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Friday, 19 April, 2024
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‘तुम्हें रुकना नहीं है’, भारतीय गोलकीपर गुरप्रीत ऐसे याद कर रहे हैं मिल्खा सिंह को

दिग्गज मिल्खा सिंह का का शुक्रवार को चंडीगढ़ में कोविड-19 से संबंधित जटिलताओं के कारण निधन हो गया था. खिलाड़ियों सहित हजारों देशवासियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी .

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नई दिल्ली: ‘तुम्हें रुकना नहीं है’ महान धावक मिल्खा सिंह के ये शब्द अब भी भारतीय फुटबॉल टीम के गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू को प्रेरित करते हैं, जिन्हें ‘फ्लाइंग सिख’ की सलाह ने उनके यूरोपीय कार्यकाल के दौरान चुनौतियों से लड़ने में मदद की.

दिग्गज मिल्खा सिंह का का शुक्रवार को चंडीगढ़ में कोविड-19 से संबंधित जटिलताओं के कारण निधन हो गया था. खिलाड़ियों सहित हजारों देशवासियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी .

गुरप्रीत ने 2015 में चंडीगढ़ में एक समारोह में मिल्खा सिंह से पुरस्कार लेने के दिन को याद करते हुए कहा, ‘‘ उन्होंने (मिल्खा) ने मुझ से कहा था, ‘ कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. अभ्यास के समय मुझे कई बार खून की उल्टी होती थी लेकिन तुम्हें रूकना नहीं है’.

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ की विज्ञप्ति में उन्होंने कहा, ‘ उस समय, मैं एफसी स्टैबेक के साथ नॉर्वे में क्लब फुटबॉल खेल रहा था, जहां हर दिन खुद को साबित करने और शुरुआती टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना होता था. विदेश में रहते हुए यह एक बड़ी चुनौती थी, ऐसे भी दिन थे जब खुद का उत्साह बनाए रखना कठिन था.’

उन्होंने कहा, ‘ हालांकि, मैं खुद ‘फ्लाइंग सिख’ की सलाह को याद करता था. वे एक महान प्रेरक थे और मुझे हर दिन अपना सब कुछ झोकने के लिए प्रेरित करते थे.’

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इस 29 साल के गोलकीपर ने कहा, ‘ उन्होंने मुझसे जो शब्द बोले वो आज भी मेरे पास हैं और प्रेरणा के बहुत बड़े स्रोत बने रहेंगे. जब भी मैं अपने देश के लिए फुटबॉल के मैदान पर संघर्ष करूंगा तब उनके शब्द और आशीर्वाद मेरे पास रहेंगे.’

गुरप्रीत 2014 में नार्वे के एफसी स्टैबेक के प्रतिनिधित्व के साथ यूरोप के शीर्ष डिवीजन में खेलने वाले पहले भारतीय फुटबॉलर बने थे. वह टीम के साथ 2017 तक बने रहे और इस दौरान 2016 में यूरोपा लीग (यूरोपीय फुटबॉल की दूसरी स्तर की क्लब प्रतियोगिता) में खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे.

रोम ओलंपिक (1960) में सेकेंड के सौवें हिस्से से कांस्य पदक से चूकने वाले मिल्खा सिंह को याद करते हुए गुरप्रीत ने कहा, ‘महान लोगों की गाथा और उनकी विरासत हमेशा जिंदा रहती है. मिल्खा सिंह जी और उनकी जीवन की कहानी ने भारत और दुनिया भर में अरबों लोगों को प्रभावित किया है. वह भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘ हम सब उनके बारे में पढ़ते हुए बड़े हुए है और उनके साथ मंच साझा करने को कभी नहीं भूलूंगा. वह लम्हा हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगा.’


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