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Monday, 2 December, 2024
होमदेश'कुछ एरर रह गया था,' रांची पुलिस ने कुछ घंटे बाद ही उतारे उपद्रवियों की फोटो वाले पोस्टर

‘कुछ एरर रह गया था,’ रांची पुलिस ने कुछ घंटे बाद ही उतारे उपद्रवियों की फोटो वाले पोस्टर

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रांची हिंसा पर राज्यपाल रमेश बैस से रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद सोमवार को राज्यपाल रमेश बैस ने डीजीपी, एडीजी, डीसी और एसएसपी को राजभवन तलब किया था.

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रांची: नुपुर शर्मा के बयान के बाद रांची में शुक्रवार को हुई हिंसा में पुलिस जांच कर रही है. राज्यपाल के निर्देश के बाद मंगलवार शाम को घटना में शामिल संदिग्धों के पोस्टर राजभवन के नजदीक जाकिर हुसैन पार्क के पास लगाए गए.

हालांकि कुछ देर बाद ही रांची पुलिस ने इन पोस्टरों को हटा लिया और बयान जारी कर कहा गया कि जो फोटो जारी की गईं थीं, उसे संशोधन कर वापस जल्द लगाया जाएगा.

रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने दिप्रिंट को बताया, ‘जांच को कोर्ट भी देख रही है. ऐसे में पोस्टर जारी करने से पहले कुछ टेक्निकल एरर रह गए. जिसे सुधार के लिए फिलहाल हटाया गया है.’

हालांकि, क्या एरर रहे, उसके बारे में उन्होंने फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने यह भी नहीं बताया कि आगे पोस्टर जारी होगा या नहीं.

15 को किया गिरफ्तार 40 हिरासत में

पुलिस ने हिंसा और उपद्रव की घटनाओं को लेकर देर शाम एक बयान जारी कर बताया कि अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 40 से भी अधिक लोगों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है.

गिरफ्तार किये गये लोगों में से सात का अभी रिम्स में इलाज चल रहा है. पुलिस ने रांची के छह थाना क्षेत्रों में रहने वाले 155 लोगों पर 107 के तहत निरोधात्मक कार्रवाई भी की है. इस मामले में अब तक कुल 26 एफआईआर दर्ज की गयी है, जिसमें 50 से ज्यादा लोगों को नामजद किया गया है. इसके अलावा एक हजार से ज्यादा अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है.

पोस्टर जारी किए जाने पर जेएमएम ने भारी आपत्ती जाहिर की जिसके बाद इसे हटाया गया है.

वहीं जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस प्रकरण पर दिप्रिंट को बताया, ‘पोस्टर जारी करना फेयर प्रैक्टिस नहीं है. इससे चीजों को और भी सेंसिटिव बनाते हैं. इसका एक सोशल इंपैक्ट पड़ता है. जब पुलिस के पास सारी फुटेज, सभी फोटो उपलब्ध हैं, फिर पोस्टर क्यों. ये तो अमानवीय है. इसको लोकर सुप्रीम कोर्ट की भी गाइडलाइन है कि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं.’

इधर पूरे घटनाक्रम और पुलिसिया कार्रवाई पर कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी रांची पुलिस पर लगातार हमलावर हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि पुलिस ये बता सकती है कि एसओपी के अनुसार भीड़ व प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए सीधा गोली चलाना ही अंतिम विकल्प था. शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पहली गोली किसने चलाई और गोली चलाने का आदेश किसने दिया था. जिन बच्चों पर गोली चलाई गई, वो क्या उग्रवादी थे.

उन्होंने मांग की है कि मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपए मुआवजा राज्य सरकार दे.

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस हिंसा पर राज्यपाल रमेश बैस से रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद सोमवार को राज्यपाल रमेश बैस ने डीजीपी, एडीजी, डीसी और एसएसपी को राजभवन तलब किया था.

उन्होंने पूछा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस, रबर बुलेट का उपयोग क्यों नहीं किया गया. जब प्रदर्शन की सूचना थी तो इसके इंतजाम क्यों नहीं किए गए. आईबी, सीआईडी, स्पेशल ब्रांच ने क्या इनपुट दिए थे.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि गिरफ्तार हो चुके लोगों का पोस्टर शहर के विभिन्न इलाकों में लगाए जाएं, ताकि पब्लिक पुलिस को जांच में सहयोग करे.

इधर पुलिस ने जांच तेज कर दी है. खुद डीजीपी नीरज सिन्हा पूरे मामले पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. मंगलवार को भी उन्होंने रांची डीआईजी ऑफिस पहुंच कर जांच की प्रगति की समीक्षा की है. वहीं बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारियां भी शुरू हो चुकी है.

हालांकि इस गिरफ्तारी का विरोध भी हो रहा है. मंगलवार को ही कोतवाली थाने में गिरफ्तार हुए लोगों के परिजन पहुंचकर हंगामा करने लगे.


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