जम्मू, 29 नवंबर (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को उनके ‘खराब फैसले’ के लिए जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि इस फैसले के कारण मस्जिदों में तलाशी ली गई है और यह देश को विभाजन की ओर धकेल सकता है, क्योंकि धर्मनिरपेक्षता की नींव हिल रही है।
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कार्रवाइयां विकास और नौकरियों जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए विभाजनकारी विषयों की ओर ले जा रही हैं।
मुफ्ती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं कहना चाहती हूं कि हमारे पूर्व प्रधान न्यायाधीशों में से एक ने ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में फैसला देकर इस देश के लिए बहुत बुरा काम किया है जो शिकायत करने पर कार्रवाई की अनुमति देता है।’
उन्होंने कहा, ‘यह देश को विभाजन की ओर ले जाएगा। यह हमें रक्तपात की ओर ले जा रहा है, जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश में कुछ घटनाओं में देखा, जहां अराजकता में चार-पांच निर्दोष लोग फंस गए।’
सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने के उच्चतम न्यायालय के पिछले फैसले का हवाला देते हुए मुफ्ती ने कहा, ‘यह 1991 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सभी धार्मिक स्थलों की स्थिति, जैसी 1947 में थी (चाहे वे मंदिर हों या मस्जिद) में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्यवश, पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसके कारण ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि हर मस्जिद में शिवलिंग की खोज की जा रही है। यह हस्तक्षेप अजमेर शरीफ जैसे पवित्र मुस्लिम स्थलों तक भी पहुंच गया है, जो हिंदुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।’
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि अजमेर शरीफ में प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए मुसलमानों की तुलना में अधिक हिंदू जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह दरगाह 800 साल से भी अधिक पुरानी है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो मुझे डर है कि वे जल्द ही मुस्लिम घरों की तलाशी लेना शुरू कर देंगे।’
ऐसे मुद्दों पर बिगड़ती स्थिति की ओर इशारा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जवाहरलाल नेहरू, गांधी जी, मौलाना अबुल कलाम आजाद और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने इस देश का निर्माण धर्मनिरपेक्षता की नींव पर किया था। अब वही नींव हिल रही है। हिंदू और मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है।’
भाषा
शुभम अविनाश
अविनाश
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