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Sunday, 13 October, 2024
होमदेशPFI मामले में NIA ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 40 जगहों पर की छापेमारी, 4 लोगों को किया डिटेन

PFI मामले में NIA ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 40 जगहों पर की छापेमारी, 4 लोगों को किया डिटेन

रविवार सुबह से की जा रही इन छापेमारी में डिजिटल उपकरण, दस्तावेज, दो खंजर और 8,31,500 रुपये नकद सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है.

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ रविवार को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 40 स्थानों पर छापेमारी की और चार लोगों को हिरासत में लिया.

एजेंसी ने तेलंगाना में निजामाबाद जिले के अब्दुल खादर और 26 अन्य व्यक्तियों से संबंधित मामले में तेलंगाना में 38 स्थानों (निजामाबाद में 23, हैदराबाद में चार, जगतियाल में सात, निर्मल में दो, आदिलाबाद और करीमनगर जिलों में एक-एक) और आंध्र प्रदेश में दो स्थानों (कुरनूल और नेल्लोर जिलों में एक-एक) पर तलाशी ली.

रविवार सुबह से की जा रही इन छापेमारी में डिजिटल उपकरण, दस्तावेज, दो खंजर और 8,31,500 रुपये नकद सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है.

आतंकवाद निरोधक एजेंसी ने कहा, ‘चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.’
एनआईए के अनुसार, आरोपी आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षण देने और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे.

तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन की जांच के दौरान, चार आरोपियों अब्दुल कादर, शेख सहदुल्ला, मोहम्मद इमरान और मोहम्मद अब्दुल मोबिन को तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बाद में एनआईए ने 26 अगस्त को फिर से मामला दर्ज किया था.

एनआईए की प्राथमिकी में निजामाबाद के ऑटोनगर निवासी अब्दुल खादर (52) और 26 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रची थी.

उन्होंने कहा, ‘आपराधिक साजिश के तहत उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों की भर्ती की और आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षण देने के लिए शिविरों का आयोजन किया. उन्होंने एक गैरकानूनी सभा बनाई और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने वाली गतिविधियों में शामिल थे.

तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (1) (बी) के तहत अब्दुल खादर और 26 व्यक्तियों और अन्य के खिलाफ निजामाबाद के उस्मानिया मस्जिद के पास ऑटो नगर में स्थित एक घर में कुछ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से संबंधित मामला दर्ज किया था.

उन्होंने कहा, ‘घर की तलाशी लेने पर तेलंगाना पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नाम से एक फ्लेक्सी, बांस की छड़ें, व्हाइटबोर्ड, गैर-चक, एक पोडियम, नोट बुक, हैंडबुक और अन्य सामग्री जब्त की. यह भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आगे की जांच के दौरान मकान के मालिक अब्दुल खादर ने स्वीकार किया कि पीएफआई से जुड़े कुछ आरोपियों द्वारा छह लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने के वादे के बदले उसने अपने घर की छत पर एक हिस्से का निर्माण किया था और परिसर का इस्तेमाल पीएफआई के कैडरों को प्रशिक्षण देने और संगठन की बैठक के लिए करने की अनुमति दी थी.

पीएफआई के सदस्य कराटे कक्षाओं के नाम पर युवाओं के लिए कोचिंग और शारीरिक व्यायाम शुरू करते थे और अपने घृणित भाषणों आदि से उन्हें एक विशेष समुदाय के खिलाफ भड़काते थे. उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों की भर्ती की, और आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षण देने के लिए शिविरों का आयोजन किया.

उन्होंने एक गैरकानूनी सभा का गठन किया और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने वाली गतिविधियों में शामिल थे. तेलंगाना पुलिस ने बाद में मामले में यूए (पी) अधिनियम की धारा 18 ए और 18 (बी) जोड़ी.

गृह मंत्रालय ने बाद में इस राय के साथ मामला एनआईए को सौंप दिया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत एक अनुसूचित अपराध किया गया है और अपराध की गंभीरता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय जांच अधिनियम, 2008 के अनुसार एजेंसी द्वारा इसकी जांच किए जाने की आवश्यकता है.

1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद गठित तीन मुस्लिम संगठनों – नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट ऑफ केरल, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु की मनिता नीति पसारी के विलय के बाद 2006 में केरल में पीएफआई शुरू किया गया था. बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, दक्षिण भारत में कई फ्रिंज संगठन सामने आए थे और उनमें से कुछ को मिलाकर पीएफआई का गठन किया गया था.

अब पीएफआई का दावा है कि उसकी 22 राज्यों में इकाइयां हैं. खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इसने उद्धारकर्ता की भूमिका निभा रहे समुदाय में बढ़ते शून्य का सफलतापूर्वक फायदा उठाया है. छवि के सफल चित्रण से पीएफआई को धन जुटाने में मदद मिलती है, खासकर अमीर मध्य-पूर्वी देशों से.

पीएफआई का पहले मुख्यालय कोझिकोड में था, लेकिन अपना आधार बढ़ाने के बाद इसे दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था. पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नसरुद्दीन इलामारोम संगठन के संस्थापक नेताओं में से एक हैं. इसके अखिल भारतीय अध्यक्ष ई अबूबकर भी केरल से हैं.


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