scorecardresearch
Wednesday, 9 October, 2024
होमदेशTN की बेरोजगार लड़की ने रिलीफ फंड में दी सोने की चेन, स्टालिन को लिखे खत के कुछ दिन बाद ही मिली नौकरी

TN की बेरोजगार लड़की ने रिलीफ फंड में दी सोने की चेन, स्टालिन को लिखे खत के कुछ दिन बाद ही मिली नौकरी

जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट में नौकरी के लिए सौम्या को नियुक्ति पत्र मिल गया. विद्युत मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने सौम्या के घर जाकर उसे ये पत्र सौंपा.

Text Size:

नई दिल्ली: कंप्यूटर साइंस इंजीनियर आर सौम्या को नौकरी नहीं मिल रही थी और वो अपने परिवार की मदद भी नहीं कर पा रही थीं.

पिछले साल ही 22 वर्षीया सौम्या का ग्रेजुएशन हुआ है. इस बारे में उसने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को खत लिखा जिसमें सीएम ने नौकरी देने का वादा किया. 12 जून को मेट्टूर बांध के उद्घाटन पर सौम्या ने अपने खत के साथ दो सोने की चेन मुख्यमंत्री कोविड रिलीफ फंड में दान की.

मुख्यमंत्री स्टालिन ने ट्विटर पर उसके खत को साझा किया और उसे ‘पोनमगल’ (गोल्डन डॉटर) बताया.

सीएम ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘सौम्या की चिट्ठी मेरे पास आई. महामारी के वक्त मदद करने की उसकी नीयत ने मुझे झकझोर दिया. इसके बाद ही उसे नौकरी के लिए ऑफर दिया गया. इसपर उचित कार्रवाई की जाएगी.’

इसी बीच मंगलवार को जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट में नौकरी के लिए सौम्या को नियुक्ति पत्र मिल गया. विद्युत मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने सौम्या के घर जाकर उसे ये पत्र सौंपा.

फोन पर सौम्या ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया.


यह भी पढ़ें: मुकेश अंबानी के बाद एशिया के दूसरे सबसे अमीर गौतम अडानी की संपत्ति में उतार-चढ़ाव की क्या है कहानी


‘रोज की जरूरतों के लिए सिर्फ 4 हजार रुपए बचते हैं’

तमिलनाडु के सालेम में पोट्टानेरी गांव में रहने वाली सौम्या की दो बहनें हैं, दोनों की ही शादी हो चुकी है. 12 मार्च 2020 को निमोनिया से उसकी मां की मौत हो चुकी है. और वो अपने पिता के साथ रहती है और घर चलाने का एकमात्र साधन उसके पिता की पेंशन है.

अपने खत में उसने लिखा था, ‘मेरे पिता को 7 हजार रुपए मिलते हैं जिसमें से 3 हजार किराए में चले जाते हैं.’ उसने सरकारी नौकरी नहीं मांगी थी बल्कि निजी कंपनी में कोई भी नौकरी मांगी थी.

दिप्रिंट से बात करते हुए सौम्या ने बताया कि कैसे उनकी मां के इलाज में 13 लाख रुपये खर्च हुए, जो उनके पिता की पूरी बचत थी.

सौम्या ने कहा, ‘मेरी मां के निधन के बाद, हम किराए के घर में रहने के लिए मेट्टूर से अपने पैतृक गांव चले गए. किराए का भुगतान करने के बाद, हमारे पास एक महीने की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सिर्फ 4,000 रुपये बचते हैं. मेरी बहनें भी आर्थिक रूप से समर्थ नहीं हैं.’

नौकरी का ऑफर मिलने पर सौम्या ने कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री, अन्य मंत्रियों, जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारियों की आभारी हूं जिन्होंने मुझे नौकरी दिलाने में मदद की है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: नए IT नियमों के तहत ट्विटर पर पहली FIR, बुजुर्ग मुस्लिम शख्स पर पोस्ट को लेकर पत्रकारों पर भी मामला दर्ज


 

share & View comments