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Thursday, 25 April, 2024
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सरकारी स्कूल नहीं काटेंगे पलायन कर चुके प्रवासी कामगरों के बच्चों के नाम, बिना दस्तावेज मिलेगा दाखिला

गाइडलाइन में कहा गया है कि स्कूलों को बच्चों से ट्रांसफर सर्टिफिकेट या पिछले क्लास में होने से जुड़ा कोई दस्तावेज न मांगा जाए. परिवार द्वारा दी गई जानकारी को सही मानकर बच्चे को दाखिला दिया जाए.

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नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने प्रवासी कामगरों के बच्चों से जुड़ी एक अहम गाइडलाइन जारी की है. मंत्रलाय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासी कामगरों के बच्चों से जुड़ा डेटा इकट्ठा करने को कहा है.

मंत्रालय ने कहा है कि जिन शहरों से बच्चों का प्रवास हुआ है वहां के सरकारी या सरकार समर्थित स्कूल ऐसे बच्चों के नाम न काटें. वहीं, इस प्रवास के दौरान बच्चे जहां गए हैं वहां के स्कूलों में बिना दस्तावेज के इन्हें दाखिला दिए जाने का भी निर्देश दिया गया है.

गाइडलाइन में कहा गया है कि स्कूलों को बच्चों से ट्रांसफर सर्टिफिकेट या पिछले क्लास में होने से जुड़ा कोई दस्तावेज न मांगा जाए. परिवार द्वारा दी गई जानकारी को सही मानकर बच्चे को दाखिला दिया जाए.

ज़िला प्रशासन और ग्राम पंचायत को शामिल करके दाखिले से जुड़ी इन बातों को पर्याप्त पब्लिसिटी भी देने को गाइडलाइन में कहा गया है.

गाइडलाइन में लिखा है, ‘पलायन की वजह से कुछ राज्यों के स्कूल के छात्रों की संख्या में कमी आ सकती है जिसकी वजह से वो स्कूल से अनुपस्थित पाए जाएंगे. कई जगहों पर बच्चों के दाखिले की मांग में बढ़त नज़र आ सकती है. ऐसे में ये गाइडलाइन इससे जुड़ी है कि बच्चों के सीखने या अकादमिक साल पर कोई असर न पड़े.’

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डेटाबेस तैयार करने के निर्देश

राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से एक डेटाबेस भी तैयार करने को कहा गया है. इसमें जो बच्चे जिन राज्यों से लौटे हैं वहां के स्कूलों के साथ ये डेटा साझा करने की सलाह दी गई है. ये भी कहा गया है कि कोशिश की जाए कि डेटा डिजिटल फॉर्म में हो.

वहीं, जिन राज्यों से बच्चों का पलायन हुआ है वहां भी स्कूल के स्तर पर ऐसा ही डेटा इकट्ठा करने को कहा गया है. डेटा इकट्ठा करने के लिए स्कूलों को फोन, व्हाट्सएप, पड़ोसी या पीयर ग्रुप के जरिए परिवार से संपर्क करने को कहा गया है.

पलायन करने वाले बच्चों के लिए स्कूल के माहौल को भी सहज बनाए जाने की सलाह दी गई है ताकि बच्चें वहां घुल-मिल सकें. स्कूलों को बुक बैंक या लाइब्रेरी से ऐसे बच्चों को किताब और साथ ही मिड डे मील भी देने की सालह दी गई है.

गाइडलाइन में लिखा है, ‘जिन बच्चों का पलायन हुआ है उन्हें फौरी तौर पर अनुपस्थित/पलायन कर चुके, के तौर पर दिखाना है.’ ऐसे बच्चों के लौटने की प्रबल संभावना पर ज़ोर देते हुए उनके नाम नहीं काटने का भी निर्देश दिया गया है. ऐसे बच्चों की संख्या डायरेक्ट्रेट ऑफ एजुकेशन के साथ साझा करने को कहा गया है ताकि इनपर आए खर्च स्कूलों को दिए जा सकें.

ऐसे राज्य जहां हर बच्चे से जुड़ा डिजिटल डेटा है उन्हें उनके यहां पलायन करके आए और पलायन करके गए छात्रों का डेटा अपडेट करने को कहा गया है. जिन छात्रों का पलायन हुआ है उनका डेटा जहां उनका पलायन हुआ है वहां के छात्रों के साथ साझा करने को कहा गया है.

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