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Tuesday, 16 April, 2024
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NCRB चाहता है कि मास्क से ढके चेहरों का पता लगाने में भी ऑटोमेटेड फेशियल रिकग्निशन सिस्टम कारगर हो

एनसीआरबी ने ऑटोमेटेड फेशियल रिकग्निशन सिस्टम की योजना बनाई है जिसका उद्देश्य स्वचालित तरीके से चेहरे की पहचान और पुष्टि करना है. इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाना है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अब चाहता है कि चेहरा पहचानने की जो प्रणाली अपनाने की उसकी योजना है, वह मास्क से ढके चेहरों को पहचानने में भी कारगर हो.

एजेंसी ने राष्ट्रीय स्तर पर योजनाबद्ध तरीक से ऑटोमेटेड फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (एएफआरएस) तैयार करने के लिए इच्छुक कंपनियों की तरफ से निविदा पहले ही आमंत्रित कर रखी है. यह निविदा कथित तौर पर 12 बार आगे टाली जा चुकी है और अब इसे भेजने की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर निर्धारित की गई है.

केंद्रीकृत आवेदन के बारे में इस माह के शुरू में जारी एक स्पष्टीकरण में एजेंसी ने कहा कि वह चाहती है कि एएफआरएस मास्क से ढके चेहरों को भी पहचानने में सक्षम हो.

इसमें कहा गया था, ‘परीक्षण के दौरान मूल्यांकन में मास्क पहने चेहरों को भी शामिल किया जाएगा.’ साथ ही बताया गया कि जो भी वेंडर ऐसे प्रावधान के बिना किसी प्रणाली का प्रस्ताव रखेगा वह मूल्यांकन के दौरान ही बाहर हो जाएगा.

यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया जब इच्छुक कंपनियों ने इस संदर्भ में एनसीआरबी की तरफ से जारी 147 पेज के आग्रह पत्र (आरएफपी) का जवाब देते हुए आंशिक चेहरे की पहचान संबंधी प्रस्ताव पर सवाल उठाए.

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हालांकि, फेस-मास्क की आवश्यकता बोलीदाताओं के लिए एक कठिन सवाल साबित हो सकता है. अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी के अनुसार महामारी से पहले चेहरे की पहचान के लिए तैयार एल्गोरिद्म ‘आमतौर पर डिजिटल रूप में नकाबपोश चेहरों को पहचानने में कम सटीक साबित होता रहा है.’

एनसीआरबी के आवेदन का उद्देश्य मौजूदा अपराध और आपराधिक डेटा बेस के चित्रों के चुनींदा फेशियल फीचर से तुलना कर बने डिजिटल इमेज, फोटो, डिजिटल स्केच, वीडियो फ्रेम और वीडियो आदि स्रोतों के आधार पर ऑटोमैटिक पहचान और पुष्टि करना है.

इच्छुक बोलीदाताओं ने चेहरे की पहचान प्रणाली को एप के तौर पर विंडोज मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने लायक बनाने के मुद्दे पर भी सवाल उठाया जिसे ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली जानी-मानी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट दिसंबर 2019 में ही बंद कर चुकी है.

हालांकि, एनसीआरबी ने अपने स्पष्टीकरण में इस बात पर जोर दिया कि सिस्टम को एक एप के तौर पर भी बनाया जाना चाहिए जो विंडोज मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल सके.

सरकारी स्वामित्व वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और बीईसीआईएल के अलावा निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी टीसीएस और विदेशी फर्म एनईसी टेक्नोलॉजीज (जापान) और आईमिया (फ्रांस) उन कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने एनसीआरबी के प्रस्ताव पर सवाल उठाए थे.


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विदेशी कंपनियों का विरोध

दिल्ली पुलिस को चेहरा पहचानने वाले सॉफ्टवेयर की आपूर्ति करने वाली दिल्ली की कंपनी इनेफ्यू लैब्स ने निविदा में विदेशी कंपनियों की भागीदारी पर यह कहते हुए आपत्ति जताई है कि इससे संवेदनशील डेटा विदेशी संगठनों के हाथों में पहुंचने का जोखिम है.

इसका कहना है, ‘इस प्रोजेक्ट, जो सीधे तौर पर एनसीआरबी/गृह मंत्रालय/राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस बल/कानून प्रवर्तन एजेंसियों आदि से जुड़ा है, की प्रकृति और दायरे को देखते हुए देशभर के चिह्नित अपराधियों/कट्टरपंथियों/आतंकवादियों और ऐसे अन्य वर्गीकृत लोगों के चेहरे के डेटा को किसी विदेशी संगठन के सामने उजागर करने की अनुशंसा नहीं की जा सकती क्योंकि यह भारत के बाहर किसी अन्य एजेंसी पर निर्भर हो जाने की बैकडोर व्यवस्था बन सकती है.’

इसमें कहा गया है, ‘आरएफपी में एक पसंदीदा विदेशी/आंतरिक ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) का फेवर किया जा रहा है, जो कि पूरे निविदा दस्तावेज को देखने पर कई जगह नज़र भी आता है. इसमें मेक इन इंडिया के तहत किसी भारतीय ओईएम को तरजीह नहीं दी गई है.’

हालांकि, एनसीआरबी ने यह कहते हुए इसका जवाब दिया कि एमएसएमई को 40 लाख रुपये की बयाना राशि जमा करने की जरूरत नहीं है जिसका भुगतान निविदा के लिए बोली लगाने में रुचि रखने वाली अन्य कंपनियों को करना होगा. साथ ही यह भी कहा कि सरकार से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के लिए पिछले वित्तीय वर्षों में हर साल 50 करोड़ रुपये के टर्नओवर का मानदंड पूरा करना जरूरी नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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