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Saturday, 1 November, 2025
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भारतीय लोकतंत्र की आत्मा संविधान में निहित है : प्रधान न्यायाधीश

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प्रयागराज, एक नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने शनिवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा संविधान में निहित है और भारत में संविधान के कारण ही लोकतंत्र की नींव मजबूत है।

यहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित एक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “कई देशों में केंद्र और राज्यों में अलग-अलग संविधान कार्य करते हैं, लेकिन भारत में एक की संविधान राज्यों और केंद्र के लिए कार्य करता है।’’

इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, गवई ने कहा कि जिला स्तर से न्यायिक व्यवस्था प्रारंभ होकर उच्च न्यायालय होते हुए उच्चतम न्यायालय तक जाती है। इससे सभी को न्याय की अवधारणा संभव हो पाई है।

प्रधान न्यायाधीश ने नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों के अस्थिर लोकतंत्र का उदाहरण देते हुए कोलेजियम प्रणाली को सही ठहराया और कहा कि इस व्यवस्था में नियुक्तियों में राज्य सरकार और केंद्र सरकार और विभिन्न एजेंसियों के ‘इनपुट’ शामिल होते हैं और इसके आधार पर ही न्यायाधीशों की नियुक्ति होती है।

उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रयासों से ही देश की शक्ति संरचना को तीन चरणों यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में समांतर रूप से विभाजित किया जा सका।

इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश विक्रम नाथ ने कहा कि आंबेडकर ने उदारवाद और सामाजिक न्याय के विचार को जन्म दिया और उनका मानना था कि कोई भी व्यक्ति भारतीय संविधान से ऊपर नहीं है।

उन्होंने कहा कि आंबेडकर समाज में व्याप्त जाति, लैंगिक और समाज आधारित भेदभाव को समाप्त करने के पक्षधर थे। उन्होंने ही सभी के लिए सुलभ न्याय की अवधारणा को संविधान के जरिए रखा।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूण भंसाली ने कहा कि बाबासाहेब के लिए, संविधान समाज में व्याप्त असमानता और अस्पृश्यता को दूर करने का एक महत्वपूर्ण साधन था।

इस दौरान, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा ही सही मायने में देश का निर्माण कर सकती है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वर्तमान स्थिति से अतिथियों को अवगत कराया।

इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति अरूण भंसाली और विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में तीन नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया।

भाषा राजेंद्र शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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