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Thursday, 25 April, 2024
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तालिबान ने चुप कराई अफगान मीडिया की आवाज- 15 प्रांतों में कोई महिला पत्रकार नहीं, 6400 पत्रकारों की गई नौकरी

रिपोटर्स विथआउट बॉडर्स (आरएसएफ) और अफगान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (एआईजेए) द्वारा किए गए सर्वे में कहा गया है कि तालिबान के कब्जे के बाद 40 प्रतिशत अफगान मीडिया बंद हो चुके हैं.

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नई दिल्ली: तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में मीडिया के कई आउटलेट्स बंद हो चुके हैं और अब तक 6400 से ज्यादा पत्रकार अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं.

अफगानिस्तान पर 15 अगस्त को तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया था जिसके बाद वहां की मीडिया में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला है.

रिपोटर्स विथआउट बॉडर्स (आरएसएफ) और अफगान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (एआईजेए) द्वारा किए गए सर्वे में कहा गया है कि तालिबान के कब्जे के बाद 40 प्रतिशत अफगान मीडिया बंद हो चुके हैं और करीब 80 प्रतिशत महिला पत्रकारों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है.

सर्वे के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान के आने से पुरुष पत्रकारों की तुलना में महिला पत्रकार ज्यादा प्रभावित हुई हैं.

15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश में कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं और महिलाओं पर इसका काफी बुरा असर देखने को मिला है.

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लगातार बंद हो रहे हैं मीडिया आउटलेट्स

आरएसएफ और एआईजेए के सर्वे के मुताबिक अफगानिस्तान में 15 अगस्त को तालिबान के कब्जे के बाद लगातार मीडिया आउटलेट्स बंद हो रहे हैं.

अफगानिस्तान में इस साल की गर्मियों तक 543 मीडिया आउटलेट्स काम कर रहे थे लेकिन नवंबर के अंत में ये घटकर 312 रह गए हैं. बाकी सभी 231 आउटलेट्स बंद हो चुके हैं. इसका मतलब है कि तीन महीनों में ही 43 प्रतिशत अफगान मीडिया आउटलेट्स बंद हो गए हैं.

सर्वे के मुताबिक चार महीने पहले तक, अफगान के तकरीबन सभी प्रांतों में करीब 10 निजी स्वामित्व वाले मीडिया आउटलेट्स काम कर रहे थे लेकिन अब कुछ इलाकों में एक भी स्थानीय मीडिया नहीं बची है. वहीं पर्वतीय प्रांतों में भी 10 मीडिया आउटलेट्स काम कर रहे थे लेकिन वहां अब तीन आउटलेट्स ही बचे हैं.

अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात में 65 प्रतिशत मीडिया आउटलेट्स बंद हो चुके हैं. वहीं काबुल में हर दो में से एक मीडिया आउटलेट् बंद हो गया है


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पत्रकारों की नौकरियों पर असर

तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में लगातार बंद हो रहे मीडिया आउटलेट्स के कारण पत्रकारों की नौकरियां जा रही हैं.

आरएसएफ और एआईजेए के सर्वे के मुताबिक इस साल अगस्त की शुरुआत में अफगान मीडिया में कुल 10,790 लोग काम कर रहे थे जिसमें 8,290 पुरुष और 2,490 महिलाएं थीं. लेकिन अब केवल 4,360 लोग ही काम कर रहे हैं.

सर्वे के मुताबिक अफगानिस्तान में 84 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी नौकरी गंवाई है यानी कि हर पांच में से चार महिलाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. वहीं 52 प्रतिशत पुरुष इससे प्रभावित हुए हैं.

अफगानिस्तान के कुल 34 प्रांतों में से 15 प्रांतों में अब कोई भी महिला पत्रकार नहीं बची है.

तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने आरएसएफ को बताया कि इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान मीडिया की स्वतंत्रता को तय फ्रेमवर्क में सपोर्ट करता है ताकि देश का हित सुरक्षित रहे और शरिया और इस्लाम के प्रति सम्मान बना रहे.

सर्वे के मुताबिक तालिबान के कब्जे के बाद अफगान मीडिया को आर्थिक तौर पर भी नुकसान झेलना पड़ा है. काफी सारे मीडिया आउटलेट्स को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तौर पर फंडिंग मिलती थी जो कि तालिबान के आने के बाद बंद हो गई.

अफगान सरकार के प्रवक्त मुजाहिद ने बताया कि जिन देशों की अफगानिस्तान में सैन्य तौर पर उपस्थिति थी, वहां से आने वाली सब्सिडी पर रोक लगा दी गई है.

बता दें कि प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में अफगानिस्तान की स्थिति काफी खराब है. आरएसएफ द्वारा पिछले साल अप्रैल में जारी किए गए वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में अफगानिस्तान 122वें स्थान पर था.


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