तिरुवनंतपुरम, सात अक्टूबर (भाषा) सबरीमला भगवान अयप्पा मंदिर का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) ने मंदिर की ‘द्वारपालक’ मूर्तियों पर सोना चढ़ाने में कथित अनियमितताओं के संबंध में मंगलवार को एक वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित कर दिया।
टीडीबी ने एक बयान में कहा कि वर्तमान में उप देवस्वओम आयुक्त (हरिपद) के रूप में कार्यरत बी मुरारी बाबू को जांच लंबित रहने तक निलंबित कर दिया गया है।
बयान में कहा गया है कि मंदिर में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए बाबू ने 17 जुलाई, 2019 को सबरीमला कार्यकारी अधिकारी को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करके ‘गंभीर चूक’ की, जिसमें मंदिर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर पाए गए सोने की परत वाले द्वारपालक की मूर्तियों को गलत तरीके से तांबे की परत वाला बताया गया।
अलप्पुझा में पत्रकारों से बातचीत में बाबू ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि टीडीबी ने अभी तक उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है।
उन्होंने दावा किया, ‘मैंने उस समय मंदिर के तंत्री की राय लेने के बाद प्रक्रियाओं के अनुसार एक प्रारंभिक रिपोर्ट दी थी। उस रिपोर्ट में मैंने लिखा था कि तांबे की परत है…मैंने ऐसा क्यों लिखा? क्योंकि यह तांबे की परत थी। उसमें तांबे की परत स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।’
सोमवार को केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमला में संरक्षक देवता की मूर्तियों को सोने से मढ़े तांबे की परत के कम वजन से संबंधित कथित अनियमितताओं की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का निर्देश दिया।
वजन में कमी का मामला इस वर्ष उच्च न्यायालय को सूचित किए बिना मूर्ति की बाहरी परत को पुनः स्वर्ण-लेपन के लिए भेजने के निर्णय पर अदालती कार्यवाही के दौरान प्रकाश में आया।
यह पता चला कि जब 2019 में सोने की परत चढ़ाने के लिए भगवान अयप्पा मंदिर से आवरण को हटाया गया था, तो उसका वजन लगभग 4.5 किलोग्राम कम हो गया था। इस तथ्य के बारे में देवस्वओम अधिकारियों ने बताया नहीं था।
पिछले सप्ताह अदालत ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के टी शंकरन की देखरेख में सबरीमला मंदिर में सोने सहित सभी मूल्यवान वस्तुओं की एक व्यापक सूची बनाने का आदेश दिया था।
भाषा आशीष नरेश
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