इंदौर, सात मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश के पीथमपुर के एक संगठन ने शुक्रवार को कहा कि वह इस औद्योगिक क्षेत्र के एक निपटान संयंत्र में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को जलाने के आठ दिन से चल रहे परीक्षण पर रोक लगाने की गुहार के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा।
कचरे को जलाने के परीक्षण का दूसरा दौर जारी रहने के बीच संगठन का दावा है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस प्रक्रिया के अधूरे आंकड़े पेश करके जनता को गुमराह कर रहा है।
भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक निजी कम्पनी के संचालित अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, इस कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए तीन दौर में किया जाना है और अदालत के सामने तीनों परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जानी है। परीक्षण के हर दौर में 10 टन कचरे का निपटान किया जाना है।
पीथमपुर बचाव समिति के प्रमुख हेमंत कुमार हिरोले ने इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड के कचरे के जारी परीक्षण की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रहा है। बोर्ड जनता को गुमराह कर रहा है। उसने इस बारे में भी कोई खुलासा नहीं किया है कि कचरे को जलाने के बाद बची राख और अन्य अवशेषों की क्या स्थिति है?’’
उन्होंने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस कथित रवैये के खिलाफ उनका संगठन जल्द ही उच्च न्यायालय में तथ्यों के साथ याचिका दायर करेगा जिसमें पीथमपुर के संयंत्र में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान का परीक्षण रुकवाने की गुहार की जाएगी।
हिरोले ने यह दावा भी किया कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का परीक्षण शुरू होने के बाद स्थानीय लोग आंखों में जलन, गले में दर्द और मुंह सूखने की शिकायत कर रहे हैं।
उधर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार कह रहा है कि इस परीक्षण के दौरान सभी उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर बने हुए हैं।
इंदौर संभाग के आयुक्त दीपक सिंह ने कहा कि यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के परीक्षण के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने पीथमपुर के संयंत्र के आस-पास की बस्तियों के लोगों की सेहत की जांच की है और उनकी सभी जांच रिपोर्ट सामान्य पाई गई हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने का पहला दौर 28 फरवरी से शुरू होकर तीन मार्च को खत्म हुआ था।
उन्होंने बताया कि दूसरे दौर के परीक्षण के तहत भस्मक में कचरा डालने का सिलसिला बृहस्पतिवार, छह मार्च से शुरू हुआ था और इस परीक्षण के तहत 10 टन कचरे को भस्म होने में करीब 55 घंटे लगने का अनुमान है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के पहले दौर में पीथमपुर के संयंत्र से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड और ऑर्गेनिक कार्बन का उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर पाया गया था।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे।इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है।
प्रदेश सरकार के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और ‘अर्द्ध प्रसंस्कृत’ अवशेष शामिल हैं।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘‘लगभग नगण्य’’ हो चुका है। बोर्ड के मुताबिक फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं हैं।
भाषा हर्ष नरेश मनीषा
मनीषा
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