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Friday, 19 April, 2024
होमदेशबेहतर भविष्य के लिए कोविड काल में हमें जीवन और रोज़गार खोने के बीच तालमेल बिठाना होगा: उदय कोटक

बेहतर भविष्य के लिए कोविड काल में हमें जीवन और रोज़गार खोने के बीच तालमेल बिठाना होगा: उदय कोटक

दिप्रिंट के 'ऑफ द कफ' कार्यक्रम में कोटक बैंक के एमडी और सीईओ उदय कोटक ने कोविड समाप्ति के बाद स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रकृति को सबसे अहम बताया.

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नई दिल्ली: ये पूरे विश्व के लिए लाख़ टके का सवाल है कि कोविड-19 की समाप्ति के बाद की दुनिया कैसी होगी? भारत के मामले में कोटक बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) और चीफ़ एक्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर (सीईओ) उदय कोटक का मानना है कि कोविड के बाद भारत की रूपरेखा कोविड के दौर में उठाए गए कदमों पर निर्भर होगी.

उदय कोटक का मानना है कि कोविड काल को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है, ‘कोविड से पहले’, ‘कोविड के समय’ और ‘कोविड के बाद’ की दुनिया. उन्होंने कहा, ‘कोविड के बाद का भारत कैसा होगा वो इसपर निर्भर करेगा कि हम कोविड के समय में क्या करते हैं. हमें जीवन खोने और रोज़गार खोने के बीच तालमेल बिठाना पड़ेगा.’

बुधवार को दिप्रिंट के ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में एडिटर इन चीफ शेखर गुप्ता ने कोटक बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) और चीफ़ एक्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर (सीईओ) उदय कोटक से कोरोना काल से जुड़े कई मुद्दों पर बात की.

स्वास्थ्य और शिक्षा सुधार 

कोविड समाप्ति के बाद की 3 आधारशिलाओं के तौर पर उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रकृति को सबसे अहम बताया. उनके मुताबिक इसमें सबसे ज़्यादा अहम स्वास्थ्य है. उन्होंने कहा, ‘भारत अपनी जीडीपी का 1.3 प्रतिशत ही स्वास्थ्य पर ख़र्च करता है. इसे बढ़ाने की ज़रूरत है. स्वास्थ्य सुधार को हम लंबे समय से टालते रहे हैं, अब इस पर ध्यान देना होगा.’

स्वास्थ्य के अलावा उन्होंने बार-बार शिक्षा के क्षेत्र पर भी ज़ोर दिया और ये भी कहा कि जिस प्रकृति को सब मां मानते हैं उसका भी ख़्याल रखना होगा. उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य के मामले में कॉर्पोरेट जगत को लोगों का भरोसा जीतना होगा. निजी अस्पतालों में पूछा जाता है कि मरीज़ अपनी क्षमता पर इलाज कराने आया है या किसी इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ आया है. पॉलिसी होने पर लोगों के बहुत ज़्यादा पैसे लिए जाते हैं. ये सही नहीं है.’

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व्यापार पर लॉकडाउन के असर का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ है. इसकी भरपाई करनी होगी. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए अगर लोगों के हाथों में सीधे पैसे देने की ज़रूरत है तो ये किया जाना चाहिए. इससे डिमांड बढ़ेगी.’ हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि सीधे पैसे दें तो इसका डर है कि लोग पैसों की बचत करने लगेंगे. उन्होंने ने कहा, ‘मंदी लोगों के दिमाग में पैदा होती है. लोगों की मानसिक स्थिति बदलने की ज़रूरत है.’


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कई क्षेत्रों को लगा है धक्का

इसी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों को कोविड से काफ़़ी धक्का लगा है. व्यापारियों को काफ़ी सावधानी बरतनी पड़ेगी. उनके मुताबिक शॉर्ट टर्म के बजाए मीडियम टर्म ग्रोथ पर पर ध्यान देना होगा. वहीं, कर्ज़ पर ब्याज़ माफ़ी से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक बैंकर के तौर पर वो ऐसा सोच भी नहीं सकते कि जिस ऋण पर रोक लगी है उस पर ब्याज़ माफ़ कर दिया जाए. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि बैंकों में जिन लोगों ने पैसे जमा किए हैं उन्हें भी तो ब्याज़ देना होगा.

व्यापार जगत की स्थिति पर अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन के बाद सबको गहरा झटका लगा. जून में लोगों को उम्मीद जागी कि सब बर्बाद नहीं हुआ है और स्टॉक मार्केट भी इसी भरोसे पर चल रहा है कि भविष्य बेहतर होगा.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से विकास के मामले में भारत की निर्भरता सरकारी ख़र्च पर बहुत ज़्यादा रही है.

उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ सालों से सरकारी खर्च पर निर्भरता बढ़ी है. प्राइवेट जगत को इसपर ध्यान देना होगा तभी विकास संभव है. एनिमल स्पिरिट जगाने के लिए सरकार और व्यापार जगत को साथ मिलकर काम करना होगा.’ उनके मुताबिक ऐसा करने से ही विकास संभव है. वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम देने के लिए भारत के पास विकास के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

आत्मनिर्भर भारत

विकास के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नारे का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं मुक्त व्यापार के ख़िलाफ नहीं हूं. लेकिन अनुचित सब्सिडी से भरी हेरफेर वाली प्रतियोगिता रास नहीं आती.’ चीन द्वारा बाज़ार को गलत तरीके से प्रभावित करने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय व्यापार को हर कीमत पर सुरक्षा दी जानी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने भविष्य में इंटरनेट की भूमिका पर भी काफ़ी ज़ोर दिया.

(आप दिप्रिंट के प्रधान संपादक शेखर गुप्ता के साथ कोटक बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) और चीफ़ एक्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर (सीईओ) उदय कोटक की पूरी बातचीत यहां देख सकते हैं.)

उन्होंने कहा कि दुनिया ‘डिजिटल और फ़िज़िकल’ के बीच बैलेंस बिठा रही है. उनके मुताबिक डिजिटल वर्ल्ड तुलनात्मक रूप से बेहतर है. इसमें ग्राहक फ़ैसले ले रहा है जिससे की व्यापार जगत को तालमेल बिठाना होगा. अभी ‘डिजिटल और फ़िज़िकल’ दुनिया के बीच 50-50 का बैलेंस हैं. लेकिन डिजिटल का असर व्यापार जगत के हर क्षेत्र पर पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘इस असर की वजह से कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा. इस पर ध्यान देना होगा.’

लॉकडाउन के दौरान हुए पलायन की बड़ी वजह यही रही कि कामगरों को रातोंरात अपने काम से हाथ धोना पड़ा. इस अहम विषय पर उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर पलायन गांव से शहर की ओर हुआ है. गांव के लोग शहर बेहतरी के लिए आते हैं. लेकिन उन्हें बेहतरी नहीं मिली. हमें इस बारे में सोचना होगा.’ वापस से इंटरनेट की ताकत पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि ये एक क्रांतिकारी माध्यम है. उनके मुताबिक गूगल एक बड़ा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि गूगल अमेरिका समेत दुनिया भर में लोगों को काम पर रख रहा है और किसी को ऑफ़िस आने की भी ज़रूरत नहीं.

उन्होंने कहा, ‘भुगोल अब इतिहास हो गया है, ऐसे में भुगोल का भेद मिटा दिया जाना चाहिए ताकि भारत के इंजीनियर देश में कहीं भी बैठकर देश और दुनिया को अपनी सेवा दे सकें.’ कोविड के प्रभाव की वजह से चीन को लगे धक्के को लेकर उन्होंने कहा कि इस पर भी ध्यान देना होगा कि नौकरियां चीन से बाहर जा रही हैं. ऐसे में भारत को विनिर्माण के मौके को भुनाना होगा.

उन्होंने ये भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत के मामले में उन्हें भारतीय होने और भारतीय चीज़ें ख़रीदने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन क्वॉलिटी से समझौता नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि चीन जैसे देशों ने लंबे समय तक प्रिडेटरी मार्केटिंग की नीति अपनाई है. ये सही तरीका नहीं. कॉम्टीशन फ़्री और फ़ेयर होना चाहिए. उनके मुताबिक इसके अलावा देश को लेबर और लैंड रिफ़ॉर्म की भी दरकार होगी.


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लेबर के मामले वो लचीली नीति की राह सुझाते हुए कहते हैं कि कामगरों के लिए सेफ़्टी नेट भी होना चाहिए. वहीं, पर ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में लैंड रिफ़ॉर्म की आवश्यकता पर भी उन्होंने ज़ोर दिया. विकास का रास्ता सुझाते हुए उन्होंने सिंगल विंडो क्लियरेंस की वकालत की और रेट्रोस्पेक्ट से बनने वाले नियमों का विरोध किया. उन्होंने ये भी कहा कि जो अपने पैसों पर जोखिम उठाते हैं उनका सम्मान किया जाना चाहिए. भारत की जीडीपी इन्हीं की वजह 8-9 प्रतिशत पर जा पाई है.

वहीं, उन्हें लगता है कि कोविड की लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है. उन्होंने कहा कि संभव है कि कोविड के मामले में एक साल में कोई रास्ता निकले. उनके मुताबिक इसके साथ ‘लो इंटेंसिटी’ और ‘हाई इंटेंसिटी’ वाली रणनीति से निपटना होगा. ‘हाई इंटेंसिटी’ वाले लॉकडाउन की जगह सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क वाली ‘लो इंटेंसिटी’ को उन्होंने बेहतर रास्ता बताया जिसका पालन करने से जान और रोज़गार के बीच का तालमेल बना रहेगा.

डिस्क्लोजर: कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड के संस्थापक उदय कोटक, ThePrint के प्रतिष्ठित संस्थापक-निवेशकों में से हैं. निवेशकों के विवरण के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

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