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Friday, 18 July, 2025
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त्रिपुरा : मुख्यमंत्री ने शिक्षा मानकों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया स्कूल मूल्यांकन फ्रेमवर्क

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अगरतला, चार जुलाई (भाषा) स्कूलों में शिक्षा और संरचनात्मक खामियों का पता लगाने और निरंतर संस्थागत सुधार के लिए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक साहा ने शुक्रवार को त्रिपुरा शालेय मूल्यांकन और मान्यता ढांचे (टीएसएएएफ) की शुरुआत की है।

नई शिक्षा नीति (एनईपी) के मुताबिक टीएसएएएफ को पूर्वोत्तर राज्यों में स्कूलों के गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए तैयार किया गया है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि त्रिपुरा का प्रत्येक स्कूल 2047 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए उत्कृष्टता का केंद्र बने।’ उन्होंने कहा कि, अपनी शिक्षा संरचना को विकसित करने के लिए पर्याप्त खर्च करने के बाद ही आज राज्य में शैक्षिक माहौल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘त्रिपुरा अब मिजोरम और गोवा के बाद देश में तीसरा पूरी तरह से साक्षर राज्य बन चुका है। इस वर्ष कक्षा 10 और उच्च माध्यमिक स्तर पर उत्तीर्ण विद्यार्थियों के प्रतिशत में सुधार हुआ है। विद्या ज्योति स्कूलों (सीबीएसई) ने इस वर्ष दोनों परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन किया और 2024 की तुलना में उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों का प्रतिशत क्रमशः 26 और 21 फीसदी बढ़ गया है।’

राज्य में शिक्षकों की कमी की समस्या पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सभी को पता है कि शिक्षण कार्यबल में एक शून्य (वैक्यूम) उत्पन्न हुआ है, जिसका कारण भी सभी को ज्ञात है।’ वह उस घटना का संदर्भ दे रहे थे, जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा त्रिपुरा उच्च न्यायालय के 10,323 शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने के फैसले को बरकरार रखने से इन शिक्षकों ने अपनी नौकरियां खो दी थी।

उन्होंने बताया, ‘हम त्रिपुरा शिक्षक भर्ती बोर्ड (टीआरबीटी) के माध्यम से योग्य शिक्षकों की भर्ती कर रहे हैं। हाल ही में इस विभाग ने 226 स्नातक और अनुस्नातक शिक्षकों की नियुक्तियां की है। सरकार शिक्षकों की गुणवत्ता से समझौता किए बगैर रिक्तियों को भरने की कोशिश कर रही है।

भाषा मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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