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Thursday, 25 April, 2024
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ट्रंप कोविड के चलते भारत नहीं जाना चाहते थे, उन्हें उनके दामाद जारेड ने राज़ी किया: पूर्व अधिकारी

ग्रिशम ने लिखा 'जारेड और उनकी टीम ने भारत सरकार के साथ सीधे समझौता किया- इस तरह की बातचीत गुप्त सेवा में रखी जाती थीं.'

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फर्स्ट लेडी मेलानिया और उनके परिवार ने साल 2020 में फरवरी महीने के आखिर में भारत का दौरा किया था. जिनके स्वागत में गुजरात में एक बड़ा कार्यक्रम ‘नमस्ते ट्रंप’ आयोजित किया गया था. इस दो दिन की यात्रा के समय ही दिल्ली दंगे भी हुए जिनमें 50 से ज्यादा लोगों की जानें गईं.

हालांकि, ट्रंप के प्रशासन में काम कर चुकी स्टेफनी ग्रिशम ने अपनी नई जीवनी में लिखा है कि ट्रंप और मेलानिया कोविड 19 के डर से भारत का दौरा नहीं करना चाहते थे. लेकिन, उनके दामाद जारेड कुशनर (इवांका ट्रंप के पति) ने उन्हें इसके लिए राज़ी किया था.

ग्रिशम की जीवनी, आई विल टेक योर क्वेस्चन्स नाउ: माई टाइम इन दि ट्रंप व्हाइट हाउस के मुताबिक ट्रंप ने ओवल ऑफिस में कहा था कि वह ‘वास्तव में नहीं जाना चाहते’ हैं.

अमेरिका की पोलिटिकल मैग्ज़ीन ‘पोलिटिको’ में छपे एक अंश में ग्रिशम ने ट्रंप के हवाले से कहा, ‘यह सिर्फ दो दिन की नहीं बल्कि लंबी यात्रा है, और हम कोविड को झेल रहे हैं. मैं (भारतीय प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी को समझा दूंगा कि यह सही समय नहीं है, मैं बाद में अपने दूसरे कार्यकाल में आउंगा.’

उन्होने यह बयान पूर्व फर्स्ट लेडी मेलानिया और व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद दुनिया भर में धीरे-धीरे फैल रहे कोरोनावायरस के समय भारत की यात्रा को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए दिया था.

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एक और अंश में कहा गया कि जैसे ही ‘तारीख़ नज़दीक आ रही थी, अधिकतर सीनियर अधिकारियों और फर्स्ट लेडी को कोरोना होने की वजह से यात्रा के बारे में डर सताने लगा. चाहे जो भी वजह हो जारेड कुशनर हमारे जाने पर अड़े रहे क्योंकि वह ‘वास्तविक’ चीफ ऑफ स्टाफ थे जिनका काफी महत्त्व था.’

ग्रिशम ने आगे कहा कि पूर्व राष्ट्रपति की इच्छा थी कि यात्रा रद्द हो जाए लेकिन कुशनर जो ट्रंप के कार्यकाल में उनके वरिष्ठ सलाहकार थे उन्होने ट्रंप को यह कह कर राज़ी कर लिया कि, ‘ओके, पर आपको निजी तौर पर मोदी से बात करनी चाहिए.’

ग्रिशम कहती है कि, ‘इससे मालूम होता है कि जारेड के अपने ससुर के साथ कितने अच्छे संबंध थे क्योंकि हमारे अलावा वो भी जानते थे कि राष्ट्रपति के लिए किसी को ना कहना कितना मुश्किल है और वो शायद ही मोदी से बात करने के लिए जाएंगे.’

ग्रिशम ने ट्रंप कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस में 2017 से 2021 तक अपनी सेवा दी. वो प्रशासनिक ब्रीफ देने के लिए प्रेस सचिव थीं लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस की मशहूर परंपरा के मुताबिक कभी ब्रीफ नहीं दी. उन्होने बाद में मेलानिया की चीफ स्टाफ के तौर पर अपनी सेवाएं दीं, लेकिन इसी साल यूएस कैपिटल में हमला होने के चलते उन्होने जनवरी में इस्तीफा दे दिया.

‘मालूम नहीं जारेड के लिए भारत की यात्रा क्यों अहम थी’

कुशनेर, जिन्होंने साल 2009 में ट्रंप की बड़ी बेटी से शादी की थी, वह व्हाइट हाउस में वरिष्ठ सलाहकार थे हालांकि यह साफ नहीं था कि उनकी भूमिका का विस्तार कितना है.

उन्होंने साल 2020 में इसराइल और यूएई के बीच हो रहे अब्राहम अकॉर्ड की बातचीत कराने में मदद की थी. वह ओवल ऑफिस में ‘विशेषाधिकारों’ का आनंद लिया करते थे और बाद में वह ट्रंप के दोबारा चुनाव अभियान के प्रभारी भी थे.


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ग्रिशम ने दावा किया कि उन्हें समझ नहीं आया कि कुशनेर भारत की यात्रा के लिए इतने उत्सुक क्यों थे.
उन्होंने लिखा कि ‘आज तक मुझे नहीं पता चला कि जेराड के लिए यह यात्रा क्यों महत्त्वपूर्ण थी, या अगर इससे उन्हें कुछ मिला हो. जारेड और उनकी टीम ने भारत सरकार के साथ सीधे समझौता किया कि हमारी सुरक्षा संपत्ति और ग्राउंड पर मौजूद कर्मियों का क्या होगा- इस तरह की बातचीत आमतौर पर गुप्त सेवा में रखी जाती थीं.’

‘ट्रंप चीन से यात्रा पर रोक लगाने के इच्छुक नहीं थे’

ग्रिशम ने जीवनी में दावा किया कि भारत में मोदी से मीटिंग के दौरान ट्रंप ने उस समय सैन्य जहाजों पर क्वॉरन्टीन किए गए कोविड से संक्रमित 34 लोगों का जिक्र करते हुए शिकायत की थी कि ये खबरें शेयर बाजार को प्रभावित कर रही हैं.
हालांकि, ट्रंप ने 31 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश दिया था जिसमें पिछले 14 दिनों में चीन में रहने वाले व्यक्ति को अमेरिका में प्रवेश देने पर रोक लगा दी गई थी. यह आदेश अमेरिकी नागरिकों या उनके परिवारों पर लागू नहीं किया गया था. ग्रिशम ने लिखा कि ट्रंप यात्रा बैन करने के इच्छुक नहीं थे.

उन्होंने लिखा, ‘बाद में उन्होंने जो बात कही थी उससे उलट वे उस समय वे चीन की यात्रा पर बैन नहीं लगाना चाहते थे. उन्होंने वाइट हाउस के अधिकारियों से पूछा कि क्या हम ‘इससे बड़ा कोई समझौता’ कर सकते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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