(नीलेश भगत)
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) विधि आयोग ने कहा है कि आदर्श आचार संहिता लागू करने के लिए कानून लाने से चुनावों के दौरान इसके क्रियान्वयन में रुकावट आएगी और ‘‘हो सकता है’’ कि निर्वाचन आयोग की शक्ति कम हो जाए, जो स्वतंत्र, निष्पक्ष और समय पर चुनाव कराने के अनुकूल नहीं होगा।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से जुड़े विधेयकों का अध्ययन कर रही संसद की संयुक्त समिति को दी गई अपनी राय में, विधि आयोग ने कहा कि आदर्श आचार संहिता की ‘सबसे बड़ी ताकत’ इसकी तेजी से सुधार करने की क्षमता में है।
उसने कहा, ‘‘चुनाव सख्ती से समय पालन करते हुए होते हैं, जिसके कारण उल्लंघन पर कुछ दिन या घंटों के भीतर ही ध्यान देना होता है, ताकि चुनावी प्रक्रिया को ऐसा नुकसान न हो जिसकी भरपाई ही न हो सके।’’
विधि आयोग ने कहा कि अगर आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) वैधानिक हो जाती है, तो उल्लंघन के बाद औपचारिक कानूनी कार्रवाई शुरू हो जाएगी, जिससे न्यायिक पड़ताल शुरू हो सकती है।
आयोग ने चेतावनी दी कि फैसले की प्रक्रिया हमेशा तेज, निर्णायक और असल कार्रवाई की जरूरत को पूरा नहीं कर सकती।
निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने याद दिलाया कि 2001 के आसपास, जब आयोग से चुनाव सुधार के बारे में पूछा गया था, तो उसने ऐसा ही पक्ष रखा था।
विधि आयोग ने कहा कि मौजूदा प्रणाली निर्वाचन आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत अपनी संपूर्ण शक्तियों का इस्तेमाल करके बिना किसी प्रक्रियागत देरी के समय पर दखल देने की इजाजत देती है।
भाषा वैभव सुरेश
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