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Friday, 29 March, 2024
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ममता ने ‘यास’ से हुए नुकसान की PM मोदी को सौंपी रिपोर्ट, 20,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में चक्रवाती तूफान ‘यास’ से हुए नुकसान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रवार को एक रिपोर्ट सौंपी और सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की.

मोदी चक्रवात के बाद की स्थिति की समीक्षा करने के लिए दिन में पहले ओडिशा गए और फिर पश्चिम बंगाल आए.

बनर्जी ने दावा किया कि चक्रवाती तूफान से राज्य को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

दीघा में आयोजित एक प्रशासनिक बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘हमने दीघा और सुंदरबन के पुनर्विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है. यह भी हो सकता है कि हमें कुछ न मिले.’ एक अधिकारी ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक लगभग 15 मिनट चली.

इस बीच, प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मोदी ने तत्काल राहत गतिविधियों के लिए 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है.

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इसमें कहा गया है, ओडिशा को तुरंत 500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए और 500 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है, जिसे नुकसान के आधार पर जारी किया जाएगा.

विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार नुकसान का आकलन करने के वास्ते राज्यों का दौरा करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम तैनात करेगी, जिसके आधार पर आगे की सहायता दी जाएगी.

इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने चक्रवात में मरे लोगों के परिजनों को दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि और गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा भी की है.

देश के पूर्वी तटों पर बुधवार को चक्रवाती तूफान ‘यास’ ने काफी तबाही मचाई थी और इसमें चार लोगों की मौत हुई थी और पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में 21 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया था.

सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी मीटिंग के लिए आधे घंटे देर से आईं. मीटिंग कक्ष में दाखिल होने के बाद उन्होंने साइक्लोन से प्रभावित क्षेत्रों से संबंधित पेपर दिए और यह कहते हुए कक्ष से बाहर हो गईं कि उन्हें दूसरी मीटिंग में जाना है.

सूचना के मुताबिक ममता बनर्जी मुख्य सचिव के साथ आईं और प्रधानमंत्री से मुलाकात की. तूफान के कारण हुए नुकसान के लिए प्रधानमंत्री को पेपर्स दिए और उनसे अनुमति लेकर दीघा आ गईं.


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