scorecardresearch
Friday, 29 March, 2024
होमदेशअपराध'वो स्पोर्ट्स टीचर बनना चाहती थी': नेशनल लेवल की खो-खो खिलाड़ी की हत्या, जो अकेली परिवार की आस थी

‘वो स्पोर्ट्स टीचर बनना चाहती थी’: नेशनल लेवल की खो-खो खिलाड़ी की हत्या, जो अकेली परिवार की आस थी

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 24 वर्षीय महिला का शव उसके घर से महज 100 मीटर की दूरी पर रेलवे ट्रैक के पास मिला. मंगलवार को रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले एक दिहाड़ी मजदूर को गिरफ्तार कर लिया गया.

Text Size:

बिजनौर: उसने सपना देखा था कि वो आगे चलकर स्पोर्ट्स की टीचर बनेगी. 24 साल की उस लड़की ने अपनी जिंदगी को लेकर कई सपने बुने थे. वो खो-खो में नेशनल लेवल की खिलाड़ी तो थी ही साथ ही महत्त्वाकांक्षी भी थी.

लेकिन बीते शुक्रवार को न केवल उसके सपनों को बल्कि उसकी दिन के उजाले में बेरहमी से हत्या कर दी गई. उत्तर प्रदेश के बिजनौर की रहने वाली इस खिलाड़ी का शव उसके घर से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर छत-विक्षत स्थिति में मिला.

परिवार के अनुसार, दस सितम्बर को वो स्पोर्ट्स टीचर की नौकरी के लिए एक स्थानीय निजी स्कूल में अपना बायोडाटा जमा करने गयी थी. हमेशा की तरह वो अपने घर के पीछे वाले रेलवे ट्रैक के पास के शॉर्टकट वाले रास्ते से घर वापस जा रही थी, जिसे वह हमेशा आने जाने के लिए इस्तेमाल करती थी. लेकिन इस बार जब वो गयी, तो जिंदा लौट कर घर नहीं आई.

उसका शव शुक्रवार को घर के पीछे के इलाके में मिला, जहां आस पास रेलवे के बड़े बड़े सीमेंट के स्लीपर रखे हुए हैं. उसके बाल बिखरे हुए थे, नाक से खून बह रहा था और उसके खुद के दुपट्टे से उसका गला घोंटने का प्रयास किया गया था.

परिवार का मानना था कि उसके साथ बलात्कार किया गया था लेकिन बिजनौर पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर यौन उत्पीड़न से इनकार किया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

पुलिस ने 23 वर्षीय आरोपी शहजाद को गिरफ्तार करने का भी दावा किया है, जो एक दिहाड़ी मजदूर है और रेलवे स्टेशन पर माल गाड़ी में सामान उतरता और चढ़ाता है. शहजाद आदमपुर गांव का रहने वाला है जो बिजनौर से करीब 1.5 किलोमीटर दूर है.

मंगलवार को जारी एक प्रेस बयान में, बिजनौर पुलिस ने दावा किया है कि आरोपी ने स्वीकार किया था कि उसने युवती के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया था, लेकिन जब वह चिल्लाई तो वो घबरा गया और फिर उसके ही दुपट्टे और पास पड़ी एक रस्सी से उसका गला घोंट दिया.

पुलिस के बयान के मुताबिक शहजाद नशे का आदी था, जो 24 साल की युवती पर बुरी नज़र रखता था.

‘वह लड़की रेलवे स्टेशन के उस पार से गुज़रती थी और मेरी नीयत उसे देखकर खराब हो जाती थी. उस दिन मेरे पास कोई काम नहीं था इसलिए मैं पटरियों पर बैठा था और मैंने गांजे का नशा भी किया हुआ था, मैंने उसे करीब 12 बजे वहां से गुजरते हुए देखा और मैं उसके लौटने का इंतजार करता रहा.’

पुलिस के मुताबिक, युवती वापस लौटी तो शहजाद ने रेप करने की नीयत से उसे सीमेंट के रेलवे स्लीपरों के ढेर की तरफ खींच लिया. लेकिन जैसे ही वह चिल्लाई, वह घबरा गया और रस्सी और दुपट्टे से उसका गला घोंटने की कोशिश की. वह बेहोश हो गई और शहजाद रस्सी और उसका मोबाइल फोन लेकर भाग गया.

पुलिस के अनुसार, उन्होंने युवती के मोबाइल फोन की लास्ट लोकेशन का पता लगाया, जो आखिरी बार शहजाद के घर के पास मिला था.

उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने खून से सना एक शर्ट बरामद किया है जिसे उसने अपराध के दौरान पहना था, जिसमें से दो बटन कथित तौर पर अपराध स्थल पर पाए गए थे. पुलिस ने कहा कि हाथा-पाई के कारण उसके चेहरे, गर्दन और छाती पर चोट के निशान भी थे. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक युवती की मौत का कारण गला घोंटना बताया जा रहा है.

मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में बिजनौर के एसपी डॉ धर्मवीर सिंह ने कहा कि शहजाद का पहले भी कानून के साथ टकराव रहा है. ‘वह आदतन अपराधी है; रेलवे पुलिस ने उसे चोरी के मामले में तीन बार गिरफ्तार किया है.’


यह भी पढ़ें: UP के सुल्तानपुर में 22 दिनों तक बेटे का शव डीप फ्रीजर में रखा, मिली दोबारा पोस्टमार्टम की इजाजत


बड़े सपनों वाली खो-खो खिलाड़ी

24 वर्षीय युवती चार बच्चों के परिवार में दूसरे नंबर पर थी. उसकी बड़ी बहन बिजनौर में एक ट्यूबवेल ऑपरेटर के रूप में काम करती है, जबकि उसके दो छोटे भाई अभी भी पढ़ रहे हैं – बड़ा एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में है जबकि सबसे छोटा 10वीं कक्षा का छात्र है.

उसकी मां घरेलू सहायिका का काम करती है, जबकि पिता पास की एक चीनी मिल में दिहाड़ी पर मजदूरी करते है. वे रेलवे ट्रैक से सटी कॉलोनी के कुछ दलित परिवारों में से एक हैं.

परिवार के अनुसार युवती उनकी उम्मीद थी.

उसकी बहन ने कहा, ‘यहां तक कि अगर सिफ नुमाइश के लिए भी खेल आयोजन हो रहा था, तो वह उसमें भाग लेती थी.’ ‘हमारा घर खेल प्रतियोगिताओं के इनामों – कंबल, बैग, क्रॉकरी आइटम इत्यादि से भरा हुआ है’.

खेल में जीते हुए कई सर्टिफिकेट्स के ढेर को पलटते हुए, उसकी बड़ी बहन जोर से उसपर लिखे हुए वाक्य को पढ़ती है, ‘वह मुरादाबाद में इस प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रही, नागपुर में भी इस प्रतियोगिता में’ … ‘ खिलाड़ियों की सामूहिक फोटो में अपनी बहन को पहचानती हुई बहन लगभग बेसुध हो जाती है.

फोटो पलटती हुई एक फोटो देखकर बहन अचानक चिल्लाई, ‘ये रही मेरी बहन, देखो वो कितनी सुंदर थी.’

बहन ने कहा, ‘वह एक बहुत ही प्रतिभाशाली लड़की थी… वह खेलों में अपना करियर बनाने की इच्छुक थी. सिर्फ खो-खो ही नहीं, वह हर वो खेल जिसमें भाग लेने का मौका मिल जाता था वो खेलती थी – चाहे वह बास्केटबॉल हो या एथलेटिक्स.’.

बहन बताते बताते एक दम से कहती है, ‘वह ट्यूशन कर परिवार की आर्थिक मदद कर रही थी. मेरे माता-पिता और छोटे भाई अब कैसे रहेंगे?’

बिजनौर में जिला खो-खो संघ के सचिव मुकुल कुमार के अनुसार, 24 वर्षीय एक होनहार एथलीट थी, जिसने 2016 में महाराष्ट्र के सोलापुर में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लिया था, जहां उसने बिहार का प्रतिनिधित्व किया था.

कुमार ने कहा, ‘वह 2016 में यूपी टीम में शामिल नहीं हो सकी क्योंकि यहां बहुत कंपटीशन था.इसलिए, उसने बिहार में ट्रायल दिया और राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए अपनी टीम में चुनी गई.’ ‘वह एक बार यूपी टीम में शामिल हो गई, लेकिन वायरल बुखार के कारण, वह राष्ट्रीय शिविर में भाग नहीं ले सकी.’

वह उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में शारीरिक शिक्षा में स्नातक की पढ़ाई कर रही थी और ऑनलाइन कक्षाओं और लॉकडाउन के कारण घर वापस आ गयी थी.

मां अपनी बेटी की मौत के बाद से बार बार बेसुध हो रही है.वो कहती हैं,  ‘मेरी बेटी घर के कामों में मेरी मदद करती थी और अपनी नौकरी और बाहर के काम भी निपटा लेती थी. मैंने अपने बच्चों को मजदूरी कर कर के पढ़ाया.. हम तो बस अंगूठा छाप हैं. अब वो वापिस कॉलेज जाने वाली थी कुछ दिनों में…लेकिन अब वो हमेशा के लिए चली गयी.’

जिस रास्ते को हर कोई इस्तेमाल करता था, उस पर जाने से अब उन्हें वो भयानक मंज़र याद आता है. पास ही एक घर की सीसीटीवी फुटेज में वो आखिरी बार निकलते हुए दिखाई दी थी.

मां रोते हुए कहती है, ‘हंसती खेलती जा रही थी मेरी बच्ची … क्या पता था वापसी ही नहीं आएगी.’


य़ह भी पढ़ें: कैसे इस कश्मीरी हिंदू नेता की हत्या के कारण पंडितों का घाटी से पलायन हुआ


सीमा को लेकर पुलिस में विवाद

परिवार के अनुसार 24 वर्षीय युवती शुक्रवार की सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर डीडीपीएस स्कूल में नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए घर से निकली थी.

दोपहर करीब दो बजे जब परिजनों ने उसे फोन करने की कोशिश की तो उसका फोन स्विच ऑफ था. दोपहर करीब ढाई बजे एक रिश्तेदार ने उन्हें सूचित किया कि लड़की का शव उनके घर के पीछे रेलवे ट्रैक के पास सीमेंट रेलवे स्लीपरों के ढेर के बीच पड़ा है. परिवार के अनुसार, उसके दस्तावेज जिसमें उसके प्रमाण पत्र, टिफिन और बैग के साथ एक फाइल शामिल थी, उसके शरीर के चारों ओर पड़े थे.

इसके बाद परिजन उसे बिजनौर के बीना प्रकाश अस्पताल ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

हालांकि, युवती की बहन ने कहा कि दोपहर 2:30 से 7 बजे के बीच, न तो सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) और न ही बिजनौर पुलिस यह तय कर सकी कि मामला किसके अधिकार क्षेत्र में आता है.

आखिरकार रात 10 बजे जीआरपी नजीबाबाद पुलिस स्टेशन में परिवार के खाते में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत नष्ट करना) और 376 (बलात्कार) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई और बाद में मामला नगर पुलिस को सौंप दिया गया.

शहजाद की गिरफ्तारी के बाद, आईपीसी की धारा 511 ( दंडनीय अपराध करने का प्रयास) को भी जोड़ा गया.

मामले की देखरेख कर रहे मुरादाबाद के डीआईजी शलभ माथुर ने कहा कि मामला सुलझने के बाद अधिकार क्षेत्र के मामले पर बिजनौर पुलिस से चर्चा की जाएगी.

जीआरपी नजीबाबाद के एक अधिकारी ने हालांकि कहा कि अधिकार क्षेत्र को लेकर बिजनौर पुलिस और जीआरपी के बीच कोई विवाद नहीं था. जीआरपी सब इंस्पेक्टर सर्वेज़ खान ने कहा, ‘निकटतम रेलवे स्टेशन नजीबाबाद था, जो 40 किमी दूर है. मामला रात 10 बजे दर्ज किया गया था, लेकिन विवरण रात 8 बजे के आसपास दर्ज किया गया था. ‘ ‘नजीबाबाद पुलिस स्टेशन पहुंचने में 1.5 घंटे लगते हैं. इससे पहले वे लड़की को अस्पताल भी ले गए थे.’

पड़ोस में मातम

हत्या से मोहल्ले में दहशत का माहौल है.

एक पड़ोसी ने कहा, ‘मैं अपने जीवन के 30-35 वर्षों से यहां रह रही हूं. मैंने इतना भयानक कुछ नहीं देखा. बेचारी गरीब लड़की ने किसी के खिलाफ क्या किया.’

एक अन्य पड़ोसी, जिसके घर में 24 वर्षीया की मां घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है, ने कहा कि इन मां बाप अपने बच्चों के लिए कड़ी मेहनत की. ‘मां ने अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ किया है. उनके सभी बच्चे इतने सक्षम और प्रतिभाशाली हैं… इस एक घटना ने उन्हें उस जगह से बहुत पीछे धकेल दिया है जहां वे थे.’

एक रिश्तेदार ने कहा, ‘छोटा सा घर जिसमें परिवर रहता है, अभी अधूरा है. दीवारों पर सीमेंट या पेंट नहीं है. ‘इन माता-पिता ने अपने बच्चों की शिक्षा के लिए यही किया है. उन्होंने अपना सारा पैसा अपने बच्चों को शिक्षित करने पर खर्च कर दिया और एक ढंग का घर बनाने के बारे में भी नहीं सोचा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


य़ह भी पढ़ें: हाथरस ‘सामूहिक बलात्कार’ की घटना का एक साल: गहराता जाति विभाजन, कोर्ट रूम ड्रामा और एक बेटी की यादें


 

share & View comments