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Saturday, 1 November, 2025
होमदेशप्रधानमंत्री मोदी का यह बयान सरासर झूठ है कि नेहरू कश्मीर का भारत में विलय नहीं चाहते थे: खरगे

प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान सरासर झूठ है कि नेहरू कश्मीर का भारत में विलय नहीं चाहते थे: खरगे

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नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह बयान सरासर झूठ और निंदनीय है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीर का भारत में विलय नहीं चाहते थे।

खरगे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को सरदार पटेल और पंडित नेहरू का उस समय का पत्राचार पढ़ना चाहिए तथा संविधान सभा में हुई चर्चाओं पर नजर डालनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि नेहरू ने अंतरराष्ट्रीय दबाव को नकारते हुए कश्मीर का भारत में विलय कराया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि सरदार पटेल अन्य देशी रियासतों की तरह पूरे कश्मीर का भारत संघ में विलय करना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया।

खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘प्रधानमंत्री मोदी जी का यह बयान कि पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीर का भारत में विलय नहीं चाहते थे सरासर झूठ और निंदनीय है।’

उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की प्रक्रिया के दौरान पंडित नेहरू कश्मीर की जनता के नेता शेख़ अब्दुल्ला के संपर्क में थे, वहीं सरदार पटेल जम्मू कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के संपर्क में थे। दोनों नेता शेख़ अब्दुल्ला और हरि सिंह को इस बात के लिए मना रहे थे कि जम्मू कश्मीर राज्य का भारत में विलय जम्मू कश्मीर की प्रजा के हित में है।’

खरगे ने कहा कि सरदार पटेल के निजी सचिव वी शंकर ने ‘सरदार पटेल चुना हुआ पत्र-व्यवहार’ नाम से पटेल और अन्य नेताओं के बीच पत्राचार को पुस्तक का रूप दिया है। इस पुस्तक के प्रथम खंड में वी शंकर ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को लेकर पंडित नेहरू और सरदार पटेल समान रूप से रुचि ले रहे थे। इस पुस्तक में ही जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को लेकर कम से कम 50 पत्रों का संकलन है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि अगर पंडित नेहरू जम्मू कश्मीर के भारत में विलय की प्रक्रिया में शामिल नहीं होते तो क्या सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच उस दौरान इतना सारा पत्राचार होता?

उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में हुए क़बायली हमले से क़रीब एक महीने पहले 27 सितंबर 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से बताया था कि पाकिस्तान कबायलियों के भेष में जम्मू-कश्मीर पर हमला करने वाला है। इस पत्र में पंडित नेहरू ने विस्तार से पाकिस्तान के षडयंत्र और रणनीति का ख़ुलासा किया। पंडित नेहरू ने यह भी कहा कि सर्दी आने के बाद जम्मू कश्मीर में युद्ध करना कठिन होगा। इसलिए तत्काल जम्मू-कश्मीर राज्य का विलय भारत में करा लिया जाए।’

खरगे के अनुसार, इस पत्र के तुरंत बाद दो अक्टूबर 1947 को सरदार पटेल ने जम्मू कश्मीर के महाराजा को पत्र लिखकर उनसे भारत में जल्द से जल्द विलय करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि पांच अक्टूबर 1947 को पंडित नेहरू ने एक बार फिर सरदार पटेल को तत्काल जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

खरगे ने कहा, ‘दुर्भाग्य से पंडित नेहरू और सरदार पटेल के समझाने के बावजूद जम्मू-कश्मीर के महाराजा तत्काल कोई फ़ैसला नहीं ले सके और जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से पहले ही पाकिस्तान ने क़बायली हमला कर दिया।’

उनके मुताबिक, वी शंकर ने स्पष्ट रूप से लिखा है जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कराने के लिए धारा 370 सरदार पटेल की एक उपलब्धि थी। धारा 370 के माध्यम से ही पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने जम्मू कश्मीर और भारत को आपस में जोड़ा था।

उनका कहना है कि नेहरू और सरदार पटेल में इतनी ज़्यादा घनिष्ठता थी कि जब धारा 370 भारत की संविधान सभा में पारित की गई, उस दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू अमेरिका में थे और सरदार पटेल ने अपने निर्देशन में इस धारा को संविधान सभा में पारित कराया था।

खरगे ने कहा, ‘पंडित नेहरू ने अंतरराष्ट्रीय दबाव को नकारते हुए कश्मीर का भारत में विलय कराया। पंडित नेहरू ने भारत के संविधान सभा में भी स्पष्ट किया था कि न सिर्फ़ सांस्कृतिक कारणों से बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को देखते हुए भी, जम्मू-कश्मीर की सीमा कई देशों से लगती है ऐसे में जम्मू कश्मीर का भारत संघ में विलय होना ही श्रेयस्कर है।’

उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी के निजी सचिव श्री प्यारेलाल द्वारा लिखित पुस्तक “पूर्णाहुति” में बताया गया है कि मोहम्मद अली जिन्ना यहां तक कहा करते थे कि जब तक पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री हैं और शेख़ अब्दुल्ला कश्मीर की जनता के नेता हैं, कश्मीर की जनता किसी भी सूरत में पाकिस्तान का समर्थन नहीं कर सकती।’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी जी, मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप उस समय का सरदार पटेल और पंडित नेहरू का पत्राचार पढ़ें। उस समय की संविधान सभा में हुई चर्चाओं पर नज़र डालें। आपको यह भी पता चलेगा कि हिंदू महासभा व आरएसएस और बाद में जनसंघ से जुड़े एक प्रमुख नेता बलराज मधोक ने खुले तौर पर कहा था कि वह कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते हैं।’

भाषा

हक पवनेश सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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