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Friday, 29 March, 2024
होमदेशनिर्भया केस में दलील देते हुए तुषार मेहता बोले- दोषियों ने कानून प्रक्रिया को मजाक बना दिया है, कल होगी सुनवाई

निर्भया केस में दलील देते हुए तुषार मेहता बोले- दोषियों ने कानून प्रक्रिया को मजाक बना दिया है, कल होगी सुनवाई

सॉलिसिटर जनरल ने हाई कोर्ट में बहस के दौरान कहा, निर्भया गैंगरेप मामला भारत के इतिहास में दर्ज होगा जिसमें जघन्य अपराध के दोषी देश के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं.

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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया मामले में फांसी पर स्थगन को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर चारों दोषियों को नोटिस जारी किया, याचिका पर कल यानी रविवार को सुनवाई होगी.

केंद्र सरकार ने 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी देने पर रोक लगाने वाले निचली अदालत के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसकी सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है.

याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा, ‘निर्भया गैंगरेप मामला भारत के इतिहास में दर्ज होगा जिसमें जघन्य अपराध के दोषी देश के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं.’

इस दौरान बार बार दोषियों द्वारा दया याचिका पेटीशन डाले जाने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय से कहा, ‘निर्भया मामले में दोषियों ने कानून की प्रक्रिया को मजाक बना दिया है, वे फांसी देने में विलंब के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने सबमिशन में कहा, ‘सभी चार अपराधी एक जॉय राइड की तरह कानून की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रहे हैं.’

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उन्होंने यह भी कहा कि वे मिलकर और इस तरह से अभिनय कर रहे हैं कि किसी भी तरह यह जघन्य अपराध अप्रभावी हो जाए और इसमें मिलने वाली दंड का उनपर कोई प्रभाव न पड़ें.

सॉलिसिटर जनरल तुषार ने अपनी बहस के दौरान अदालत से कहा, ‘कल मौत की सजा को स्थगित करने के लिए एक आवेदन दायर किया गया था, आवेदन में उल्लिखित कारणों में से कोई भी न्यायिक जांच के माध्यम से नहीं जा सकता है.’

यह मामला इतिहास में एक के बाद एक जघन्य अपराधों के रूप में सामने आएगा जहां आरोपियों ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है.

बता दें कि दोषियों को पहले एक फरवरी, शनिवार को फांसी दी जानी थी.

अदालत ने जब इस फैसले को टाल दिया तब गृह मंत्रालय और तिहाड़ जेल प्रशासन ने निचली अदालत में इस आदेश को चुनौती दी जिसमें दोषियों की फांसी की सजा पर तामील को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया था.

निचली अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग के साथ की गयी याचिका में दोषियों मुकेश कुमार, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय सिंह, महानिदेशक (कारावास) और तिहाड़ जेल के अधीक्षक को पक्ष बनाया गया है.

इसमें कहा गया कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने चारों दोषियों के खिलाफ जारी फांसी की सजा के वारंट को टालने में अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर फैसला किया.

याचिका में कहा गया कि निचली अदालत ने ‘अगले आदेश तक’ मृत्यु वारंट की तामील को टालते समय यह विचार नहीं किया कि दोषियों को एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के जघन्य अपराध का दोषी पाया गया है.

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