(सुष्मिता गोस्वामी)
गुवाहाटी, 12 नवंबर (भाषा) विशेषज्ञों का कहना है कि सीमा पार से होने वाले अपराधों में वृद्धि और कट्टरपंथी समूहों की गतिविधियों तथा पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाले गलियारे पर बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार द्वारा ‘‘दबाव’’ बनाने के कथित प्रयासों की आशंकाओं के बीच, असम में नया सैन्य अड्डा विशेष महत्व रखता है।
उन्होंने कहा कि इस तरह का अड्डा स्थापित होने से सीमा सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और संबंधित अधिकारियों को खुफिया क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 40 किलोमीटर दूर, असम के धुबरी जिले के बामुनिगांव में भारतीय सेना द्वारा लाचित बोरफुकन सैन्य अड्डा स्थापित किया जा रहा है, जो राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में पहला सैन्य अड्डा है।
पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आर सी तिवारी ने पिछले हफ्ते अग्रिम इलाकों के दौरे पर इस अड्डे की आधारशिला रखी।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) रंजीत कुमार बोरठाकुर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए सैन्य अड्डा स्थापित करने का फैसला स्वागत योग्य है।’’
इससे पहले, सबसे नज़दीकी सैन्य अड्डा पश्चिम बंगाल के कूच बिहार और असम के तामुलपुर में थे।
उन्होंने कहा, ‘‘धुबरी में स्थापित अड्डा सेना को अपने खुफिया तंत्र को मजबूत करने में मदद करेगा।’’
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने नये सैन्य अड्डे के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह क्षेत्र में भारतीय सेना की संचालन क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे क्षेत्र में गतिविधियों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी और स्थानीय लोगों को सुरक्षा की अतिरिक्त भावना भी मिलेगी।’’
एक अन्य सैन्य अधिकारी ने बताया कि तेजपुर स्थित 4 कोर के अंतर्गत नये सैन्य अड्डे में 1,200-1,500 कर्मी तैनात रह सकेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘असम सरकार ने एक-दो महीने के भीतर ज़मीन सौंप दी है और इस अड्डे को जल्द से जल्द चालू करने के लिए काम चल रहा है। वहां एक पैरा-कमांडो यूनिट भी तैनात की जाएगी।’’
लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने कहा, ‘‘लाचित बोरफुकन सैन्य अड्डा सशस्त्र बलों और राज्य प्रशासन के बीच तालमेल का प्रमाण है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास के साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है।’’
सुरक्षा के लिहाज से इसके महत्व पर ज़ोर देते हुए, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बोरठाकुर ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में कार्यवाहक सरकार के सत्ता में आने के बाद से, भारत के प्रति उनका रवैया बेहद कठोर हो गया है। और पाकिस्तान के साथ उनकी सांठगांठ भी है। पाकिस्तान से राजनेताओं और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की (बांग्लादेश की) लगातार उच्च-स्तरीय यात्राएं बेहद चिंताजनक हैं।’’
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर ने कहा, ‘‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर हमारे लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहा है और हम किसी भी स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि, हम इस संबंध में और अधिक सक्रिय हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सीमा प्रबंधन बीएसएफ और अन्य एजेंसियों द्वारा पर्याप्त रूप से किया जा रहा है, लेकिन सेना को सिग्नल और मानव खुफिया सहित खुफिया क्षमताओं को विकसित करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘नया सैन्य अड्डा सुरक्षा बलों की अधिक तैयारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक अच्छा कदम है।’’
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
