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रविवार, 27 अप्रैल, 2025
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केरल को जातिवादी तत्वों से आगाह करने के लिए मैंने अपने साथ हुए भेदभाव पर बात की : राधाकृष्णन

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(के प्रवीण कुमार)

तिरुवनंतपुरम, 20 सितंबर (भाषा) केरल देवस्वम मामलों के मंत्री के.राधाकृष्णन ने बुधवार को कहा कि उन्होंने मंदिर में उनके साथ हुए जातिगत भेदभाव की घटना का सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया क्योंकि वह राज्य के प्रगतिशील समाज को आगाह करना चाहते थे कि जातिवाद की बुराई ‘‘ एक बार फिर सिर उठाने की कोशिश कर रही है।’’

केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की केंद्रीय समिति के सदस्य राधाकृष्णन ने आरोप लगाया कि भारत में हाल के समय में अनुसूचित जाति के लोगों पर हमले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं इस देश में दलितों के अस्तित्व पर सवाल उठाती हैं।

राधाकृष्णन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ मैंने अपने अनुभवों का हवाला चेतावनी के तौर पर दिया ताकि ऐसे जातिवादी विचार केरल की मनोवृत्ति में ना आ सके। सामाजिक प्रगति की रक्षा की जा सके जिसे हमने अबतक हासिल किया है।’’

स्वयं अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले राधाकृष्णन ने कहा कि जातिवादी विचारों के अवशेष अब भी कुछ लोगों के दिमाग में हैं, लेकिन समाजिक प्रतिक्रिया के डर से वे उसे जाहिर नहीं करते।

मंत्री ने कहा, ‘‘अगर ऐसी सामाजिक प्रणाली केरल में फली-फूली तो जल्द ही हम वह खो देंगे जो अबतक हमने प्रगतिशील आंदोलन और वाम आंदोलन से प्राप्त किया है।’’

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जातीय आधार पर अत्याचार की खबरों ने उन्हें मंत्री के तौर पर हुए अनुभवों को याद करने के लिए प्रेरित किया।

राधाकृष्णन ने सोमवार को आरोप लगाया कि मंदिर के दो पुजारियों ने दीया मुझे हाथ में देने के बजाय जमीन पर रख दिया और वहां से मुझे उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि वह मंदिर के उद्घाटन पर गए थे और पारंपरिक रूप से उद्घाटन के तौर पर दीप प्रज्वलन होता है।

मंत्री ने आरोप लगाया कि मंदिर के दो पुजारियों ने खुद मुख्य दीपक को छोटे दीपक से जलाया और उसके बाद छोटे दीपक को उनकी बारी आने पर जमीन पर रख दिया ।

मंत्री के आरोपों का खंडन करते हुए पुजारियों के संगठन ने दावा किया कि राधाकृष्णन के साथ अपृश्यता का आरोप परंपराओं के प्रति ‘गलतफहमी’ की वजह से है और मंदिर में किसी के साथ भेदभाव नहीं होता।

अखिल केरल तंत्री समाजम की राज्य समिति ने कहा कि पुजारी ‘देव पूजा’ और अनुष्ठान पूरा होने से पहले किसी को स्पर्श नहीं करते फिर चाहे वह ब्राह्मण हो या गैर ब्राह्मण।

भाषा धीरज संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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