scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशजम्मू-कश्मीर में 34 अखबार पैनल से बाहर, 13 का विज्ञापन रुका और 17 को नोटिस जारी

जम्मू-कश्मीर में 34 अखबार पैनल से बाहर, 13 का विज्ञापन रुका और 17 को नोटिस जारी

दिसंबर 2020 में लिए इस निर्णय की वजह साहित्यिक चोरी और घटिया सामग्री को बताया गया है और यह मीडिया बिरादरी से मिली शिकायतों की चार महीने तक चली जांच पर आधारित है.

Text Size:

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर सरकार ने 34 अखबारों को सूची से बाहर कर दिया है और सर्कुलेशन और प्रकाशन संबंधी अन्य दिशानिर्देशों के उल्लंघन के कारण 13 अन्य पब्लिकेशन का विज्ञापन रोक दिया है. वहीं, ‘कथित साहित्यिक चोरी’ और ‘दोषपूर्ण सामग्री’ के प्रकाशन के कारण 17 अन्य समाचार प्रकाशनों को नोटिस जारी किए गए हैं.

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेश के दर्जनों समाचारपत्रों के कामकाज का पता लगाने और जांच करने के लिए चार महीने चली लंबी कवायद के बाद 7 दिसंबर को यह फैसला लिया गया था. केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने कहा कि उसे मीडिया बिरादरी के भीतर से ही इन संगठनों के खिलाफ कथित रूप से कदाचार और विज्ञापन नीति का उल्लंघन किए जाने की शिकायतें मिल रही थीं.

यहां 17 प्रकाशनों को जारी नोटिस में समाचार संगठनों से जून 2020 में जारी नई मीडिया नीति के मानकों का पालन करने को कहा गया है, जिसके तहत सरकार ‘फेक न्यूज, साहित्यिक चोरी और अनैतिक और राष्ट्रविरोधी सामग्री’ के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और मीडिया के अन्य स्वरूपों की सामग्री की जांच करती है.

दिप्रिंट के पास मौजूद आधिकारिक दस्तावेज दिखाते हैं कि समिति ने इस बात को ध्यान में रखा कि कुछ अखबार मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी के कारण अपने मुद्दों को नियमित रूप से प्रकाशित नहीं कर पाए हैं.

एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘इसके बावजूद, कई समाचार प्रकाशन कदाचार में लिप्त रहे हैं और अपनी प्रसार संख्या के बारे में गलत जानकारी देते रहे हैं. न्यूज पब्लिकेशन के खिलाफ कार्रवाई सरकार की तरफ से गठित समिति की तरफ से की गई व्यापक जांच और चार महीने लंबी कवायद के बाद की गई है.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

अधिकारी ने कहा, ‘2017-18 से ये पब्लिकेशन विज्ञापन नीति का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन कर रहे हैं और इन्होंने अपने प्रसार, स्वामित्व और प्रकाशन की गुणवत्ता से संबंधित मामलों में अधिकारियों को धोखा देने की कोशिश की है.’

जिन पब्लिकेशन पर कार्रवाई की गई है उनमें राइजिंग कश्मीर, गैलेक्सी न्यूज़, कश्मीर इमेजेज और अपना जम्मू शामिल हैं.

यह फैसला 15 मई 2020 को गठित सरकार की इम्पैनलमेंट कमेटी ने लिया जिसमें वित्त विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.


यह भी पढ़ें: तीन करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को फरवरी तक कोरोना वैक्सीन देने का लक्ष्य: हर्षवर्धन


‘अखबारों का कदाचार’

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार ने यह कार्रवाई अखबारों के आकार या नाम के आधार पर नहीं बल्कि कथित कदाचार के कारण की है.

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि प्रसार पर गलत आंकड़े देना, वास्तविक स्वामित्व के बारे में जानकारी छिपाना और छपी सामग्री, कागज की गुणवत्ता (रंगीन अखबारों को अधिक सरकारी धन मिलता है), इंटरनेट या अन्य समाचार पत्रों से प्रकाशन सामग्री की चोरी जैसे कुछ ऐसे कथित उल्लंघन थे जो जांच के दौरान सामने आए.

जम्मू संभाग में मान्यता प्राप्त की सूची से बाहर होने वाले अखबारों में हिल पीपुल, नावीद, दैनिक कश्मीर टाइम्स, स्वर्ण स्मारिका, नई रोशनी, हाइट ऑफ लाइफ, जमीर-ए-खल्क, गैलेक्सी न्यूज़, अपना जम्मू, द अर्थ न्यूज और लोक शक्ति जैसे थोड़े-बहुत नामी अखबार शामिल हैं.

जांच से जुड़े रहे एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अखबारों की प्रसार संख्या की जांच के लिए हमारी टीमों ने कई जगहों जैसे अखबार के स्टैंड और वेंडर्स की दुकानों पर छापे मारे और हमने पाया कि कुछ समाचार पत्र केवल सरकारी रिकॉर्ड में ही मौजूद थे. कुछ ऐसे अखबार भी पाए गए जिनकी केवल एक प्रति छापकर सूचना विभाग को भेजी गई थी.’

दिप्रिंट को मिले आंकड़ों के अनुसार, कश्मीर में 164 प्रतिष्ठित प्रकाशन सूचीबद्ध हैं, जिनमें अखबार, मैगजीन, साप्ताहिक और पाक्षिक पत्र-पत्रिकाएं शामिल हैं. इनमें 41 अंग्रेजी दैनिक, 59 उर्दू दैनिक और 56 अंग्रेजी और उर्दू सप्ताहिक हैं.

जम्मू में 84 अंग्रेजी दैनिक, 31 उर्दू और 24 हिंदी दैनिक, 14 बहुभाषी (हिंदी/डोगरी) सप्ताहिक, 37 उर्दू सप्ताहिक और 30 अंग्रेजी सप्ताहिक सहित 248 प्रकाशन सूचीबद्ध हैं.

अब तक, जम्मू में 24 न्यूज पब्लिकेशन को सूची से बाहर किया गया है, 17 को नई मीडिया नीति 2020 अपनाने के लिए नोटिस भेजा गया है और पांच का विज्ञापन निलंबित किया गया है.

कश्मीर में 10 अखबारों को सूची से बाहर किया गया है और आठ अन्य के विज्ञापन निलंबित कर दिए गए हैं.

प्रसार संबंधी आंकड़ों में हेराफेरी के कारण विगरस न्यूज, स्टेट मॉनीटर और ट्रेड एंड जॉब आदि को सरकार ने सूची से बाहर किया है. कश्मीर में वादी गुलपीश, सदाकत-ए-रहबर, हक नवाज और सद-रंग सेहर सहित आठ समाचार पत्रों के प्रेस पर रोक लगाई गई है.


यह भी पढ़ें: टीकाकरण अभियान के पहले दिन दिल्ली में कोविड वैक्सीन के प्रतिकूल असर के 52 मामले सामने आए


‘मीडिया के लोगों ने निजी हित के लिए बाकियों को प्रभावित किया’

सूची से बाहर किए गए जाने-माने पब्लिकेशन में कश्मीर इमेजेज का जम्मू संस्करण शामिल है जिसने जनवरी 2018 के बाद से एक भी संस्करण प्रकाशित नहीं किया है. इसी तरह दिसंबर 2019 से अखबार की प्रतियां संयुक्त निदेशक के कार्यालय न भेजने के कारण राइजिंग कश्मीर के जम्मू संस्करण के लिए विज्ञापन बंद कर दिया गया है.

राइजिंग कश्मीर के प्रबंध संपादक शोएब हमीद ने दिप्रिंट को बताया, ‘अभी तक हमारे कार्यालय को इस बाबत कोई सूचना दिए जाने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है, इसलिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से ही इस बारे में सुना है.’

दिप्रिंट ने भी फोन कॉल के जरिये कश्मीर इमेजेज के संपादक बशीर मंजर से संपर्क साधा लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित किए जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.

जम्मू स्थित आज की जंग के मालिक मोहम्मद इस्माइल ने कहा कि पहले अनुच्छेद 370 के कारण संचार पर लगी पाबंदियों और फिर 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण उनके अखबार का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम इसे फिर 100 प्रतिशत संचालन की स्थिति में लाने की कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद है कि हमें फिर से सूचीबद्ध किया जाएगा.’

दैनिक गदियाल के मालिक अर्शीद रसूल ने कहा, ‘कुछ व्यवसायी निजी स्वार्थों के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए हैं. यहां तक कि कुछ सरकारी कर्मचारी जो अखबार निकालते हैं. ऐसे ही कुछ लोगों की वजह से कश्मीर में पत्रकारिता का नाम खराब हुआ है. उनके कृत्यों का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कैसे ये युवा IAS ‘गज़ब गाजियाबाद’ बनाने के अभियान में जुटा हुआ है


 

share & View comments