लातूर (महाराष्ट्र), दो दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के लातूर स्थित एक कॉलेज संग्रहालय में संरक्षित 518 साल पुराने ताम्रपत्र को पहली बार हाल में पढ़ा गया और पाया गया कि इससे बहमनी काल के दौरान दो व्यक्तियों के बीच लड़ाई के बारे में जानकारी मिलती है।
शोधकर्ता कृष्णा गुडाडे ने बताया कि 1507 ईस्वी का यह ताम्रपत्र लातूर के राजर्षि शाहू कॉलेज के संग्रहालय में मिला था।
इसमें लातूर शहर के बाहरी इलाके में स्थित आज के खड़गांव ग्राम में चांदपीर दरगाह के पास, दुधल झील के पास ‘सवारू’ और ‘विठोबा खंडागले (जाधव)’ के बीच हुई हिंसक झड़प का विवरण दर्ज है।
मध्यकाल में प्रचलित मराठी लिपि ‘मोडी’ में 30 पंक्तियों वाले दो ताम्रपत्रों पर अंकित अभिलेख में कहा गया है कि खंडागले मुठभेड़ में मारा गया और उसकी पत्नी मौके पर सती हो गई।
यह ताम्रपत्र कुलकर्णी नाना दाम गांव के एक व्यक्ति द्वारा लिखा गया था और इसकी तिथि ‘‘17 मोहर्रम’’ अंकित है।
राजर्षि शाहू महाविद्यालय की इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना टाक-जोशी ने कहा, ‘‘बहमनी काल के दौरान का 518 साल पुराना यह ताम्रपत्र न केवल एक स्थानीय युद्ध का दस्तावेज है, बल्कि उस समय के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन पर भी प्रकाश डालता है।’’
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