हैदराबाद, 12 नवंबर (भाषा) तेलंगाना उच्च न्यायालय ने कालेश्वरम परियोजना के सिलसिले में राज्य सरकार को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के. चंद्रशेखर राव और अन्य के खिलाफ कोई भी प्रतिकूल कार्रवाई करने से रोकने वाले अपने अंतरिम आदेश की अवधि जनवरी तक बढ़ा दी है।
कालेश्वरम परियोजना के क्रियान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग के निष्कर्षों पर यह जांच आधारित है।
केसीआर, पूर्व मंत्री हरीश राव, पूर्व मुख्य सचिव शैलेंद्र कुमार जोशी और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल की ओर से दायर रिट याचिकाएं बुधवार को मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति जी एम मोहिउद्दीन की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं और इस दौरान राज्य सरकार के वकील ने इस संबंध में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा।
इस मामले की सुनवाई को जनवरी 2026 तक स्थगित करते हुए, उच्च न्यायालय ने केसीआर, हरीश राव, जोशी और सभरवाल को दी गई अंतरिम सुरक्षा भी बढ़ा दी।
उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पी सी घोष की अध्यक्षता में एक आयोग ने भारत राष्ट्र समिति के पिछले कार्यकाल के दौरान कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के निर्माण में कथित अनियमितताओं की जांच की थी। आयोग ने हाल ही में जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी है।
यह रिपोर्ट इस वर्ष अगस्त में राज्य विधानसभा में पेश की गई थी और चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के सरकार के फैसले की घोषणा की थी।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कालेश्वरम परियोजना के निर्माण और अन्य पहलुओं में कथित अनियमितताओं के लिए चंद्रशेखर राव को जिम्मेदार ठहराया। रिपोर्ट में केसीआर के भतीजे और बीआरएस शासन के दौरान सिंचाई मंत्री रहे हरीश राव को भी दोषी बताया गया है।
रिपोर्ट को चुनौती देते हुए केसीआर और हरीश राव तथा अन्य ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
भाषा रवि कांत सुरेश
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