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Friday, 19 April, 2024
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मोदी सरकार का प्राथमिक विद्यालयों के लिए नया दिशा-निर्देश, 3-6 साल के बच्चों के लिए कोई परीक्षा नहीं

एनसीईआरटी की इस नई गाइडलाइन में सलाह दी गई है कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों का मूल्यांकन उनके प्रोग्रेस के आधार पर किया जाना चाहिए न कि 'पास' और 'फेल' के आधार पर.

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नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिक स्कूल के बच्चों को लेकर नई गाइडलाइन आई है जिसके तहत तीन से छह साल के आयु वाले बच्चे टेस्ट, मौखिक या फिर लिखित परीक्षा नहीं देगें.

नेशनल काउंसिल फॉर एजूकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की इस नई गाइडलाइन में सलाह दी गई है कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों का मूल्यांकन उनके प्रोग्रेस के आधार पर किया जाना चाहिए न कि ‘पास’ और ‘फेल’ के आधार पर.

सोमवार को जारी किए गए दिशा निर्देशों में कहा गया है बच्चों की पढ़ाई के दौरान फोकस उनकी ताकत पर होना चाहिए न कि किसी भी बच्चे को पास या फेल किए जाने पर.

नए दिशा-निर्देश में यह भी सुझाव दिया गया है कि मूल्यांकन बच्चों की गतिविधियों, उनके स्वास्थ्य, पोषण, शारीरिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति के गुणात्मक निर्णय पर आधारित होना चाहिए.

मोदी सरकार की योजना है कि आने वाले शैक्षणिक सत्र से प्री-स्कूल शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाए.

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मूल्यांकन कैसे किया जाना चाहिए

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, बच्चों ने कैसे और कहां समय बिताया है, इस पर संक्षिप्त लिखित नोट्स, उनके सामाजिक संबंधों, भाषा का उपयोग, बातचीत के तरीके, स्वास्थ्य और पोषण की आदतों के बारे में जानकारी का आकलन करते समय खास ध्यान में रखा जाना चाहिए.

एनसीईआरटी के नियम बताते हैं कि शिक्षकों को बच्चे के सीखने के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए. कला, पेंटिंग, शिल्प कार्य, कोलाज़ मेकिंग आदि में बच्चों के काम के नमूने पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाए जाने चाहिए.

इसमें यह भी कहा गया है कि शिक्षकों को प्रगति का बेहतर आकलन करने के लिए बच्चों के वीडियो और ऑडियो रिकॉर्ड करना चाहिए.

नियमों में कहा गया है, ‘शिक्षक रिकॉर्डिंग के अनुसार उपयुक्त कक्षा प्रथाओं को डिजाइन और संशोधित कर सकते हैं.’

कैरीकुलम में इस तरह के बदलाव का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे एक स्वस्थ कल्याण बनाए रखें, प्रभावी संचारक बनें, शिक्षार्थी शामिल हों और अपने पर्यावरण से जुड़े.

पढ़ाए जाने के दिशा निर्देश

नए एनसीईआरटी दिशानिर्देश शिक्षकों को बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए इसके तरीके पर जोर डालता है.

बच्चों को उनके शरीर के अंगों, और परिवार के सदस्यों के बारे में पढ़ाया जा सकता है, और उदाहरण के लिए विभिन्न खेलों और गतिविधियों के माध्यम से रिश्तों को समझने के लिए बनाया जाता है – ताली बजाना नाम और दोस्ती के नाम पर चलना आदि जैसे प्रयोग इसमें शामिल हैं.

नए नियम बच्चों को जन्मदिन के उत्सव के माध्यम से पारिवारिक मूल्यों को स्थापित करना अभिव्यक्ति का आज़ादी के साथ साथ बच्चों को कई तरह की एक्टीविटी के जैसे ड्राइंग, पेंटिंग आदि गतिविधियों में भी लगाया जाता है.

नए दिशानिर्देशों के अनुसार किताबों से कहानी सुनाना और पढ़ना, चित्र पुस्तकों और कहानी की किताबों को शिक्षण की एक विधि के रूप में इस्तेमाल किए जाने की बात कही गई है.

वे 3-6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए बैठने की व्यवस्था और सहारा, कक्षा के प्रदर्शन और कक्षा की स्थापना को भी निर्दिष्ट करते हैं.

दिशानिर्देश में कहते हैं, ‘स्कूलों में फर्नीचर में बच्चे के आकार के अनुरूप होने चाहिए चाहें वो मेज हो कुर्सी, ताकि उनके पैर फर्श को छू रहे हों जिससे उन्हें स्थिरता प्रदान की जा सके. क्योंकि जब उनके पैर लटकते हैं तो उनके लिए बैठना और गतिविधियों में भाग लेने के साथ-साथ कंस्ट्रेशन बनाना मुश्किल हो जाता है. फर्नीचर को इस तरह से व्यवस्थित किया जाना चाहिए कि यह शिक्षक और बच्चों के लिए पहुंच और स्थान में आसानी प्रदान करे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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