scorecardresearch
Tuesday, 10 December, 2024
होमदेशआतंकवाद से ज़्यादा मुंबई में ढहती जर्जर इमारतों ने ली लोगों की जान

आतंकवाद से ज़्यादा मुंबई में ढहती जर्जर इमारतों ने ली लोगों की जान

महाडा के आरएंडआर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 1971 से 2018 तक करीब 3528 इमारतें ढह चुकी हैं. जिसमें सबसे अधिक 1985-86 में ढहीं हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भले ही रहने के हिसाब से सबसे सुरक्षित शहर माना जाता हो, लेकिन यहां की इमारतें आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही हैं.अगर पिछले 40 वर्षों में जहां इमारतों के ढहने से 900 से अधिक लोगों की मौत हुई है वहीं महज पांच सालों में करीब 234 जानें गई हैं. भारी बारिश के बाद मुंबई की इमारतों के गिरने का सिलसिला शुरू हो जाता है. और इसी के साथ शुरू हो जाती है राजनीतिक पार्टियों की राजनीति. वहीं दूसरी तरफ गिरती इमारतों का ठीकरा मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवल्पमेंट ऑथरिडी (महाडा) एक दूसरे पर फोड़ रही हैं.

40 वर्षों में गईं 840 जानें

पिछले पांच सालों में मुंबई में करीब 2704 इमारतें किसी न किसी कारण से गिरी हैं. जिसकी वजह से करीब 234 जानें गई हैं. जबकि 840 लोग जख्मी हुए हैं. वहीं अगर महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवल्पमेंट ऑथरिटी के आंकड़ों पर नजर डालें तो इमारत गिरने से पिछले 40 वर्षों में करीब 894 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है और 1138 लोग जख्मी हुए हैं. महाडा के रिपेयर और रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 1971 से 2018 तक करीब 3528 इमारतें ढह चुकी हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1985-86 में सबसे अधिक मौत के मामले रिपोर्ट किए गए हैं. बता दें कि हर साल 20-25 इमारतें ढहने के मामले सामने आए हैं.

दक्षिण मुंबई में 100 वर्ष पुरानी चार मंजिला इमारत

दक्षिण मुंबई में मंगलवार को एक चार मंजिला इमारत गिरने के बाद देखने को मिला. इस इमारत के गिरने से कई लोग मारे गए हैं, जबकि कइयों के फंसे होने की आशंका है. 100 साल पुरानी इस इमारत में करीब 15 परिवार रहते थे.

दक्षिण मुंबई के डोंगरी के टंडल गली की केसरबाई गिरी इस इमारत ने एक बार फिर मुंबई नगर निगम पर सवालिया निशान लगा दिया है. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम और दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद हैं.
मंगलवार को घटी दुर्घटना ने एक बार सवालिया निशान लगा दिया है. इस दुर्घटना मुख्मंत्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि शुरुआती सूचना के अनुसार इस बिल्डिंग में 15 परिवार रहता था. यह बिल्डिंग करीब 100 साल पुरानी है. फिलहाल हमारा पूरा फोकस इस इमारत में फंसे लोगों की जान बचाने पर लगी है. जांच जारी है.

बिल्डिंग के हालात का आरटीआई से हुआ खुलासा

मुंबई में हर साल बरसात के दौरान गिरने वाली बिल्डिंग को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने आपातकालीन प्रबंधन विभाग से पूछा कि 2013 से 2018 तक मुंबई में कितनी दुर्घटनाएं हुईं, साथ ही इस हादसे में कितने लोग मारे गए और कितने घायल हुए, इसकी भी जानकारी मांगी थी. इस संबंध में, सूचना के अधिकार अधिनियम -2005 में आपातकालीन प्रबंधन विभाग के लोक सूचना अधिकारी और सहायक अभियंता, सुनील जाधव, शकील अहमद शेख से संबंधित जानकारी में बताया गया कि 2013 से जुलाई 2018 तक, मुंबई में 2704 इमारतें गिरने से कुल 234 लोग मारे गए हैं और 840 घायल हुए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने आरोप लगाया है कि पिछले 5 वर्षों की आतंकी हमले की तुलना में इमारते गिरने से अधिक लोगों की मौत हुई है.

collapse building data
मुंबई में इमारत गिरने और उसकी वजह से गई जानों का आंकड़ा-

क्यूं बेबस है महाडा, क्या कहते हैं अधिकारी

वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 40 वर्षों में करीब 900 से अधिक लोगों की जाने की खबर सामने आई है. महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवल्पमेंट ऑथरिटी के आंकड़ों के अनुसार इमारत गिरने से पिछले 40 वर्षों में करीब 894 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है वहीं 1138 लोग जख्मी हुए हैं. महाडा के रिपेयर और रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 1971 से 2018 तक करीब 3528 इमारतें ढह चुकी हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1985-86 में सबसे अधिक मौत के मामले रिपोर्ट किए गए हैं. बता दें कि हर साल 20-25 इमारतें ढहने के मामले सामने आए हैं.

महाडा के रिपेयर और रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड के अनुसार मुंबई में करीब 16000 ऐसी इमारतें हैं जो 100 साल से भी पुरानी हैं. जिनके रिपेयरिंग की आवश्यकता है. महाडा के अधिकारी ने कहा कि हमारे सर्वे में पाया गया है कि ट्रांजिट कैंप में सुविधाओं के आभाव और घरवालों के बिल्डिंग खाली किए जाने की मनाही के कारण उन इमारतों की मरम्मत नहीं हो पाती है जिसकी वजह से वह ढह रही हैं.

मुंबई मिरर में छपी रिपोर्ट के अनुसार अकेले मुंबई के कमाथीपुरा में 530 इमारतों में 180 इमारतें ढह चुकी हैं जबकि 125 इमारतें असुरक्षित हैं. रिपेयरिंग और रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड के अधिकारी विनोद घोसलकर ने पिछले दिनों मीडिया से बातचीत में कहा था कि मुंबई में कई इमारतें 100 साल से अधिक पुरानी हैं और इनके पुर्ननिर्माण के लिए फंड का इंतजाम किया जा रहा है. मुंबई मिरर ने लिखा है कि इन इमारतों के मरम्मत और पुर्ननिर्माण की जरूरत है.

share & View comments