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सोमवार, 16 जून, 2025
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‘रुखमाबाई’: भारत की शुरुआती महिला चिकित्सक की जीवनी का विमोचन

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नयी दिल्ली, 15 फरवरी (भाषा) भारत की अग्रणी महिला चिकित्सकों में शामिल रुखमाबाई के जीवन पर एक नयी किताब बृहस्पतिवार को बाजार में आई है। प्रकाशक ‘पैनमैकमिलन इंडिया’ ने यह घोषणा की।

शिक्षाविद और लेखक सुधीर चंद्रा की लिखी यह पुस्तक “विद्रोही-चिकित्सक के असाधारण लेकिन अल्पज्ञात जीवन” पर नयी रोशनी डालती है, जिन्होंने अपने समय के मानदंडों को चुनौती देने का साहस किया था।

साल 1864 में जन्मीं रुखमाबाई औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गई थीं और 11 साल की उम्र में 19 वर्षीय दादाजी भीकाजी से उनकी शादी करा दी गई थी। उन्होंने उनके साथ रहने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें ‘दाम्पत्य अधिकारों की बहाली’ के लिए एक कठिन कानूनी मुकदमे का सामना करना पड़ा। इस मुकदमे के बाद सहमति से शादी की उम्र 10 से बढ़ाकर 12 वर्ष कर दी गई थी।

किताब के विवरण में लिखा है, “यह किताब 19वीं सदी की एक उपेक्षित भारतीय नारीवादी हस्ती की आधिकारिक जीवनी है। इसमें एक बालिका वधू की यात्रा का विवरण है, जिसने पितृसत्ता का सामना किया और भारत की शुरुआती महिला चिकित्सकों में एक बनकर उभरी।”

भाषा जोहेब वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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