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Saturday, 20 April, 2024
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शिक्षा मंत्रालय की हाई पावर कमेटी की तीसरी बैठक में भी नहीं पहुंचे जेएनयू वीसी

जेएनयू में हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर अगले बृहस्पतिवार तक कोई रास्ता नहीं निकलता है, तो जेएनयू में ठप पड़ी पढ़ाई के एक महीने पूरे हो जाएंगे.

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नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी की बैठक में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के (जेएनयू) के वीसी नदारद रहे. प्रशासन, छात्रों और अन्य हितधारकों के साथ शुक्रवार को तीसरी मुलाकात हुई.

शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी की मुलाकातों में नहीं जाने को लेकर वीसी की चौतरफा आलोचना हो रही थी. शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि मंत्रालय में भी इस पर चर्चा गरम है कि वीसी को छात्रों से संवाद करना चाहिए.

वीसी द्वारा कमेटी की बैठक में शामिल न होने पर गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है. जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने वीसी कुमार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वो किसी बैठक का हिस्सा नहीं रहे हैं.

साकेत मून ने कहा, ‘वीसी सिर्फ़ सोशल मीडिया के जरिए बातचीत करने में भरोसा रखते हैं. जब से ये सब शुरू हुआ है तब से उन्होंने सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए ही हमसे संवाद किया है.’

बैठक से निकलकर आई जानकारी के मुताबिक कमेटी ने एक बार फ़िर से छात्रों से कैंपस का माहौल सामान्य बनाने की अपील की. लेकिन छात्र हॉस्टल मैन्युअल में हुए बदलावों के बाद बढ़ी फ़ीस को पूरी तरह से वापस करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.

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जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष बालाजी ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा, ‘कोई नई बात नहीं हुई. उन्होंने छात्रों से फ़िर से क्लास में लौटने की अपील दोहराई, जवाब में छात्रों ने बढ़ी फ़ीस के कंप्लीट रोलबैक की मांग की.’ ऐसे में साफ़ है कि 28 अक्टूबर से जारी जेएनयू का ये विरोध जारी रहेगा.

इस मामले पर शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अभी ये तय नहीं हुआ है कि कमेटी अपनी रिपोर्ट या राय कब तक देगी. ऐसे में अगर अगले बृहस्पतिवार तक कोई रास्ता नहीं निकलता तो जेएनयू में ठप पड़ी पढ़ाई को एक महीने पूरे हो जाएंगे.

इसके पहले बृहस्पतिवार को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के छात्रसंघ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का इस्तीफ़ा मांगते हुए कमेटी को सिरे से ख़ारिज कर दिया.


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प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी ने कहा कि कमेटी इसीलिए बनाई जाती है ताकि मामले में समझौता कराया जा सके. एबीवीपी से पिछले जेएनयूएसयू चुनाव में अध्यक्ष पर उम्मीदवार मनीष जांगिड़ ने कहा, ‘लेफ्ट छात्र संगठनों ने इस कमेठी से मुलाकात कर हमारी स्थिति को कमज़ोर करने का काम किया है, जब जेएनयू एक स्वायत्त यूनिवर्सिटी है तो इसमें कोई कमेटी कैसे दखल दे सकती है.’

आपको बता दें कि 28 अक्टूबर को एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग के बाद जेएनयू प्रशासन ने हॉस्टल मैन्युअल में बदलाव कर हॉस्टल से जुड़ी फ़ीस बढ़ाने का फ़ैसला लिया था. जब यह फैसला लिया गया तब छात्र संघ को आमंत्रित नहीं किया गया था. उसी दिन से छात्रों का ये प्रदर्शन जारी है और उनकी मांग है कि हॉस्टल मैन्युअल में हुए बदलावों को पूरी तरह से वापस लिया जाए.

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