नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और अन्य से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें अग्निशमन सेवाओं, सड़क आपातकालीन प्रतिक्रिया और आपदा तैयारी में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और कर्मियों की कमी का आकलन करने और उसे पूरा करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 2019 में सूरत में आग लगने की घटना में अपनी बेटी को खो दिया था।
शीर्ष न्यायालय ने केंद्र और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) सहित अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘नोटिस जारी करें, जिसका जवाब चार हफ़्तों के भीतर दिया जाए।’
याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पेश हुआ और उसने दावा किया कि भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता, 2016 का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है और देश भर में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं।
याचिका में अनुरोध किया गया है कि आपातकालीन प्रतिक्रिया की उपलब्धता और प्रदर्शन पर एक राष्ट्रव्यापी जवाबदेही डैशबोर्ड स्थापित किया जाए और जिलावार अग्नि जोखिम ऑडिट को अनिवार्य बनाया जाए। इसमें डेटा को सार्वजनिक करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है।
इसमें एनडीएमए और अग्निशमन सेवाओं के नियमों के कार्यान्वयन की निगरानी करने तथा दोषी अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने के लिए एक उच्च स्तरीय न्यायिक आयोग के गठन का भी अनुरोध किया गया है।
याचिका में घटना से संबंधित पीड़ितों के मामलों को तेजी से निपटाने के लिए एक राष्ट्रीय विशेष पीठ या न्यायाधिकरण के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में केंद्र को ‘सभी आपदा-संबंधी मौतों के लिए एक समान राष्ट्रीय वित्तीय मुआवजा तंत्र तैयार करने, प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए समान सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने’ का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
भाषा नोमान पवनेश
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