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Saturday, 20 April, 2024
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महिला ने दिल्ली के यूपी भवन में किया यौन उत्पीड़न का दावा, हिंदुत्व संगठन के प्रमुख पर मामला दर्ज

शिकायत के अनुसार, महाराणा प्रताप सेना के प्रमुख राजवर्धन परमार पीड़िता को राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी से मिलवाने के बहाने यूपी भवन ले गए. भवन के तीन अधिकारी भी निलंबित किए गए हैं.

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लखनऊ: इस महीने की 26 तारीख को राष्ट्रीय राजधानी में स्थित उत्तर प्रदेश विधान भवन परिसर में यौन उत्पीड़न के एक मामले में दिल्ली पुलिस ने एक स्वयंभू हिंदुत्व कार्यकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया है. महिला की शिकायत के अनुसार, वे उन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी से मिलवाने के बहाने वहां ले गया.

आरोपी की पहचान महाराणा प्रताप सेना नामक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार के रूप में हुई है. चाणक्यपुरी पुलिस थाने में कथित घटना के एक दिन बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला का अपमान करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल), 354ए (यौन उत्पीड़न) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी.दिप्रिंट के पास इस एफआईआर की एक प्रति मौजूद है.

राष्ट्रीय राजधानी में यूपी सरकार के स्वामित्व वाली दो आवासीय इमारतों में से एक यूपी भवन के तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और एक आउटसोर्स कर्मचारी को कथित रूप से आरोपी को आवासीय भवन में एक कमरा, जहां कथित घटना हुई थी, की सुविधा प्रदान कराने के लिए ड्यूटी से हटा दिया गया है.

रविवार देर रात पोस्ट किए गए एक ट्वीट में शिकायतकर्ता—जो कि एक अभिनेत्री, नर्तकी और व्यवसायी हैं, ने आरोप लगाया कि परमार ने उन्हें यह दावा करते हुए यूपी भवन बुलाया कि वे उन्हें राजनाथ सिंह और गडकरी से मिलने में मदद करेगा और बाद में “आपत्तिजनक व्यवहार” किया और उनका “यौन उत्पीड़न” किया.

दिप्रिंट से बात करते हुए महिला ने कहा कि चाणक्यपुरी पुलिस थाने की एक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और सीसीटीवी फुटेज लिए. “उन्होंने मुझे यह कहकर गुमराह किया कि राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी यूपी भवन में हैं और मैं उनसे मिल सकती हूं. जब मैं अंदर गई तो उसने कहा कि उसने मेरे लिए लस्सी मंगवाई है और नेता जल्द ही आएंगे.”

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महिला ने आगे आरोप लगाया कि कमरे में प्रवेश करने के बाद परमार कथित तौर पर बाथरूम के अंदर चला गया और फिर नग्न होकर बाहर आया और उनके सामने खड़ा हो गया.

उन्होंने कहा, “जब मैंने विरोध किया, तो उसने मेरा हाथ मरोड़ दिया और मुझे चुप रहने के लिए कहा, और धमकी दी कि वो मेरा करियर बर्बाद कर सकता है. वे मुझे एक नशामुक्त भारत कार्यक्रम में ले गए, जो चाणक्यपुरी में एक संगठन द्वारा आयोजित किया जा रहा था. मैं उसके साथ गई, लेकिन कार्यक्रम से भाग गई और पुलिस से संपर्क किया.”

महिला ने यह भी दावा किया कि परमार उनकी “लोकप्रियता” को भुनाने के लिए उन्हें उस कार्यक्रम में ले गया.

दिप्रिंट ने कॉल और संदेशों के जरिए पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) प्रणव तायल से संपर्क किया, लेकिन कोई कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. हालांकि, जवाब आने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.

दिप्रिंट ने जब परमार से बातचीत की, तो उन्होंने आरोपों से इनकार किया और इसे उन्हें बदनाम करने की साजिश बताया.

उनके अनुसार, वे घटना से एक दिन पहले ही एक सामान्य परिचित के जरिए महिला से मिले थे, जिन्होंने उन्हें बताया कि उन्हें (महिला को) रियलिटी शो बिग बॉस में एंट्री करने के लिए उनके समर्थन की ज़रूरत है. “मैंने अखबार में कुछ कवरेज पाने में उसकी मदद की. उसने मुझसे ब्याज़ पर 50,000 रुपये मांगे और अब वो इन कहानियों को पका रही है. मेरा लक्ष्य मजार-मुक्त और लव जिहाद-मुक्त भारत है और मैं एक हिंदुत्ववादी नेता हूं. यह मुझे बदनाम करने की साजिश है.”

यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि राज्य सरकार ने मामले पर रेजिडेंट कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी. “27 मई को सौंपी गई कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर यूपी सरकार ने तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की.”

दिल्ली में यूपी के रेजिडेंट कमिश्नर रिगज़िन संफेल ने पुष्टि की कि तीनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि आउटसोर्स कर्मचारी को ड्यूटी से हटा दिया गया है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “यूपी भवन के प्रभारी प्रबंधक के खिलाफ जांच गठित कर दी गई है.”


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‘यूपी भवन के अधिकारियों ने बरती लापरवाही’

यूपी सरकार द्वारा 27 मई को जारी एक आदेश में अतिरिक्त मुख्य सचिव एसपी गोयल ने कहा कि रेजिडेंट कमिश्नर के पत्र के अनुसार, 26 मई को परमार ने यूपी भवन के कर्मचारियों से अनुरोध किया था कि वे उन्हें भवन का एक कमरा दिलाएं, यह दावा करते हुए कि एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी को इसकी आवश्यकता है.

आदेश जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है, के मुताबिक, “आउटसोर्स कर्मचारी नरेंद्र ने रिसेप्शन पर प्रतिनियुक्त अधिकारियों के कहने पर कमरा नं. 122 परमार को दिया. बिल्डिंग के सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, परमार दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर एक अज्ञात महिला के साथ पहुंचे और 1 बजकर 5 मिनट पर उसे लेकर चले गए.”

आदेश के अनुसार, 27 मई को चाणक्यपुरी पुलिस ने फॉरेंसिक जांच और अन्य कानूनी कार्यवाही के लिए कमरे को सील कर दिया था. इसमें कहा गया है कि परमार उन लोगों की श्रेणी में नहीं आते हैं जिन्हें यूपी भवन में कमरा लेने की अनुमति है. यहां ये सुविधा केवल विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों के लिए ही है.

आदेश में आगे कहा गया है, “रिसेप्शन पर तैनात कर्मचारियों, अर्थात् वरिष्ठ रिसेप्शनिस्ट पारस नाथ, कनिष्ठ सहायक राकेश कुमार सिंह और आउटसोर्स कार्यकर्ता नरेंद्र द्वारा परमार को एक कमरा देना अनुचित था. कर्मचारियों और उन सभी ने नाजायज और असंबंधित गतिविधियों का सहारा लिया है.”

इसमें आगे लिखा है, इमारत के प्रभारी प्रबंधक, दिनेश कुमार करुश ने भी प्रथम दृष्टया गंभीर लापरवाही बरती है. “प्रारंभिक जांच में लापरवाही, अधीनस्थों पर नियंत्रण की कमी और उनकी ओर से पर्यवेक्षी कर्तव्यों को निभाने में मनमानी को दर्शाता है, जो कि प्रथम दृष्टया, यूपी सरकार के कर्मचारी आचरण नियम, 1956 का उल्लंघन है.”

करुश के खिलाफ एक विभागीय अनुशासनात्मक जांच गठित की गई है, जो राज्य संपत्ति विभाग के संयुक्त सचिव राजाराम द्विवेदी द्वारा की जाएगी.


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अजमेर दरगाह विवाद कुतुब मीनार विवाद

आरोपी राजवर्धन सिंह परमार, जिसके फेसबुक पेज पर राजनाथ सिंह, उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ कई तस्वीरें हैं, इन विवादों के लिए नए नहीं हैं.

उनके पास अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत सहित केंद्र सरकार के मंत्रियों और ए.के. शर्मा, दयाशंकर सिंह, कौशल किशोर आदि के साथ भी तस्वीरें हैं.

पिछले साल अजमेर पुलिस ने कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए पवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. उन्होंने मांग की थी कि अजमेर में हजरत ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह पर एक पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाए, जिसमें दावा किया गया था कि यह एक “प्राचीन हिंदू मंदिर” हुआ करता था और इसकी दीवारों और खिड़कियों पर “स्वास्तिक और अन्य हिंदू प्रतीक” पाए गए थे.

पिछले साल मई में परमार और उनके संगठन के अन्य सदस्यों ने कथित तौर पर दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक शिव मंदिर में पूजा की ताकि उन्हें कुतुब मीनार में पूजा करने की अनुमति दी जा सके. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुतुब मीनार को “विष्णु स्तंभ” घोषित करने की मांग करने वाले समूहों में महाराणा प्रताप सेना भी शामिल है.

दिप्रिंट ने यह भी पाया कि फेसबुक और इंस्टाग्राम सहित परमार के सोशल मीडिया पेजों में नशीली दवाओं के विरोधी अभियानों की कई तस्वीरें और वीडियो थे, जहां वे इस कारण के लिए काम करने का दावा करते हैं.

अपने फेसबुक अकाउंट पर अपलोड किए गए वीडियो में वे कुतुब मीनार का नाम बदलकर “विष्णु स्तंभ” और फिरोज शाह रोड का नाम बदलकर “भगवान बिरसा मुंडा रोड” करने की मांग करते नज़र आ रहे हैं.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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