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Friday, 19 April, 2024
होमदेशप्रियंका का कांग्रेस मुख्यालय में खास कमरा तैयार, छुट्टी से लौटी रणनीति बनाने में जुटीं

प्रियंका का कांग्रेस मुख्यालय में खास कमरा तैयार, छुट्टी से लौटी रणनीति बनाने में जुटीं

प्रियंका पार्टी की कमान संभालने को पूरी तरह से तैयार हैं. इसी कड़ी में पार्टी गुरुवार को बड़ी बैठक करने जा रही है जिसमें चुनावी बिगुल फूंका जाएगा.

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नई दिल्ली: प्रियंका गांधी लंबी छुट्टी बिताकर भारत लौट आई हैं. प्रियंका के वापस लौटते ही कांग्रेस पार्टी में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. आज सुबह कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बगल वाले कमरे पर प्रियंका गांधी के नाम का नेम प्लेट लगा दिया गया है.

बहन प्रियंका को राहुल ने वही कमरा दिया है जिसमें कभी वह खुद भी बैठा करते थे. वहीं लखनऊ में उनका कार्यालय तैयार किया जा रहा है. पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया है कि प्रियंका वहीं बैठेगी, जहां कभी दादी इंदिरा बैठा करती थीं. जबसे प्रियंका को पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाया गया है कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में अलग तरह का जोश देखने को मिल रहा है. वहीं विपक्षी पार्टियां प्रियंका को लेकर तरह-तरह के कमेंट भी कर रही हैं.

यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी लोक सभा चुनाव में प्रियंका के नाम का जादू चलता है या एकबार फिर से कांग्रेस को किसी और जादू का इंतजार करना पड़ता है. बीते दिसंबर में हुए पांच में से तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने के बाद राहुल गांधी जोश मे हैं. अब जब उन्होंने खुद को 2019 के चुनाव को करो या मरो की स्थिति में ला दिया है और वर्षों के इंतजार के बाद प्रियंका सक्रिय राजनीति में कदम रखने के लिए तैयार हैं तब देखना दिलचस्प होगा कि दोनों भाई बहन की जोड़ी क्या देश में चल रहे कांग्रेस मुक्त के नारे को खत्म कर पाती है?

भले ही अभी चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीख की घोषणा न की हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस सहित देश की सभी छोटी-बड़ी पार्टियों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. एक ओर जहां बहुत तेजी से तीसरा मोर्चा की तैयारी महागठबंधन के रूप होती दिखाई दे रही है.

कांग्रेस मुख्यालय में लगा प्रियंका के नाम का नेमप्लेट

कोलकाता में 19 जनवरी को हुई विपक्षी एकजुटता रैली में ममता ने ‘बदल दो, बदल दो, मोदी सरकार बदल दो’ के साथ चुनावी यलगार शुरू किया था जिसका एक नज़ारा पिछले तीन दिनों में संविधान बचाओ धरने के रूप में भी देखने को मिल रहा है. ममता को विपक्ष प्रधानमंत्री के रूप में दिखाने की कोशिश में लगा है, वहीं मायावती भी प्रधानमंत्री की प्रबल दावेदार बताई जा रही हैं. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से प्रियंका को लांच किया है उससे यह लगने लगा है कि लोकसभा 2019 का चुनाव कई मामलों में दिलचस्प होने जा रहा है.

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प्रियंका के साथ कांग्रेस ने भी कसी कमर

प्रियंका को जब कांग्रेस पार्टी की कमान दी गई तब वह देश में नहीं थी. वह परिवार के साथ विदेश में थी. प्रियंका के राजनीति में आने को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं. कल ही स्वदेश से वापस लौटीं प्रियंका, पार्टी की कमान और जिम्मेदारी संभालने को पूरी तरह से तैयार हैं. इसी कड़ी में पार्टी गुरुवार को बड़ी बैठक करने जा रही है जिसमें देशभर के महासचिव शामिल होंगे और चुनावी बिगुल फूंकेंगे.

इसके ठीक बाद शनिवार को राहुल गांधी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्षों से भी मुलाकात कर चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे. महासचिवों से इस बैठक में दोनों गांधी पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों से उनके राज्यों में लोकसभा के लिए योजना बनाने पर चर्चा करेंगे और योजना के कार्यान्वयन पर चर्चा करेंगे. वहीं पार्टी की रणनीति बनाई जाएगी और यह सारी बातों का कांग्रेस कार्यकारी समिति की बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा.

इस चुनाव में राहुल गांधी दूर की कौड़ी खेलने जा रहे हैं. एक अंग्रेजी दैनिक को दिए इंटरव्यू में राहुल ने कहा कि प्रियंका की भूमिका केवल उत्तरप्रदेश तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि वह पूरे देश में कांग्रेस के लिए काम करेंगी. उन्होंने कहा कि उनकी भूमिका राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित की गई है. उन्होंने कहा कि प्रियंका को अभी एक टास्क दिया गया है. इस टास्क की सफलता के बाद उन्हें दूसरा टास्क दिया जाएगा.

फिलहाल कांग्रेस की बड़ी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए बंद दरवाजों को खोलना है. पूर्वी उत्तरप्रदेश के महासचिव बनाए जाने का मकसद सिर्फ उत्तर प्रदेश के कुछ जिले नहीं, बल्कि इसमें बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तरप्रदेश भी शामिल है. इससे पहले 25 जनवरी को भुवनेश्वर में राहुल गांधी ने कहा था कि प्रियंका को लेकर किया गया फैसला दस दिन में नहीं हुआ, बल्कि सालों पहले ले लिया गया था.

ऐसे बदल दिया राहुल ने सारा समीकरण

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हो पाने के बाद कांग्रेस ने अकेले लड़ने का फैसला किया था. जिसको लेकर राहुल गांधी ने पार्टी को कम नहीं आंकने की बात कही थी. कांग्रेस ने पूर्वी उत्तरप्रदेश की 33 सीटों का जिम्मा प्रियंका गांधी को जबकि पश्चिमी उत्तरप्रदेश की सीटों की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंप, सभी को सकते में डाल दिया था. लेकिन प्रियंका को लेकर लगातार कई अटकलें लगाए जाते रहे हैं.

कितनी बड़ी गेमचेंजर होंगी प्रियंका

प्रियंका पार्टी के लिए पर्दे के पीछे से लगातार काम करती आ रही थीं, महत्वपूर्ण रणनीतिक बैठकों में वो शामिल होती रही हैं. अब देखना रोचक होगा कि मोदी और अमित शाह की जोड़ी में वो कैसे सेंध लगाती हैं. वैसे राजनीति की गहरी समझ रखने वाली प्रियंका की धारा प्रवाह हिंदी और बेबाक बातें क्या कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित होंगी? प्रियंका को भी अच्छी तरह पता है कि उनका परिवार और पार्टी अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है.

मोदी और शाह की अगुवाई में बीजेपी की सरकार भारत को कांग्रेस-मुक्त और गांधी-मुक्त बनाने पर तुली है. ऐसे में प्रियंका के लिए चैलेंज बड़ा हो जाता है. वहीं दूसरी तरफ उनको बहुत अच्छे से पता है कि उन्हें न केवल चुनावी मैदान में जंग लड़नी है बल्कि अपने भाई,मां और पति राबर्ट वाड्रा के खिलाफ चल रहे मामलों पर उठने वाले सवालों का जवाब भी देना है. वैसे तो कुंभ में प्रियंका को मां दुर्गा स्वरूपा दिखाया गया है और पूरे देश को उनमें दादी इंदिरा की छवि भी दिखती है. ऐसे में प्रियंका बहुत सारी जनता की आकांक्षाओं के साथ चुनावी मैदान में उतर रही हैं.

इन सबके बीच अभी यह भी तय होना है कि प्रियंका गांधी चुनाव कहां से लड़ेंगी. कार्यकर्ताओं की मांग तो है कि वे चुनाव में किसी और के खिलाफ नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़ी हों और चुनावी जंग लोकसभा की बनारस वाली सीट से लड़ें.

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