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Friday, 29 March, 2024
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SC ने शिवसेना नाम और उसके चिन्ह को लेकर EC के फैसले पर स्टे लगाने से किया मना

सुप्रीम कोर्ट ने विरोधी खेमे के एकनाथ शिंदे से याचिका पर जवाब फाइल करने को कहा है और मामले को दो हफ्ते बाद के लिए सूचीबद्ध किया है.

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को आवंटित किए गए शिवसेना नाम और तीर-कमान चिन्ह के चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे लगाने से मना कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘हम इस स्टेज पर आदेश पर स्टे नहीं लगा सकते.’

SC ने स्पष्ट किया कि उद्धव ठाकरे खेमा कानून के अन्य उपायों को अपना सकता है यदि कोई कार्रवाई की जाती है, जो कि चुनाव आयोग के आदेश पर आधारित न हो. शीर्ष अदालत ने मामले को दो हफ्ते बाद के लिए सूचीबद्ध किया है.

वरिष्ठ वकील कपिल शर्मा ने एससी से अंतरिम राहत देने पर जोर दिया और कहा कि वे ऑफिस दर ऑफिस ले रहे हैं, और गुजारिश की कि अदालत यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे.

सुप्रीम कोर्ट ने विरोधी खेमे के एकनाथ शिंदे से याचिका पर जवाब फाइल करने को कहा है.

मंगलवार को, कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि याचिका पर सुनवाई बुधवार को हो, यह पेश करते हुए कि यदि चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती नहीं दी जाती है, तो प्रतिद्वंद्वी गुट पार्टी के बैंक खातों सहित अन्य चीजों के अलावा सब कुछ अपने कब्जे में ले लेगा.

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सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर संविधान पीठ की सुनवाई पूरी करेंगे और इसके बाद बुधवार को चुनाव आयोग के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने वाली याचिका पर सुनवाई करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि वह पहले मामले को पढ़ेगी.

शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना नाम और तीर-कमान चिन्ह सीएम शिंदे के नेतृत्व वाले विरोधी गुट को दिए जाने को चुनौती दी है.

सोमवार को फाइल की गई याचिका में उद्धव ने कहा है कि ईसीआई यह समझने में नाकाम रहा है कि उनका गुट विधान परिषद और राज्यसभा में बहुमत में है.

याचिका में उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि इस मामले में केवल विधायी बहुमत, चुनाव आयोग द्वारा आदेश पारित करने का आधार नहीं हो सकता है.

चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए, उद्धव ठाकरे ने कहा कि पोल पैनल अपने फैसले में गलत था और कहा कि, ‘आक्षेपित आदेश (चुनाव आयोग के फैसले) का पूरा ढांचा प्रतिवादी (शिंदे) के कथित विधायी बहुमत पर आधारित है जो एक मुद्दा है शीर्ष अदालत द्वारा इसे संविधान पीठ में तय किया जाएगा.’


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