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Tuesday, 23 April, 2024
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नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा की नम्रता ने यूपीएससी की परीक्षा में लाया 12वां स्थान

दंतेवाड़ा जिले में साक्षरता दर 30 फीसदी है. वहां से आईएएस बनने का सपना देखना बेहद चुनौतीपूर्ण है. नम्रता ने ये मुकाम हासिल कर एक नायाब उदाहरण पेश किया है.

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के बारे में जब भी आप अखबार में पढ़ते हैं तो ज्यादातर खबरे नक्सली हमले या फिर आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार से जुड़ी होती हैं. लेकिन इसी बीच वहां से एक दिल को ठंडक देने वाली खबर आ रही है. दरसअल, यूपीएससी यानी वो एग्जाम जिसको पास करके लोग आईएएस, आईपीएस बनते हैं, उसका रिजल्ट आ चुका है. छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित इलाकों में से एक दंतेवाड़ा की नम्रता जैन ने यूपीएससी की परीक्षा में 12वां स्थान प्राप्त किया है. ये मुकाम हासिल करने वाली वो दंतेवाड़ा की पहली महिला हैं.

नम्रता ने इससे पहले 2016 में यूपीएससी की परीक्षा में 99वीं रैंक हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें भारतीय पुलिस सेवा मिली और वह सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में प्रशिक्षण ले रही हैं.

इस मुकाम को हासिल करने वाली दंतेवाड़ा की पहली महिला

नम्रता दंतेवाड़ा से आईएएस अधिकारी बनने वाली पहली महिला हैं. उनके लिए ये मुकाम हासिल करना कितना कठिन रहा होगा, इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. जिले की साक्षरता केवल 30 प्रतिशत है.

छत्तीसगढ़ के पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और अब भाजपा में शामिल ओपी चौधरी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘दंतेवाड़ा में 2011 तक 50.3 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर थे. जिसके बाद सरकार ने नक्सल क्षेत्र के बफर ज़ोन में 44 स्थानों पर रेसिडेंशियल स्कूल खोले. हर स्कूल में 500 छात्र पढ़ते थे. जिसके परिणाम स्वरूप दो साल में बस 13 प्रतिशत छात्र स्कूल के बाहर थे.’

नम्रता पहले बहुत डिमोटिवेटेड थीं. क्योंकि वहां से आईएएस बनने का सपना देखना बहुत कठिन था. इसके पहले वहां से कोई भी महिला ने इस तरह का मुकाम हासिल नहीं किया था. उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि तैयारी कैसे करें. लेकिन उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया. उनके पिता व्यपारी और मां गृहणी हैं. भाई ग्रेजुएशन करने के बाद बिजनेस में हाथ बंटा रहे हैं.

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नम्रता के भाई मोहित ने दिप्रिंट को बताया, ‘घर वालों ने उनका हर मोड़ पर साथ दिया. मां ने भले इंटरमीडिएट तक  पढ़ाई की है लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई में हरसंभव मदद की.’

नम्रता को आईएएस बनने की प्रेरणा कहां से मिली

मूलत: राजस्थान से आने वाली नम्रता जैन का परिवार लगभग 50 साल पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा शिफ्ट हो गया था. राज्य में होने वाली नक्सली घटनाओं को वो बचपन से देखते आ रही हैं. 2004 में माओवादियों ने एक पुलिस स्टेशन पर विस्फोट किया था, जिसमें 11 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इस घटना ने नम्रता को अंदर से हिला दिया था. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि अब राज्य के लोगों के लिए कुछ करना है.

नम्रता के छोटे भाई मोहित जैन दिप्रिंट से बातचीत में बताते हैं कि जब वह कक्षा 8 में थीं तब एक आईएएस अधिकारी ने उनके स्कूल में निरीक्षण किया था. उनको मिल रहे स्वागत और सत्कार से नम्रता बहुत प्रभावित हुईं. घर जाकर उन्होंने अपने पिता से पूछा कि क्यों उनको इतना सेवाभाव मिल रहा. पिता ने बताया कि एक आईएएस या आईपीएस किसी भी समाज को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उसके पास अपने जिले के लिए कल्याणकारी योजना बनाने का पूरा दायित्व होता है. पिता से मिली इस सीख ने नम्रता के मन में आईएएस बनने की नींव डाली.

पहले प्रयास में प्री नहीं निकला, तीसरे में 12वीं रैंक

नम्रता ने दंतेवाड़ा के एक स्कूल से 10वीं तक पढ़ाई के बाद इंटरमीडिएट भिलाई के एक स्कूल से की. उसके बाद भिलाई इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. नम्रता जैन ने बीटेक के बाद कोई नौकरी जॉइन न करते हुए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. इसके लिए वे 2015 में दिल्ली के राजेंद्र नगर कूच कर गईं. पहले प्रयास में पहला पड़ाव (प्री) भी नहीं पार हुआ. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. तैयारी में एक बार फिर जुटीं. 2016 में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने 99वीं रैंक हासिल की.

मोहित बताते हैं कि दंतेवाड़ा में कोई नामी कोचिंग नहीं होने से यहां के लोगों को तैयारी करने में बहुत दिक्कतें आती हैं. उन्हें कोर्स का स्ट्रक्चर भी ठीक से समझ नहीं आता. चूंकि नम्रता ने एक साल दिल्ली में तैयारी कर ली थी इसलिए उनको इस एग्जाम का प्रारूप समझ में आ गया था. क्या पढ़ें और उससे भी अहम क्या न पढ़ें. 2016 में प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा देने के बाद वे दंतेवाड़ा वापस आ गईं. वहां के जिला प्रशासन द्वारा चलने वाली लक्ष्य कोचिंग सेंटर ने इंटरव्यू के लिए मॉक टेस्ट की तैयारी की.

ऑनलाइन तैयारी से भी मदद मिली

भारत में इंटरनेट पिछले कुछ सालों से बहुत तेजी से फल-फूल रहा है. ऐसे में किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने में भी इंटरनेट भी अहम योगदान निभा रहा है. ऑनलाइन पोर्टल के आने से दूर-दराज क्षेत्रों से तैयारी करने वाले छात्रों को इससे काफी मदद मिल रही है. चाहे मॉक टेस्ट देना हो या फिर दिल्ली में प्रेवश परीक्षा की तैयारी करा रहे अनुभवी शिक्षकों के लेक्चर सुनना. नम्रता ने भी अपनी तैयारी के लिए ऑनलाइन पोर्टल की भी मदद ली.

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