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Saturday, 20 April, 2024
होमदेशसेल्फी लेते समय पानी में गिरा फोन तो फूड इंस्पेक्टर ने खाली करा दिया डैम का पानी

सेल्फी लेते समय पानी में गिरा फोन तो फूड इंस्पेक्टर ने खाली करा दिया डैम का पानी

खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास को निलंबित कर दिया गया है. जिला कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने एक प्रेस नोट में कहा कि मामले की जांच की जा रही है और उचित कार्रवाई की जा रही है.

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में एक खाद्य निरीक्षक को अपने 1.25 लाख रुपये के मोबाइल फोन को ढ़ूंढ़ने के लिए कथित रूप से परालकोट जलाशय से 21 लाख लीटर पानी निकालने के बाद निलंबित कर दिया गया है. फोन सेल्फी क्लिक करते समय गिर गया था.

खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास के निलंबन का आदेश जिलाधिकारी प्रियंका शुक्ला ने जारी किया है. एक प्रेस नोट में, जिला कलेक्टर ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और उचित कार्रवाई की जा रही है.

यह घटना रविवार को हुई, जब विश्वास अपने दोस्तों के साथ तैरने के लिए सिंचाई पहल के हिस्से के रूप में बनाए गए बांध पर गए थे.

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, विश्वास ने मौखिक रूप से अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) से जलाशय से 5 फीट पानी निकालने की अनुमति मांगी थी, जिसका स्तर 15 फीट से अधिक था, यह दावा करते हुए कि फोन में विभागीय जानकारी थी.

हालांकि, अंततः 10 फीट पानी निकाला गया, जिसमें 30 हॉर्स पावर के दो डीजल पंप सोमवार शाम से पूरे 3 दिनों के लिए तैनात किए गए थे. यह कवायद – जो, यह पता चला है, पूरी तरह से निजी पहल थी जिसमें कोई सरकारी संसाधन नहीं था – केवल तभी रोका गया जब सिंचाई अधिकारी को इसके बारे में पता चला और वे मौके पर पहुंचे.

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फोन आखिरकार गुरुवार को मिल गया, लेकिन खराब होने के कारण यह काम नहीं कर रहा था.

दिप्रिंट ने कॉल के जरिए राजेश विश्वास से संपर्क किया लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ था. जिला कलेक्टर शुक्ला को कॉल अनुत्तरित रहे.

मामले में एसडीओ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब फोन पहली बार गिरा तो विश्वास ने आस-पास के लोगों से इसमें गोता लगाने और इसे खोजने के लिए कहा. लेकिन गहराई एक बाधा थी.

तभी ऑपरेशन शुरू हुआ.

दिप्रिंट के हाथ एक वीडियो लगा है, जिसमें कथित तौर पर फोन को रिकवर करने के लिए किए गए ड्रेनिंग ऑपरेशन को दिखाया गया है. यह जलाशय से पानी पंप किए जाने के साथ-साथ गोताखोरों को खोज के लिए जाते हुए दिखाता है.

एक चश्मदीद ने दिप्रिंट को बताया कि जलाशय से खाली किया गया पानी एक नाले में डाला गया था, जो पास की देवड़ा नदी से जुड़ा है.

आसपास के इलाकों के ग्रामीणों ने फोन पर दिप्रिंट को बताया कि पानी की निकासी से 1,500 एकड़ जमीन की सिंचाई हो सकती थी.

उन्होंने यह भी कहा कि बांध जानवरों के लिए पानी का एक स्रोत है, उनका कहना है कि इसका कम स्तर उन्हें भी प्रभावित करेगा.

एक निवासी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “आस-पास के मटालाकुडुम, गोटनबेड़ा, उज्जावता गांवों के लोग अपने मवेशियों को चराने के लिए इन क्षेत्रों में आते रहते हैं.बकरियां, गाय और सभी जानवर यहां पानी पीने के लिए आते हैं क्योंकि आस-पास पानी की कोई अन्य सुविधा नहीं है. अब पानी का स्तर कम होने से यह सभी को प्रभावित करेगा.”

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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