नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में एक शॉपिंग मॉल परियोजना के संचालन में भ्रष्टाचार और वित्तीय कदाचार के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने सीबीआई को उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक दंड संहिता के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है।
अदालत ने 30 अप्रैल के अपने आदेश में मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख तय की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कई सरकारी अधिकारी, रियल एस्टेट डेवलपर्स, कॉरपोरेट किराएदार और सब-रजिस्ट्रार भी करोड़ों रुपये के ‘भूमि घोटाले’ में शामिल थे।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पश्चिमी दिल्ली में स्थित मॉल के संचालन और प्रबंधन में अवैध और धोखाधड़ी वाली गतिविधियों को अंजाम दिया गया।
इसमें आरोप लगाया गया है कि कॉरपोरेट संस्थाओं, उनके निदेशकों, सरकारी अधिकारियों और उप-पट्टेदारों ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा इसके स्थायी पट्टा विलेख को समाप्त किये जाने के बावजूद सरकारी खजाने को चूना लगाने और संपत्ति में गैरकानूनी रूप से तीसरे पक्ष के हितों को सुनिश्चित करने की साजिश रची।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा और वकील गौरव गुप्ता कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 6085 वर्ग मीटर के भूखंड के लिए मूल स्थायी पट्टा 2007 में डीडीए द्वारा दिया गया था। हालांकि, जमीन के किराए और रूपांतरण शुल्क सहित 25 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि का भुगतान न करने के कारण डीडीए ने जनवरी 2020 में पट्टे को समाप्त कर दिया था।
भाषा संतोष पवनेश
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