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Saturday, 20 April, 2024
होमदेश'दिल्ली की हिंदुत्व सरकार में सिखों को भरोसा नहीं'- पंजाब में नेताओं ने केंद्र के खिलाफ संभाला मोर्चा

‘दिल्ली की हिंदुत्व सरकार में सिखों को भरोसा नहीं’- पंजाब में नेताओं ने केंद्र के खिलाफ संभाला मोर्चा

शुक्रवार को फरीदकोट की 'हत्याओं' की 7वीं बरसी पर एक सभा का आयोजन किया गया, जहां कथित पुलिस की गोलीबारी में 'गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी' की घटना का विरोध करने वाले दो सिख आंदोलनकारी मारे गए थे.

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फरीदकोट: ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के जोरदार जयकारों के बीच सिख नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र में बहुसंख्यक हिंदू सरकार में सिखों को हाशिए पर रखा गया है और दावा किया कि खालसा या सिख समुदाय सत्ता और राजनीति से ऊपर है और धर्म के एकमात्र रक्षक हैं. इन नेताओं में ‘वारिस पंजाब डे’ संगठन के नवनियुक्त प्रमुख अमृतपाल सिंह संधू और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सांसद संगरूर, सिमरनजीत सिंह मान भी शामिल थे.

पंजाब के फरीदकोट में बहबल कलां ‘हत्याओं’ की सातवीं बरसी के अवसर पर शुक्रवार को राष्ट्रीय राजमार्ग 54 पर शहीदी समागम में आयोजित एक सभा में यह टिप्पणियां की गईं. 14 अक्टूबर, 2015 को कथित पुलिस गोलीबारी में बरगारी गांव में ‘गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना’ का विरोध करते हुए दो सिख ग्रामीणों की मौत हो गई थी.

मान ने आरोप लगाते हुए कहा ‘दिल्ली की हिंदुत्व सरकार में सिखों को भरोसा नहीं है.’

आरोपों का जवाब देते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता आरपी सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार भारत के संविधान पर चलती है, न कि किसी एजेंडे पर. लोकतंत्र में सभी धर्मों के लिए जगह है, लेकिन कानून के ढांचे के भीतर रहते हुए. सिखों के लिए विशेष प्रावधान हैं. उन्हें संविधान की धारा 25(2) (b) के अनुसार कृपाण (खंजर) रखने की अनुमति दी गई है.’

उन्होंने कहा, ‘ये बयान राजनीतिक उद्देश्यों के लिए जान-बूझकर हिंदुओं और सिखों के बीच दरार पैदा करने के लिए दिए गए हैं. वह (मान) वोट बैंक की राजनीति के लिए विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं.

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Simranjit Singh Mann at the protest | Photo: Gangandeep Singh | ThePrint
विरोध के दौरान सिमरनजीत सिंह मान | फोटो: गगनदीप सिंह | दिप्रिंट.

शुक्रवार की सभा का आयोजन बहबल कलां गांव निवासी सुखराज सिंह ने कथित बेअदबी और हत्याओं के लिए न्याय की मांग को लेकर किया था.

सुखराज ने अपने पिता भगवान कृष्ण सिंह को सात साल पहले खो दिया था. कथित पुलिस फायरिंग में मारे गए दो लोगों में से वह एक थे. यह घटना उसी स्थान पर घटी थी जहां शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया. वह दोषियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर उसी सड़क पर बैठे हैं, जहां उनके पिता की हत्या की गई थी.

1 जून 2015 को सिख पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव से चुराया गया गया था और 12 अक्टूबर 2015 को बरगारी गांव में इसके फटे हुए पन्ने कथित तौर पर बिखरे हुए पाए गए थे. इसके बाद आसपास के गांवों के लोगों ने विरोध करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग को कई जगहों पर अवरुद्ध कर दिया. आरोप लगाया गया कि जब उन्होंने वहां से तितर-बितर होने से इनकार कर दिया तो पुलिस ने उनकी शांतिपूर्ण सभा पर गोलियां चला दी.

सुखराज सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘14अक्टूबर को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की कोशिश की. इस कोटकपूरा-टू-भटिंडा रोड पर यह तीसरा विरोध प्रदर्शन था. पुलिस ने गोलियां चलाईं और मेरे पिता की मौत हो गई. हमारी मांग पहले दिन से ही रही है कि गोली चलाने वालों और हमारी पवित्र पुस्तक का अनादर करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए.’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें और कई पुलिस जांच दल दोषियों को सजा दिलाने में विफल रहे हैं.

‘सिख हुकूमत घोषित करो’

अपने उग्र भाषणों के लिए सिख युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहे संधू ने कहा, कानून ने सिखों को गुलाम बना रखा है. डेढ़ महीने के बाद उन्हें शांतिपूर्वक विरोध करना बंद कर देना होगा.

वह उस डेढ़ महीने का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान – जिन्होंने शुक्रवार के कार्यक्रम में संधू के सामने जनता को संबोधित किया था – ने दावा किया था कि बेअदबी और हत्या के आरोपों की जांच इतने समय में पूरी हो जाएगी.

संधू ने कहा, ‘डेढ़ महीने के बाद हमें अपने सिख हुकूमत (शासन) की घोषणा कर देनी चाहिए. हम 150 सालों से गुलामी का सामना करते आ रहे हैं. पहले हमें अंग्रेजों ने गुलाम बनाया और फिर हिंदुओं ने. हमने गुलाम मानसिकता विकसित की है.’

हालांकि संधू के बोलने से पहले ही संधवान मंच से चले गए थे.

Books being sold at the protest site | Photo: Sonal Matharu | ThePrint
विरोध स्थल पर बेची जा रही किताबें | फोटो: सोनल मथारू | दिप्रिंट

अमृतसर नॉर्थ के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह, अमृतसर दक्षिण के विधायक इंद्रबीर सिंह निज्जर और महल कलां के विधायक कुलवंत सिंह पंडोरी जैसे अन्य आप नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में बोलने वाले अन्य नेताओं में दल खालसा के प्रवक्ता परमजीत सिंह मंड और गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लाखा सिधाना शामिल थे.

लेकिन मान और संधू के भाषणों ने भीड़ को खासा प्रभावित किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि न तो शिरोमणि अकाली दल और न ही राज्य की कांग्रेस सरकारों ने मामले को बंद किया है, लोगों को नई आप सरकार से भी ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए, जिसका दिल्ली में पावर सेंटर है.

प्रदर्शनकारियों में से एक बिट्टू सिंह भट्टी ने कहा, ‘हमें आप सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. इससे पहले कांग्रेस नेता बरगाड़ी आए थे, जहां हम छह महीने से धरना दे रहे थे. मैं लगभग हर दिन वहां जाता था. हमें किसी ने इंसाफ नहीं दिया. आज कुलतार सिंह संधवान ने हमसे 1.5 महीने का समय मांगा है. आइए देखें कि वे क्या करते हैं. तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. हमने सुना है कि प्रशासन ने हमारे लोगों को यहां विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से रोक दिया है. जब ये हमारे ही लोगों को रोकेंगे तो ये लोग हमें कैसे इंसाफ देंगे.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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