंजनों को नहीं परोसते उन रेस्तरांओं को पुराना और घटिया माना जाता है।सदाबहार पाकिस्तानी समाज में चीनी संस्कृति घुसती चली जा रही है|

पाकिस्तान मेंअब मंडरिन भाषा ने अवसर दिलाने वाली भाषा के रूप में अंग्रेजी भाषा की जगह ले ली है।चीनी भाषा का आकर्षण मजबूत होता जा रहा है और विश्वविद्यालयों में कन्फ्यूशियस संस्थान, चीनी इतिहास और संस्कृति से संबंधित पाठ्यक्रम प्रदान करा रहा है।ये संस्थान अच्छी संख्या में पूरे देश के छात्रों को भी आकर्षित कर रहे हैं।नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ मॉडर्न लैंग्वेज ‘(एनयूएमएल) में कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट ने अकेले 2017 में 450 छात्रों को नामांकित किया। ठीक इसी तरह, पेशावर विश्वविद्यालय को भी चीनी भाषा और सांस्कृतिक पाठ्यक्रमों की पेशकश करने के उद्देश्य से इस वर्ष एक कन्फ्यूशियस संस्थान प्राप्त होगा।इन कन्फ्यूशियस संस्थानों की गतिविधियां केवल भाषा सीखने तक ही सीमित नहीं हैं।वे कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी आयोजित करते हैं, जैसे कि चीनी लालटेन उत्सव और मंकी ईयर आदि। एनयूएमएल के संस्थान ने इस्लामाबाद (एफएम 104.6) और लाहौर (एफएम 95) से प्रसारित दो चीनी-भाषी एफएम रेडियो स्टेशनों की भी शुरूआत की है।

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चीन-पाक आर्थिक संबंधों को फिर से संगठित और जीवंत करने के लिए,पाकिस्तान के राष्ट्रीय टीवी चैनल पीटीवी ने उर्दू और चीनी दोनों भाषाओं में एक छोटा सा द्विभाषी गान प्रसारित किया और यह गान तब तब प्रसारित किया जाता था, जब जब गणमान्य व्यक्ति एक-दूसरे के देश का दौरा करते थे। इस चैनल के राष्ट्रीय प्रसारक अब आधिकारिक दौरे के होने का इंतजार नहीं करते और अब यह गान दैनिक रुप से प्रसारित किया जाता है।

जब निजी टीवी चैनल इतने दिनों से उर्दू-डब्ड तुर्की नाटकों को प्रसारित करने से ग्रस्त है, तब पीटीवी चीनी डबिंग विकल्प के साथ प्रसारण कर रहा था। सबसे लोकप्रिय आधुनिक चीनी नाटक श्रृंखलाओं में से एक‘बीजिंग युथ’,पीटीवी के शाम के प्राइम-टाइम स्लॉट में प्रसारित किया जाता है। सीपीईसी परियोजनाओं के लाभों का प्रदर्शन करने वाली एक छोटी डाक्यूमेंट्री फिल्म भी पूरे पीटीवी नेटवर्क(समाचार, मनोरंजन और खेल से मिलकर आठ चैनलों) पर प्रतिदिन दिन में कई बार प्रसारित की जाती है।

शान फूड्स टीवी विज्ञापन के अलावा,पिछले साल लॉलीवुड में सड़क यात्रा पर आधारित उर्दू फिल्म जिसका शीर्षक“चले थे साथ”भी आयी थी जिसमें सीमा पार की एक प्रेम कहानी को दर्शाया गया। हालांकि इसने बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया , लेकिन यह भविष्य में चीन और पाकिस्तान को फिल्म प्रोडक्शन के माध्यम से संबद्ध करने में एक अच्छी शुरुआत साबित हुई।

फरवरी में पाकिस्तान राष्ट्रीय कला परिषद (पीएनसीए) में सीपीईसी (चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर)सांस्कृतिक कारवां समारोह के सफल समापन के बाद, योजना, विकास एवं सुधार मंत्रालय ने सीपीईसी शिखर सम्मेलन और विशेष दोस्ती का जश्न मनाने के लिए इस महीने कराची में एक विशेष तीन दिवसीय सांस्कृतिक अतिकाल्पनिक या विलक्षण कृति का आयोजन किया है। इस समारोह में तांग वंश के गाने और नृत्य कार्यक्रम शामिल हैं, जो दर्शकों को फिर से प्राचीन चीन की याद दिलाएंगे।

सामाजिक समारोहों में आम पाकिस्तानियों के बीच सीपीईई पर तर्क करना एक सनक बन गयी है।वास्तव में, इसने पहले पसंद किए जाने वाले गपशप योग्य राजनीतिक विषयों जैसे कि अफगानिस्तान में अमेरिकी, कश्मीर में भारतीय और ट्रम्प इन एक्शन की जगह ले ली है।

सीपीईसी के आलोचक नई लहर का व्याख्यान करने के लिए ‘चीनी नव-उपनिवेशवाद’ जैसे वाक्यांशों का उपयोग करते हैं। लेकिन वे इस तथ्य को नहीं पहचानते हैं कि चीन विदेशी क्षेत्रों को अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल करने का प्रयास करता है या अपनी सीमा क्षेत्र के बाहर भी बस्तियों का निर्माण करता है।

चीनी आर्थिक गतिशीलता ने भी एक नई सांस्कृतिक लहर को उजागर किया है, जिसमें पहले से ही जातीय रूप से कमजोर पाकिस्तानी समाज के लिए गंभीर चुनौतियां हैं। यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 27 भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं, लेकिन चीनी को बढ़ावा देने में पाकिस्तानी सरकार को कोई हानि नहीं दिख रही है।
सांस्कृतिक प्रभावों का अतिप्रवाह “कौआ चला हंस की चाल” (वह दूसरों की प्रशंसा करने वाला देश है जो स्वयं वैसा कभी नहीं बनेगा) कहावत को सच कर सकता है।

लेखक गुजरात विश्वविद्यालय, सियालकोट कैंपस, पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की शिक्षा देता है। लेखक अपने विचारों को @DaimFazi पर ट्वीट करता है।

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