नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने एक दिसंबर से मामलों की सूची को सुव्यवस्थित करने के वास्ते कदम उठाए हैं तथा मामलों के सूचीबद्ध और उल्लेख के लिए परिपत्र जारी किए गए हैं।
परिपत्र के अनुसार, वादियों को तत्काल सुनवाई की आवश्यकता वाले अपने मामले को सूचीबद्ध करने के लिए पीठ के समक्ष उल्लेख करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि नए मामले स्वतः ही सूचीबद्ध हो जाएंगे।
परिपत्र में कहा गया है, ‘‘व्यक्तियों की स्वतंत्रता से जुड़े सभी नए मामले और जहां तत्काल अंतरिम आदेश की मांग की गई है और मामले का सत्यापन हो चुका है, अगले दो कार्यदिवसों के भीतर सूचीबद्ध किए जाएंगे।’’
इसमें कहा गया, ‘‘सभी जमानत याचिकाओं का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करने के लिए, अग्रिम प्रति प्रतिवादी (भारत संघ/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश) के संबंधित नोडल अधिकारी/स्थायी वकील को दी जानी चाहिए।’’
परिपत्र के अनुसार, अग्रिम जमानत, मृत्युदंड, बंदी प्रत्यक्षीकरण, बेदखली और तोड़फोड़ की कार्रवाई से संबंधित असाधारण रूप से जरूरी मामले में, जो निर्धारित तिथि पर सूचीबद्ध होने की प्रतीक्षा नहीं कर सकते, अनुरोध सुबह 10:00 बजे से 10:30 बजे के बीच किया जा सकता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘किसी भी वरिष्ठ वकील को किसी भी अदालत के समक्ष मौखिक उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। युवा कनिष्ठ वकील को मौखिक उल्लेख करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।’’
परिपत्र में कहा गया है कि नियमित सुनवाई वाले पुराने मामलों का निपटारा सुनिश्चित करने के लिए, अदालतों के समक्ष सूचीबद्ध ऐसे मामलों के स्थगन का अनुरोध करने वाले किसी भी पत्र की अनुमति नहीं दी जाएगी।
भाषा शफीक संतोष
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