इंदौर (मध्यप्रदेश), 24 जुलाई (भाषा) इंदौर में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने धर्मांतरण के संदेह में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के लोगों के साथ बृहस्पतिवार को सरेआम मारपीट की। चश्मदीदों ने यह जानकारी दी।
एनजीओ ने धर्मांतरण का आरोप सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह ग्रामीणों के उत्थान के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहा है।
चश्मदीदों के मुताबिक मारपीट की घटना इंदौर प्रेस क्लब के परिसर के बाहर हुई, जहां ‘हाउल ग्रुप’ के संस्थापक सौरव बनर्जी और अन्य लोग इस एनजीओ को लेकर खड़े किए जा रहे सवालों का जवाब देने के लिए पत्रकार वार्ता में शामिल होने पहुंचे थे। इनमें एनजीओ से जुड़ीं दो युवतियां शामिल थीं।
चश्मदीदों ने बताया कि कुछ लोगों ने पत्रकार वार्ता में पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच पत्रकार वार्ता रोक कर बनर्जी और एनजीओ के अन्य लोग जब प्रेस क्लब परिसर से बाहर निकले, तो दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने बहस के दौरान एनजीओ पर धर्मांतरण का संदेह जताकर इन लोगों के साथ मारपीट शुरू कर दी।
बनर्जी ने संवाददाताओं को बताया,‘‘हम बीते पांच वर्षों से देवास जिले के शुक्रवासा गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और कानूनी सहायता के क्षेत्रों में ग्रामीणों के लिए काम कर रहे हैं। धर्मांतरण को लेकर हम पर जताया जा रहा संदेह एकदम बेबुनियाद है।’’
उन्होंने दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को सबूत पेश करने की चुनौती देते हुए कहा कि वे ऐसे केवल एक व्यक्ति को उनके सामने पेश करें जिसे उनके एनजीओ ने धर्मांतरित कराया हो। बनर्जी ने आरोप लगाया कि शुक्रवासा गांव के कुछ ‘भ्रष्ट और असामाजिक तत्व’ अपने निहित स्वार्थों के चलते उनके संगठन के खिलाफ अफवाहें फैला रहे हैं और उनके काम-काज में रोड़े अटका रहे हैं।
हंगामे और मारपीट के दौरान मौके पर मौजूद बजरंग दल के स्थानीय नेता अविनाश कौशल ने आरोप लगाया कि एनजीओ के लोग भोले-भाले ग्रामीणों को बरगला कर उन्हें हिंदू से ईसाई बना रहे हैं और एनजीओ ने ‘ब्रेन वॉश’ के जरिये कुछ युवाओं को उनके परिवार से दूर करके अपने साथ जोड़ रखा है।
सेंट्रल कोतवाली पुलिस थाने के प्रभारी रवींद्र पाराशर ने बताया कि प्रेस क्लब परिसर के बाहर हुए घटनाक्रम को लेकर उन्हें अब तक किसी भी पक्ष से कोई शिकायत नहीं मिली है।
भाषा हर्ष जितेंद्र
जितेंद्र
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.