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Thursday, 28 March, 2024
होमदेशगोरखपुर, वाराणसी समेत UP के दो दर्जन से अधिक जिलों में बिजली गायब, कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

गोरखपुर, वाराणसी समेत UP के दो दर्जन से अधिक जिलों में बिजली गायब, कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

दरअसल पिछले दिनों मीडिया में खबरे आईं कि योगी सरकार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की तैयारी कर रही है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है जिसके बाद से कर्मचारी भड़क गए और उन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.

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लखनऊ : यूपी में गोरखपुर, वाराणसी, मिर्जापुर समेत दो दर्जन से ज्यादा जिलों के तमाम इलाकों में पिछले 24 घंटे से बिजली गुल है. प्रदेश के बिजली कर्मचारी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (पीवीएनएल) के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. यूपी में लगभग 25 हजार बिजली कर्मचारी हड़ताल पर हैं.

दरअसल, पिछले दिनों मीडिया में खबरे आईं कि योगी सरकार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की तैयारी कर रही है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है जिसके बाद से कर्मचारी भड़क गए और उन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत कर्मियों की चेतावनी के बावजूद अभी तक समझौते का कोई रास्ता नहीं निकल पाया है, जिस कारण कर्मचारी अनिश्चितकालीन पूर्ण कार्य बहिष्कार पर हैं.

योगी सरकार के ऊर्चा मंत्री श्रीकांत शर्मा का फिलहाल कोई बयान नहीं आया है. दिप्रिंट ने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन वह उपलब्ध नहीं थे.

वहीं, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा व पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने मीडिया से कहा हे कि बिजली कर्मचारी नेताओं के साथ सोमवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी. संघर्ष समिति की मांगों पर विचार करने के लिए दो-तीन दिन का समय मांगा है. वार्ता आगे भी जारी रहेगी.

पूर्वांचल के जिलों का बुरा हाल

बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से पश्चिम यूपी से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक बिजली कटौती की खबरे आ रही हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वाराणसी, गोरखपुर, मिर्जापुर समेत पूर्वी यूपी के जिलों का बुरा हाल है. गोरखपुर में सोमवार सुबह से अभी तक कई इलाकों में बिजली बहाल नहीं हुई. कई जगहों पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, जाम लगाया और बिजली उपकेंद्रों को घेर लिया.

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मिर्जापुर में कई जगह बिजली कटौती के 20-24 घंटे बीत गए हैं, मगर कोई सुध लेने वाला नहीं है. राजधानी लखनऊ के भी तमाम इलाकों में बिजली गायब है. कहीं भी बिजली विभाग में कोई सुनवाई नहीं हो रही. यहां तक जनता की शिकायतों का भी कोई रेस्पाॅन्स नहीं दिया जा रहा है.


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मंत्रियों के घर से भी बिजली गायब

बिजलीकर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण लखनऊ में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा सहित तीन दर्जन से अधिक मंत्रियों और कई विधायक के सरकारी आवास सहित राजधानी लखनऊ के कई अहम इलाकों में मंगलवार को बिजली सप्लाई ठप हो गई.

विद्युत कर्मचारी संगठन संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने दिप्रिंट को बताया कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री से हुई वार्ता बेनतीजा रही. बिजली कर्मियों का कार्य बहिष्कार आंदोलन यथावत जारी रहेगा, जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती कर्मचारी कार्य पर नहीं जाएंगे.

विद्युत कर्मचारी संगठन संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से मांग की गई है कि बिना कर्मचारियों और इंजिनियरों को विश्वास में लिए कहीं कोई निजीकरण नहीं होगा. वहीं बिलिंग, कलेक्शन और उपभोक्ता सेवाओं में सुधार के लिए उठाए जाने वाले हर कदम में वे सरकार के साथ हैं. इसके अलावा उनकी मांग है कि इस आंदोलन के चलते किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न की जाए.

कहां फंस रहा है पेंच

सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों की बैठक में मंत्री ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा की और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए. लेकिन यूपीपीसीएल चेयरमैन ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए. उन्होंने सहमति पत्र पर विचार करने के लिए समय मांगा है. इस कारण बिजलीकर्मियों की हड़ताल अभी भी जारी है. सीएम योगी ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है.

विपक्षी दलों ने उठाए सवाल

समाजवादी पार्टी की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि निजीकरण के विरोध में विद्युत विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर, पूर्वांचल समेत पूरे प्रदेश में बिजली व्यवस्था धवस्त. निजीकरण की आंड़ में रोजगार खत्म करने का षड्यंत्र कर रही है सरकार. कर्मचारियों से बात कर निकालें, समस्या का समाधान और निजिकरण का प्रस्ताव वापस ले सरकार.

यूपी कांग्रेस के उपाध्यक्ष ललितेश पति त्रिपाठी का कहना है, ‘संस्थाओं का निजीकरण ना केवल कर्मठी कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाली ज्यादती है, बल्कि वंचित तबकों को आगे बढ़ने के मौके छीनने वाला भी है. एक ग़रीब किसान आख़िर कैसे हज़ारों हज़ार रुपए बिजली के बिल भरेगा? सरकार के इस कदम के विरोध में प्रदर्शनकारियों के साथ मैं पूरी तन्मयता से हूं.’

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