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Friday, 29 March, 2024
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हरियाणा के 11 गांवों के लिए ‘राक्षस’ बना पानी, लोग इच्छा मृत्यु को तैयार

भाखड़ा नहर से साफ पानी की मांग को लेकर 20 जून से धरने पर बैठे 11 गांवों के किसान अब आत्महत्या करना चाहते हैं. 25 लोगों ने राष्ट्रपति को पत्र लिख मांगी इच्छा मृत्यु. 

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जींद : भाखड़ा नहर से साफ पानी की मांग को लेकर 20 जून से धरने पर बैठे 11 गांवों के किसान अब इच्छामृत्यु करना चाहते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि जहरीला पानी तो वैसे भी उन्हें मार रहा है और सरकार उन्हें पीने और सिंचाई के लिए साफ पानी देना नहीं चाहती.

इसके लिए वो अर्धनग्न विरोध से लेकर सिर तक मुंड़वा चुके हैं. इन गांव के लोगों ने पंजाब राज्य में शामिल होने की भी धमकी दी है. इसके अलावा आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की भी घोषणा कर दी है और अब इन गांवों के 25 लोगों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी है

ये पंजाब और हरियाणा के पड़ोसी इलाकों से मिल रहे समर्थन से 2016 के जाटों के हिंसक आंदोलन की बात भी कही है. कुछ लोगों ने धमकी देते हुए कहा कि हम बसें भी फूंकेंगे और रेल भी रोकेंगे क्योंकि जहरीला भूमिगत पानी तो हमारी जान ले रहा है.

जब दिप्रिंट धरना दे रहे इन गांवों के लोगों की बीच पहुंचा तो भारी बरसात के बीच पंडाल से एक युवक जोश में बोला, ‘हम प्यासे मरेंगे लेकिन देश को दिखाकर जाएंगे कि अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए.’

बाहर से खरीदकर लाया गया साफ पानी| तस्वीर- मनीषा मोंडल

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उसे शांत करते हुए एक बुजुर्ग सतबीर ने कहा,हमारे 11 गांवों को पीने और सिंचाई का पानी धरौदी माइनर से मिलता है जो करनाल से होते हुए करीब 90 किलोमीटर की दूरी तय कर हमारे गांवों तक आता है. इस माइनर में 45 दिन में 7 दिन पानी छोड़ा जाता है. इसको स्टोर करते हैं तो मुश्किल से 15 दिन ही चल पाता है. सिंचाई के लिए भूमिगत पानी निकालते हैं तो वो बीमारियों का घर बन रहा है. बोरवैल के जरिए 1200 फीट नीचे तक के पानी का इस्तेमाल कर चुके हैं. पानी में टीडीएस की मात्रा 1500 से लेकर 14,250 तक है.’

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लगभग 50 हजार की आबादी वाले इन गांवों में 80 फीसदी लोग खेती पर निर्भर हैं. कोई खेतिहर मजदूर है तो कोई किसान. इन गांवों के बगल से ही भाखड़ा नहर गुजरती है. पंजाब से होती हुई ये हरियाणा पंहुचती है. भाखड़ा नहर और धरौदी माइनर एक पॉइंट पर आकर मिलते भी हैं. उसी पॉइंट के पास दोनों को जोड़ने के लिए लिंक बना हुआ है जो अभी जर्जर हालत में है.

सतबीर आगे बताते हैं, ‘भाखड़ा नहर में 12 महीने पानी रहता है. हमसे कुछ दूरी पर बसे गांवों को तो इसका पानी मिलता है. हमारी मांग को लेकर अधिकारी कहते हैं कि तीन राज्यों का मामला है और फाइल पर कार्रवाई हो रही है. ऐसी क्या फाइल है जो 20 सालों में हल नहीं हो रही? जब सुरजेवाला अपने इलाके में भाखड़ा नहर से माइनर (छोटी नहर)  बनवाकर ले जा सकते हैं तो फाइलें कैसी सही समय पर पहुंच गईं?’

सूबे सिंह वहीं गायों की दयनीय स्थिति दिखाते हुए कहते हैं, ‘धरौदी गांव में 35 गांवों को मिलाकर एक गौशाला बनी हुई है. उसमें करीब 4 हजार गायें हैं. जब हमारे पास पीने का पानी नहीं है तो हम कहां से गायों को साफ पानी पिलाएं? इनको भी भूमिगत पानी पिलाते हैं. हर रोज तीनचार गायें मर रही हैं. इंसानों की नहीं तो सरकार कम से कम इन गायों की हालत देखकर ही हमारे गांवों को पानी दे दे.’

भाखड़ा बरवाला लिंक और धरौदी माइनर| तस्वीर- मनीषा मोंडल

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मुख्यमंत्री और नहर विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने के बाद भी संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर 26 लोगों ने सिर मुंड़वाया और उसके बाद महिलाओं ने मटके फोड़कर रोष जताया. बुजुर्गों ने अर्धनग्न मिट्टी लपेटकर विरोध प्रदर्शन किया. सूबे सिंह का कहना है कि जेजेपी पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने गांव वालों से मिलकर इसे हरियाणा का दूसरा एसवाईएल मुद्दा तो बताया लेकिन इसका समाधान कोई नहीं करता.

वो आगे जोड़ते हैं, ‘पिछले 20 सालों से ये मुद्दा उठाते रहे हैं. कुछ बुजुर्ग तो ये लड़ाई लड़ते लड़ते चल भी बसे हैं. हमारा इलाका चौटाला को जिताने वालों में से रहा है. इसलिए कांग्रेस के राज में भी हमें राजनीतिक पक्षपात झेलना पड़ा और अब भाजपा के राज में भी. हुड्डा और सुरजेवाला की आपसी प्रतिस्पर्धा ने हमारा मुद्दा कभी सुलझने नहीं दिया. कांग्रेस राज में 8 साल पहले भाखड़ा नहर और धरौदी माइनर को जोड़ने के लिए 9 लाख से एक लिंक भी बनाया गया था. लेकिन पानी नहीं छोड़ा गया. इस लिंक में लगे ईंट पत्थर भी निकलने लगे हैं और ये बुरी हालत में है.’

नरवाना इलाके में कैंसर एक महामारी का रूप लेने लगा है. जिसके चलते इन 11 गांव के लोग भूमिगत पानी की तुलना किसी दैत्य से करते हैं. अब तक करीब सैंकड़ों लोग कैंसर की बीमारी से मर चुके हैं. मौजूदा समय में इन गांवों के करीब 10-15 कैंसर के मामले हैं. गांव वालों के मुताबिक गांव में फैल रही इन सभी बीमारियों का कारण खराब पानी है.

इन गांवों के बच्चों को अक्सर दस्त और उल्टी की शिकायत भी रहती हैहेपेटाइटिस सी के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही हैहालांकि इस मुद्दे पर जींद के सिविल अस्पताल के डॉक्टर गोयल का कहना है कि अभी तक ऐसी स्टडी सामने नहीं आई है जिसके आधार कहा जा सके कि पानी की वजह से कैंसर हो रहा है. हेपेटाइटिस सी की वजह पानी नहीं ब्लड होता है. गांवों में अंधविश्वास और अफवाहों की वजह से ऐसा कहा जा रहा है.

पानी को ‘दैत्य’ कहकर कोसते 11 गांव के लोग

धरौदी गांव की 6 वर्षीय अनु ने तीन दिन पहले स्कूल जाना बंद कर दिया है. एक साल पहले जब परिवार को उसकी आंख में फुंसी जैसा कुछ मिला तो उन्होंने डॉक्टरों को दिखाया तो पता चला कि उसे आंख का कैंसर है. अब दूसरी आंख में भी इंफेक्शन शुरू हो गया है. अनु की दादी बताती हैं, चार रोज पहले ये दीवारों को टक्कर मारने लगी. चप्पल जमीन पर लोटकर खोजने लगी. हम इसे अंधा होते हुए देख रहे हैं तो हमारे कलेजे पर सांप लोटता है. इस जहरीले पानी का नाश हो.

बबीता( बदला हुआ नाम) | तस्वीर- मनीषा मोंडल

24 वर्षीय बबीता 3 साल पहले शादी करके इसी गांव में आई थीं. शादी के तीन महीने बाद उसे तेज प्यास लगी और गला सूखने लगा. अब डॉक्टरों के चक्कर काट रही बबीता की सास कहती हैं, ये दिनभर उल्टी करती है. इसे तीन साल में माहवारी भी नहीं आई है. इसकी आंखें सूजकर बाहर आने को हैं. हमने एम्स से लेकर चंड़ीगढ़ के हर डॉक्टर को दिखा लिया. इस जहरीले पानी ने मेरे बेटे और बहू की जिंदगी बर्बाद कर दी है.


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क्या कहते हैं सरकार और नेता

नरवाना के इनेलो विधायक पिरथी नंबरदार ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं ये मामला चार बार विधानसभा में उठा चुका हूं. कल भी मुख्यमंत्री से मिलकर आया हूं. साथ में रामबिलास शर्मा (शिक्षामंत्री) भी बैठे थे. उन्होंने साफ-साफ कहा है कि भाखड़ा नहर में ज्यादा पानी नहीं है. जितना है उतना हम दे रहे हैं. मैंने सवाल भी उठाया कि धसौला माइनर में भी तो दिया जा रहा है लेकिन मुख्यमंत्री की नीयत साफ नहीं है.’

वो आगे कहते हैं, ‘मैंने कह दिया कि अभी तो ये आराम से पानी मांग रहे हैं. ये लोग कोई और रास्ता चुनेंगे तो दिक्कत होगी.’

वहीं, मुख्यमंत्री के पीए का कहना है कि अभी तक ये मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है. वो संबंधित अधिकारियों से बात करके बताएंगे.

सिंचाई विभाग के सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी ने दिप्रिंट को बताया, ‘धरौदी माइनर के जरिए इनको पीने का पानी दिया जा रहा है. सबको इतना ही पानी मिल रहा है. हिसार के कुछ इलाकों के लोग सालों से धरने पर बैठे रहे हैं क्योंकि उनको पीने के लिए भी पानी नहीं मिलता. हम उनका पानी कम करके इन गांवों को कैसे दे सकते हैं? पहले जो माइनर बनाए गए हैं वो भी अवैध हैं. एक माइनर इन 11 गांवों को दिया जाएगा तो फिर बाकी इलाके के लोग भी मांगेंगे. इन लोगों की मांग जायज नहीं है और विभागीय तौर पर अभी हम कुछ नहीं कर सकते.’

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