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Friday, 19 April, 2024
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मोदी सरकार ने AGMUT सिविल सेवा कैडर का पुनर्गठन किया, J&K में IPS की संख्या पहले जैसे ही रखी

जम्मू-कश्मीर कैडर का पिछले साल एजीएमयूटी में विलय कर दिया गया था. अब, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को आईपीएस के 70 पद और लद्दाख को 10 पद आवंटित किए गए हैं. जम्मू-कश्मीर को ‘हार्ड एरिया’ की श्रेणी में रखे जाने के साथ कुछ पदों के खाली होने की संभावना है.

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के सिविल सेवा कैडर का अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों (एजीएमयूटी) के साथ विलय कर देने के करीब एक साल बाद गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 9 मार्च को जारी एक आदेश के तहत एजीएमयूटी कैडर को पुनर्गठित किया है.

आदेश के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 70 पद आवंटित किए गए हैं और लद्दाख के लिए स्वीकृत पदों की संख्या 10 है. इन 80 आईपीएस पदों के अलावा इन दोनों ही केंद्रशासित प्रदेशों में राज्य सेवा संवर्ग (पदोन्नति के जरिये आईपीएस बनने वाले अधिकारी) भी हैं.

केंद्र शासित प्रदेश में सेवारत एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के लिए आईपीएस अधिकारियों की कुल संख्या पहले भी लगभग 80 थी.’ साथ ही जोड़ा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह अब सभी आईपीएस पदों के भरे जाने की संभावना है.

अधिकारी ने कहा, ‘हार्ड एरिया में सेवाएं देने वाले अधिकारियों को विशेष प्रोत्साहन मिलता है. पिछले कुछ सालों से जम्मू-कश्मीर कैडर की संख्या घट रही थी लेकिन इस पुनर्गठन के साथ, हम इस क्षेत्र में भर्ती और आईपीएस अधिकारियों की तैनाती में वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने से पहले स्वीकृत कैडर संख्या 147 थी लेकिन कई पद खाली रह गए थे.’

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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बंटे इन केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर सरकार ने 2017 में पिछली बार पुनर्गठन के बाद से एजीएमयूटी आईपीएस कैडर (अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के साथ-साथ राज्य सेवा कैडर को भी मिलाकर) की संख्या 148 बढ़ा दी है.

दिप्रिंट के पास 2017 और मार्च 2022 में जारी पुनर्गठन संबंधी दोनों आदेशों की प्रतियां हैं.

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर सरकार अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को भी जम्मू-कश्मीर भेज सकती है, क्योंकि यह एकीकृत एजीएमयूटी कैडर का हिस्सा बन चुका है. एजीएमयूटी के तहत दिल्ली में आईपीएस के 82 पद स्वीकृत हैं, जो इस कैडर के तहत सबसे बड़ी संख्या है.

अधिकारी के मुताबिक, ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों को मिलाकर आईपीएस के कुल पदों की संख्या राज्य का विशेष दर्जा खत्म किए जाने से पहले की स्थिति की तुलना में बहुत अधिक नहीं बदली. लेकिन अब सरकार सभी पद भरने के प्रति गंभीर है, इसलिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के माध्यम से भर्तियों में वृद्धि हो सकती है. पिछले साल यूपीएससी के जरिये 180 आईपीएस कैडर लिए गए थे.


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ढाई साल का वक्त लगा

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर को एक समर्पित सिविल सेवा कैडर पाने में लगभग ढाई साल का समय लगा है. इस अवधि में गृह मंत्रालय के अधिकारियों और जम्मू-कश्मीर स्थानीय प्रशासन के बीच कई बैठकें हुईं. .

पूर्व में जम्मू-कश्मीर कैडर को खत्म कर दिया गया था और पिछले साल जनवरी में इसका एजीएमयूटी में विलय कर दिया गया. दिसंबर 2021 में सरकार ने स्थिति का विश्लेषण किया और दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कैडर रिव्यू प्रक्रिया शुरू की.

स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने अब वरिष्ठ आईपीएस पदों को पुनर्गठित किया है और राज्य सेवा अधिकारियों के अलावा जम्मू-कश्मीर के लिए 70 और लद्दाख के लिए 10 पद आवंटित किए.

जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के अनुसार, ‘कई बैठकों के बाद आईपीएस पदों की अपेक्षित जरूरत को सरकार के सामने रखा गया. यह आंकड़ा करीब 154 था. हालांकि, अभी हमें जो पद मिले हैं, उसका आंकड़ा अविभाजित राज्य के समान है. यह हमारी आवश्यकता को पूरा करता है लेकिन कुछ पदों को पुनर्गठित किया गया है या कुछ पदों का एक साथ विलय कर दिया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर हमेशा सबसे संवेदनशील क्षेत्र रहा है. पिछले दो सालों से राज्य अपने मौजूदा आईपीएस अधिकारियों के साथ ही काम चला रहा था और कुछ अधिकारियों को यहां प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. अपना एक कैडर होना हमेशा ही अच्छा रहता है, जो हमें अभी मिला है. हमें जल्द ही नई भर्तियां शुरू होने की उम्मीद है.’

सिविल सेवाओं से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस साल जनवरी में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को हार्ड एरिया की श्रेणी में रखे जाने से इन क्षेत्रों के लिए आईपीएस अधिकारियों की भर्ती बढ़ाने में मदद मिलेगी, क्योंकि इन क्षेत्रों में प्रतिनियुक्त अधिकारी कुछ प्रोत्साहनों के पात्र होते हैं, जैसा कि नवंबर 2016 में जारी ‘संयुक्त एजीएमयूटी कैडर के आईएएस/आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर/पोस्टिंग संबंधी दिशानिर्देशों’ में उल्लेख है.


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एजीएमयूटी बना दूसरा सबसे बड़ा कैडर

एजीएमयूटी कैडर के लिए आईपीएस पद आखिरी बार 2017 में तय किए गए थे, जब स्वीकृत कैडर संख्या 309 थी. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को इसमें शामिल करने के साथ एजीएमयूटी के लिए स्वीकृत कैडर की संख्या 457 हो गई थी.

मौजूदा समय में यह दूसरा सबसे बड़ा सिविल सेवा संवर्ग है, जिसमें तीन राज्य— अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम—और आठ केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दमन और दीव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं. अभी 489 स्वीकृत पदों के साथ सबसे बड़ा सिविल सेवा संवर्ग यूपी कैडर है.

इन पदों में राज्य सेवा के अधिकारी भी शामिल हैं. एजीएमयूटी के लिए स्वीकृत आईपीएस कैडर पदों की संख्या अब 248 है, जबकि उत्तर प्रदेश के लिए यह 265 है. 2017 में एजीएमयूटी के लिए यह संख्या 168 थी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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