नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) युवाओं को वैश्विक घटनाक्रमों में दिलचस्पी लेने का संदेश देते हुये विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि आज के छात्रों के लिए जो दुनिया इंतजार कर रही है, वह पूरी तरह से अलग होने के साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ड्रोन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसी प्रौद्योगिकियों से प्रभावित है।
दिल्ली में द एयर फोर्स स्कूल (टीएएफएस) के 70वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस परिसर में आकर वह भावविभोर महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उनकी ‘बहुत सारी पुरानी यादें’ ताजा हो गईं।
स्कूली शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘स्कूल में हमें जो सिखाया जाता है, वह हमारे जीवन में बहुत काम आता है। जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं कि मैंने जीवन में कैसा काम किया, तो मैं पाता हूं कि मैंने इनमें से बहुत से गुणों को आत्मसात किया।’
जयशंकर ने एक अनुभवी राजनयिक के रूप में अपने अनुभव का जिक्र करते हुए इस बात पर जोर दिया कि स्कूलों में सीखे गए सबक और कौशल पेशेवर जीवन में भी काम आते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना अधिकांश जीवन कूटनीति की दुनिया में बिताया है और कूटनीति में आप हर समय बातचीत करते रहते हैं। बातचीत करने के लिए आपको अपने प्रतिस्पर्धियों से कहीं बेहतर तैयारी और सोच-विचार करना होता है। आप उनसे तभी बेहतर तैयारी और सोच-विचार कर सकते हैं, जब आप उन गुणों को अपने अंदर समाहित कर लें, जो शिक्षक हममें डालने का प्रयास करते हैं, यानी अपना होमवर्क करें, उसे समझें, तैयारी करें और भावी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने का प्रयास करें।’
जयशंकर ने कहा कि स्कूली जीवन के दौरान अर्जित वे गुण, वे आदतें, वास्तव में ‘इन सभी वर्षों में मेरे बहुत काम आईं।’
उन्होंने स्कूल जाने वाले युवाओं को चार सूत्री संदेश दिया।
विदेश मंत्री ने कहा कि उनका पहला संदेश है- ‘स्कूल को गंभीरता से लें, शिक्षकों की बात सुनें।’
उन्होंने कहा, ‘दूसरा संदेश जो मैं आज विदेश मंत्री के रूप में और कूटनीति की दुनिया से जुड़े एक व्यक्ति के रूप में दे रहा हूं, वह यह है कि दुनिया (के घटनाक्रमों) में दिलचस्पी लें, क्योंकि हम वैश्वीकृत समय में रह रहे हैं, चाहे हम इसे पसंद करें या नहीं, दुनिया हमारे घरों में आ गई है, दुनिया हमारे हर काम को आकार देती है।’
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि अगर भारत को एक देश के रूप में समृद्ध होना है, एक समाज के रूप में आगे बढ़ना है और ‘अगर हमें ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य हासिल करने हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम वैश्वीकृत दुनिया की वास्तविकता को पहचानें तथा समझें कि यह हमें कितनी गहराई से प्रभावित करती है।’
उन्होंने कोविड-19 महामारी का उदाहरण देते हुए कहा कि इसकी शुरुआत एक देश से हुई और इसने लोगों के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘आज के छात्रों के लिए जो दुनिया इंतजार कर रही है, वह बिल्कुल अलग होगी। वह एआई की दुनिया होगी, तकनीक की दुनिया होगी, ड्रोन की दुनिया होगी, अंतरिक्ष की दुनिया होगी, वह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और हरित हाइड्रोजन की दुनिया होगी। वह उन सभी चीजों से नाटकीय रूप से अलग होगी, जो हम जानते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है कि हर पीढ़ी यही कहती है, लेकिन इस बार यकीन मानिए, बदलाव का पैमाना, उसकी तीव्रता, हमारे जीवन पर उसका प्रभाव, हमारी जानकारी से और शायद हमारी कल्पना से भी कहीं ज्यादा अलग होने वाला है। मेरी सलाह है कि जैसे-जैसे आप स्कूल जाते हैं, दुनिया में अपनी रुचि विकसित करें।’
जय़शंकर ने स्पष्ट किया कि दुनिया में रुचि लेने का अर्थ यह नहीं है कि वैश्विक घटनाक्रमों के बारे में स्कूलों में औपचारिक रूप से पढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि इसे संगीत, किताबों, फिल्मों के माध्यम से विकसित किया जा सकता है और स्मार्टफोन के जरिये लोग पहले की तुलना में दुनिया से अधिक जुड़ सकते हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां विश्व द्वारा प्रस्तुत लाभों को पूरी तरह से ग्रहण करने और विश्व द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का सामना करने की अपनी क्षमता के आधार पर देश को परिभाषित करेंगी।
उन्होंने छात्रों से प्रतिस्पर्धात्मक भावना विकसित करने के लिए फिट रहने और कोई खेल खेलने का आग्रह किया।
भाषा पारुल रंजन
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