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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशशी जिनपिंग के तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति चुने जाने पर केरल के CM पिनाराई विजयन ने दी 'शुभकामनाएं'

शी जिनपिंग के तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति चुने जाने पर केरल के CM पिनाराई विजयन ने दी ‘शुभकामनाएं’

विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा भारत-चीन संबंधों को 'असामान्य' बताए जाने के बाद विजयन की तरफ से यह शुभकामनाएं आई हैं. जब दोनों देशों ने पिछली बार मुलाकात की थी तब सैनिकों के पीछे हटने की बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली थी.

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नई दिल्ली: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उनके फिर से निर्वाचित होने पर अपनी “रिवोल्यूशनरी ग्रीटिंग्स” भेजी हैं. जिनपिंग ने शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति के रूप में अभूतपूर्व तीसरी बार चुने गए हैं.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता ने कम्युनिस्ट चीन के मुखिया की कामना करते हुए रविवार को कहा कि यह सराहनीय है कि चीन वैश्विक राजनीति में एक प्रमुख आवाज के रूप में उभरा है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “अधिक समृद्ध चीन हासिल करने के निरंतर प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.”

ज्यादातर मामलों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही अपने समकक्षों को उनके चुने जाने पर शुभकामनाएं भेजते हैं. हालांकि, सीमा पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच, प्रधानमंत्री या किसी अन्य वरिष्ठ मंत्री की ओर से कोई शुभकामना नहीं दी गई.

विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा भारत-चीन संबंधों को ‘असामान्य’ करार दिए जाने के एक सप्ताह बाद विजयन का यह ट्वीट आया है.

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दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल जनवरी में विजयन ने अपनी पार्टी के नेता द्वारा चीन की प्रशंसा किए जाने पर इसके विपरीत रुख अपनाया था. माकपा के वरिष्ठ नेता एस. रामचंद्रन पिल्लई ने पिछले साल अमेरिकी साम्राज्यवाद पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त ताकत हासिल करने के लिए चीन की तारीफ कर विवाद खड़ा कर दिया था. एक दिन बाद विजयन ने पिल्लई के दावे का खंडन करते हुए चीनी दृष्टिकोण की आलोचना की थी.

भारत-चीन के बीच सीमा रेखा विवाद को लेकर संबंध पिछले कुछ वर्षों में – विशेष रूप से 2020 के गलवान संघर्ष के बाद – खराब हुए हैं. इस साल की शुरुआत में, भारत ने जोर देकर कहा था कि चीन के साथ बेहतर संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति आवश्यक है.

दो हफ्ते पहले, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव वाले स्थानों पर सेना को पीछे हटाने के संबंध में बीजिंग में वार्ता की, लेकिन इसमें कोई सफलता नहीं मिली.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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