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Tuesday, 23 April, 2024
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मायापुरी में करीब 30 प्रतिशत इंडस्ट्रियल यूनिट के पास वैध लाइसेंस नहींः एसडीएमसी

इलाके में कुछ इंडस्ट्रियल यूनिट नियमों को ताख पर रखकर काम कर रही हैं. इसके सर्वे की रिपोर्टे निगम आने वाले 2-3 दिनों में दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी को सौंपेगा.

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नई दिल्ली: मायापुरी में कुछ इंडस्ट्रियल यूनिट नियमों को ताख पर रखकर काम कर रही हैं. साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसडीएमसी) ने मायापुरी इंडस्ट्रियल इलाके में पिछले दिनों सर्वे में पाया है कि यहां करीब 30 प्रतिशत इंडस्ट्रियल यूनिट अवैध हैं और उनके पास ट्रेडिंग लाइसेंस नहीं है. निगम अपनी रिपोर्ट आने वाले 2-3 दिनों में दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) को सौंपेगा.

एसडीएमसी के असिस्टेंट कमिश्नर मनीष ने दिप्रिंट को बताया, ‘सर्वे की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और दो-तीन दिनों में निगम अपनी रिपोर्ट डीपीसीसी को सौंप देगा.’

यह पूछने पर कि कितने व्यापारियों और इंडस्ट्रियल यूनिट्स के पास लाइसेंस नहीं है, मनीष बताते हैं, ‘इंडस्ट्रियल यूनिट और व्यापारियों को मिलाकर करीब 30 फीसदी तक कारोबारी अवैध रूप से व्यापार कर रहे हैं या फिर उनके पास व्यापार करने के लिए लाइसेंस नहीं है.’

जबकि मायापुरी में स्क्रैप व्यापारियों के संगठन के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘एसडीएमसी ने मायापुरी के इंडस्ट्रियल एरिया में 26 मई से 4 जून तक और उसके बाद 8 से 10 जून तक सर्वे किया था.’


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इंद्रजीत ने आगे बताया, ‘एमसीडी के अधिकारियों ने सर्वे के दौरान कहा कि यह एकमात्र मार्केट है, जहां 98 प्रतिशत लोगों के पास एक साल के लिए इश्यू होने वाला लाइसेंस है. यानी यहां के अधिकतर व्यापारी नियम के साथ काम कर रहे हैं. यहां मुख्य समस्या कुछ इंडस्ट्री से है जो प्रदूषण फैलाते हैं. कई तो ऐसे हैं जो एक घंटें में एक लाख लीटर पानी का इस्तेमाल करते हैं.’

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दिल्ली हाईकोर्ट ने मायापुरी स्थित स्क्रैप यूनिट्स वालों को 5 अगस्त तक राहत देने का फैसला किया है. दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) द्वारा कोर्ट में बताया गया कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यापारियों की सटीक पहचान के लिए कमेटी दोबारा वहां सर्वे करा रही है. इसकी इस गुहार के बाद कोर्ट ने मामले को अगस्त तक के लिए टाल दिया था.

बता दें, मायापुरी देश की राजधानी दिल्ली की सबसे बड़ी कबाड़ (स्क्रैप) मार्केट है. यहां देश विदेश से लोग अपनी पुरानी गाड़ियों का निस्तारण (डिस्पोज़ल) कराने आते हैं. पिछले कुछ महीनो से एनजीटी और दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी द्वारा चलाए गए डंडे के बाद से ही यहां के व्यापारियों में आक्रोश है.

दरअसल बीते 2 अप्रैल को दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) ने स्क्रैप की गतिविधियों से फैलने वाले प्रदूषण के कारण वहां काम कर रहे कारोबारियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया. इसके बाद 13 अप्रैल को एनजीटी के आदेश पर डीपीसीसी ने मायापुरी की करीब 800 यूनिट को बंद करने का फैसला किया जिसके बाद एमसीडी की टीम यहां प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को सील करने पहुंची.


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सीलिंग करने आई टीम ने 6 यूनिट ही सील की थी कि कारोबारी भड़क उठे और अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोकने लगे. इस बीच मामला इतना बढ़ गया कि दोनों में मुठभेड़ हो गई जिसमें कई कारोबारियों को गंभीर चोटें भी आईं और सीलिंग का काम वहीं रोक दिया गया.

अचानक हुई इस कार्रवाई से घबराए मायापुरी के ये कारोबारी दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे. 11 कारोबारियों द्वारा दायर इस याचिका पर जस्टिस विभू बाखुरू ने सुनवाई की और इस मामले में अगली सुनवाई की तारीफ 20 मई रख दी और डीपीसीसी को तब तक किसी भी तरह का एक्शन लेने से रोक लगा दिया. जिसके बाद फिर डीपीसीसी की दोबारा सर्वे करने की गुहार लगाने के बाद इसे 5 अगस्त तक टाल दिया गया है.

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