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Monday, 17 November, 2025
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संरा आज भी 2025 की जगह 1945 की वास्तविकता को प्रदर्शित करता है, इसमें सुधार होना चाहिए:जयशंकर

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नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र आज भी 1945 की वास्तविकताओं को दर्शाता है, न कि 2025 की।

जयशंकर ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रभावी होने के लिए इसमें सुधार होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विश्व निकाय को अधिक समावेशी, लोकतांत्रिक, सहभागी और वर्तमान विश्व का प्रतिनिधित्व करने वाला बनना होगा।

संयुक्त राष्ट्र सैनिक योगदानकर्ता देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन के समापन दिवस पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ‘गैर-राज्यीय तत्वों के उदय’ और असमान युद्ध के साथ संघर्षों की प्रकृति बदल गई है।

विदेश मंत्री ने उभरती वास्तविकताओं के अनुरूप वैश्विक शांति स्थापना प्रयासों को समन्वित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने शांति स्थापना संबंधी निर्णय सभी हितधारकों, जिनमें सैनिक योगदानकर्ता और मेजबान देश शामिल हैं, के साथ गहन परामर्श से लिए जाने का भी आह्वान किया।

अपने संबोधन में, उन्होंने 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए अपनी हालिया न्यूयॉर्क यात्रा का जिक्र किया।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मैं आपके साथ उस अनुभव की कुछ प्रमुख अंतर्दृष्टि साझा करना चाहता हूं। पहला, संयुक्त राष्ट्र आज भी 1945 की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करता है, 2025 की नहीं। अस्सी साल किसी भी मानदंड से एक लंबा समय है, और इस अवधि के दौरान, संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता वास्तव में चार गुनी हो गई है। दूसरा, जो संस्थाएं अनुकूलन स्थापित करने में विफल रहती हैं, वे अप्रासंगिक होने का जोखिम उठाती हैं। न केवल अप्रासंगिकता, बल्कि वैधता का क्षरण और अनिश्चितता के समय में हमें बिना किसी सहारे के छोड़ देती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा, संयुक्त राष्ट्र के प्रभावी होने के लिए, इसमें सुधार होना चाहिए, इसे अधिक समावेशी, लोकतांत्रिक, सहभागी और जैसा कि मैंने कहा, आज की दुनिया का प्रतिनिधि बनना चाहिए। और, चौथा, इसे विकासशील दुनिया की आवाज को और मुखर करना चाहिए और उभरते ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की वैधता, और मैं कहूंगा, संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता, ऐसा करने पर निर्भर करती है।’’

भारत ने 14 से 16 अक्टूबर तक इस सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें विश्व भर में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सैनिक भेजने वाले देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सम्मेलन में भाग लेने वाले सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।

भारतीय शांति सैनिकों के सकारात्मक योगदान पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने स्थायी शांति और समृद्धि के प्रति सभी भागीदार देशों के संकल्प की सराहना की।

इससे पहले दिन में, विदेश मंत्री जयशंकर ने ‘मानेकशॉ केंद्र’ में आयोजित एक सत्र में अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना वैश्विक स्थिरता की आधारशिला बनी हुई है, लेकिन इसे यथार्थवादी निर्णय, बेहतर तकनीक और शांति सैनिकों की बढ़ी हुई सुरक्षा के माध्यम से उभरती चुनौतियों के अनुकूल होना चाहिए।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सम्मेलन के दौरान सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुरुंडी, तंजानिया, पोलैंड, इथियोपिया, नेपाल और युगांडा के सेना प्रमुखों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं।

भाषा संतोष नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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