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Friday, 29 March, 2024
होमदेश‘शराब की दुकानें खोलना और मंदिर बंद रखना ग़लत’- BJP ने साधा ‘हिंदू-विरोधी’ उद्धव सरकार पर निशाना

‘शराब की दुकानें खोलना और मंदिर बंद रखना ग़लत’- BJP ने साधा ‘हिंदू-विरोधी’ उद्धव सरकार पर निशाना

15 अगस्त से महाराष्ट्र में दुकानें, मॉल्स और रेस्ट्रॉन्ट्स खोल दिए गए हैं, लेकिन मंदिरों को फिर से खोलने की कोई तारीख़ निर्धारित नहीं की गई है, जो अप्रैल 2021 से बंद चल रहे हैं.

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मुम्बई: कोविड के चलते महीनों बंद रहने के बाद, इस हफ्ते रेस्त्रां, बार्स और मॉल्स को खोलने के महाराष्ट्र सरकार के क़दम की विपक्षी बीजेपी ने तीखी आलोचना की है. पार्टी इस बात को लेकर नाराज़ है कि मंदिरों को अभी तक खुलने की अनुमति नहीं मिली है, और उसने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को ‘हिंदू-विरोधी’ क़रार दिया है.

पिछले सप्ताह नाशिक में नेताओं ने प्रसिद्ध त्रिम्बकेश्वर मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. मुम्बई में बीजेपी विधायक राम कदम ने ऐलान किया था कि वो मंगलवार को शहर में सिद्धिविनायक मंदिर का दौरा करेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि मुम्बई पुलिस ने उन्हें रोक लिया.

पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मंदिरों का लगातार बंद रहना इस बात का संकेत हैं कि सरकार को ग़रीबों की चिंता नहीं है, जिनमें से बहुत से या तो मंदिरों में काम करते थे या फिर उस अर्थव्यवस्था पर निर्भर थे जो इन मंदिरों के आसपास पैदा होती थी.

मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में फडणवीस ने कहा, ‘ग़रीबों में भी सबसे ग़रीब, जैसे मालाएं बनाने वाले, प्रसाद बेचने वाले, मंदिर के पुरोहित, सफाईकर्मी, ये सब ग़रीब लोग हैं जो मंदिरों के सहारे रहते हैं. दो साल हो गए हैं, आपने क्या सोचा है उनके बारे में? क्या सरकार ने उन्हें एक कौड़ी भी दी है? शराब की दुकानें खोलने और मंदिरों को बंद रखने की सरकार की नीति ग़लत है’.

कोविड महामारी की दूसरी लहर के चलते कई हफ्ते बंद रहने के बाद, पूरे प्रदेश में 15 अगस्त से दुकानों, मॉल्स और रेस्त्रां को, हर दिन रात 10 बजे तक खोलने की अनुमति मिल गई. उन्हें पहले भी समय की बंदिश के साथ काम करने की अनुमति थी, लेकिन ये महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों में अलग अलग था, जो सकारात्मकता दर और ऑक्सीजन बिस्तरों की उपलब्धता पर निर्भर करता था. लेकिन अप्रैल में दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही, सभी प्रतिष्ठानों को बंद कर दिया गया था.

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महाराष्ट्र की एमवीए सरकार ने, जिसमें शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल हैं, अभी तक धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने की कोई तारीख़ तय नहीं की है, जो इस साल अप्रैल से बंद चल रहे हैं. सरकार ने कोविड की दो लहरों के बीच, नवंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक धार्मिक स्थलों को खोल दिया था.

महाराष्ट्र में अभी तक कोविड के 64.01 लाख मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 61,306 फिलहाल सक्रिय हैं.

ये पहली बार नहीं है कि बीजेपी ने मंदिरों को बंद किए जाने पर, एमवीए सरकार की आलोचना की है. महामारी की पहली लहर के दौरान भी लॉकडाउन के बाद, बीजेपी ने पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किए थे और राज्य सरकार से मांग की थी कि मंदिरों को जनता के लिए खोला जाए.

इस मुद्दे पर राज्यपाल बीएस कोश्यारी और मुख्यमंत्री ठाकरे के बीच पत्रों की जंग छिड़ गई थी, जिसमें राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से मंदिरों को खोलने का आग्रह करते हुए पूछा था कि क्या वो ‘धर्मनिर्पेक्ष’ हो गए हैं.


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‘उद्धव का नया महाराष्ट्र हिंदू धर्म के लिए चुनौती’

बीजेपी विधायक कदम ने मंगलवार को जारी एक वीडियो बयान में, एमवीए सरकार पर ये कहते हुए हमला बोला कि वो ‘हिंदुओं की आवाज़ को दबाती है’.

कदम ने आरोप लगाया कि उन्हें सिद्धि विनायक मंदिर जाने से रोका गया और कहा, ‘अगर आप हिंदू की आवाज़ को दबाने की कोशिश करेंगे, तो महाराष्ट्र और देश की हिंदू आबादी उसे सहन नहीं करेगी. इससे पहले भी हमने पालघर में भीड़ की हिंसा की घटना में देखा है, कि ये सरकार किस तरह हिंदू विरोधी है और भविष्य में उसे इसका ख़मियाज़ा भुगतना पड़ेगा’.

अप्रैल 2020 में महाराष्ट्र के पालघर ज़िले में, भीड़ ने दो साधुओं समेत तीन व्यक्तियों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, क्योंकि अफवाह उड़ गई थी कि वे बच्चों को अग़वा करने वाले थे. बीजेपी ने इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच की मांग की है.

बीजेपी ने एमवीए सरकार को उस समय भी निशाने पर लिया, जब बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुहर्रम के जुलूस की इजाज़त दे दी, हालांकि राज्य सरकार की गाइडलाइन्स में जलूस की मनाही की गई थी.

बीजेपी की मुम्बई इकाई ने बुधवार को अपने आधिकारिक हैण्डल से ट्वीट किया, ‘ठाकरे सरकार की धर्मनिर्पेक्षता देखिए. अषाढ़ी वारी (महाराष्ट्र के सबसे पवित्र धर्मस्थलों में से एक) पर केवल 200 वारकरियों की अनुमति होगी, और मुहर्रम के जलूस में एक हज़ार लोग ताबूत लेकर निकलेंगे’.

बीजेपी सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने जुलाई में पंधरपुर में भी विट्ठस रुकमिणी मंदिर तक जाने वाली पैदल वार्षिक तीर्थयात्रा की अनुमति नहीं दी थी, और वारकरी पंथ के लोगों को सीमित संख्या में बस से यात्रा करने की इजाज़त दी थी.

बुधवार को बीजेपी विधायक और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने, जो शिवसेना के सबसे कट्टर आलोचकों में से हैं, ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र में मंदिर बंद रहेंगे क्योंकि राज्य में एक ऐसी सरकार है, जो हिंदू धर्म के लिए एक ख़तरा है. अगर आप हिंदू हैं तो आपको डरकर रहना चाहिए. ये उद्धव ठाकरे का नया महाराष्ट्र है’.

शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने दिप्रिंट से कहा कि बीजेपी को महामारी के बीच मंदिरों को खोलने की मांग करने का ‘अधिकार नहीं है’. उन्होंने कहा कि सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन करते हुए, बीजेपी पूरे देश में रैलियां कर रही है.

कायंदे ने कहा, ‘इस समय जन आशीर्वाद यात्राएं निकालने की क्या ज़रूरत है? लोग उन्हें पहले ही दो बार (2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में) अपना आशीर्वाद दे चुके हैं. अब समय काम करने का है. ये रैलियां ‘कोरोना बढ़ाओ रैलियां’ ज़्यादा हैं’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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