scorecardresearch
सोमवार, 16 जून, 2025
होमदेशउच्चतम न्यायालय ने खनिज संसाधनों पर कर से संबंधित 35 साल पुराने विवाद का निपटारा किया

उच्चतम न्यायालय ने खनिज संसाधनों पर कर से संबंधित 35 साल पुराने विवाद का निपटारा किया

Text Size:

नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 35 साल पुराने विवाद का निपटारा कर दिया, जिसके बाद खनिज संसाधनों से राजस्व अर्जित करने को लेकर केंद्र और राज्यों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि खनिज संसाधनों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है। इसके साथ ही संविधान पीठ ने 1989 में दिए गए सात-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने यह भी कहा कि रॉयल्टी एक कर नहीं है। हालांकि पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने अपने फैसले में इससे असहमति जाहिर की।

‘इंडिया सीमेंट लिमिटेड’ बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में 1989 के फैसले में, सात-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि रॉयल्टी एक कर है और राज्य विधानसभाओं के पास खनिज संसाधनों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है क्योंकि यह विषय खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के अंतर्गत आता है।

साल 2004 तक कई उच्च न्यायालयों ने 1989 के फैसले को नजीर माना। 2004 में शीर्ष अदालत की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य बनाम केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड मामले में फैसला सुनाया कि इंडिया सीमेंट मामले में निर्णय एक ‘गलतफहमी’ के कारण हुआ था। अदालत ने स्पष्ट किया था कि ‘रॉयल्टी कोई कर नहीं है।”

‘इंडिया सीमेंट’ और केसोराम इंडस्ट्रीज के फैसले के बाद, राज्य विधानसभाओं ने कर के रूप में रॉयल्टी को लागू करके संविधान की द्वितीय सूची की प्रविष्टि 49 का अनुसरण करते हुए खनिज वाली भूमि पर कर लगाने के लिए अपनी विधायी शक्तियों इस्तेमाल किया।

राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी खदानों से एकत्र कोयले और कोयला मिट्टी की ढुलाई के लिए पर्यावरण एवं स्वास्थ्य उपकर और शुल्क लगाने की बात कही थी।

पिछले कुछ वर्षों में शीर्ष अदालत में 80 से अधिक याचिकाएं दायर की गईं, और चूंकि इंडिया सीमेंट मामले पर सात न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया था, इसलिए मामले को 30 मार्च, 2011 को एक आधिकारिक फैसले के लिए नौ-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया था।

भाषा जोहेब राजकुमार

राजकुमार

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments