scorecardresearch
Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशइंटरनेट कटने के बावजूद पाकिस्तान कैसे कर रहा है जम्मू कश्मीर में फर्ज़ी वीडियो का प्रसार

इंटरनेट कटने के बावजूद पाकिस्तान कैसे कर रहा है जम्मू कश्मीर में फर्ज़ी वीडियो का प्रसार

भारत सरकार ने घाटी में टेलीफोन और इंटरनेट नेटवर्क को पूरी तरह से बंद कर रखा है, लेकिन लोगों को पास इस बंदी में संचार करने के कई तरीके हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: घाटी में इंटरनेट बंद होने के बावजूद पाकिस्तान से कश्मीर के फर्जी वीडियो जारी किए जा रहे हैं, क्योंकि अलगाववादियों के साथ ही स्थानीय आतंकवादियों के साथ उनका संचार चैनल विभिन्न ऑफलाइन एप्स और उच्च-एनक्रिप्टेड एनॉनमस चैट प्लेटफार्म टॉर के माध्यम से खुला है, जो जम्मू और कश्मीर से सुरक्षा एजेंसिंयों और अधिकारियों के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं. टॉर दुनिया भर के आंतकवादियों के नेटवर्क और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों में लोकप्रिय है. टॉर लोगों के लोकेशन की जानकारी लेने या उनकी ब्राउसिंग आदतों की जासूसी करने से रोकता है.

यह विंडोज, मैक, लिनक्स और एंड्रायड के लिए उपलब्ध है. टॉर का प्रयोग प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा करने में किया जाता है, क्योंकि इसमें सरकार के साइबर सेल से पकड़े जाने का खतरा नहीं होता है. यह वेबसाइटों का विजिट करने पर थर्ड पार्टी ट्रैकर्स और एड को यूजर्स तक पहुंचने नहीं देता है.

भारत सरकार ने घाटी में टेलीफोन और इंटरनेट नेटवर्क को पूरी तरह से बंद कर रखा है, लेकिन लोगों को पास इस बंदी में संचार करने के कई तरीके हैं.

चिंताजनक बात यह है कि ‘ऑफ-द-ग्रिड’ एप से लोग एक-दूसरे से बिना मोबाइल नेटवर्क के वाईफाई या ब्लूटूथ के माध्यम से 100-200 मीटर की रेंज में संपर्क कर सकते हैं. यह आईओएस और एंड्रायड के लिए उपलब्ध वॉकीटॉकी एप जैसा ही है.

यह फेसबुक या वाट्सएप की तरह है, लेकिन इसमें केंद्रीय सर्वर नहीं है और मेश नेटवर्क चैट की तरह काम करता है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

डब्ल्यूडब्लयूडब्ल्यू गीकोएंडफ्लाई डॉट कॉम की रिपोर्ट में कहा गया, ‘मेश नेटवर्क तभी काम करता है, जब दो या अधिक स्मार्टफोन्स एक दूसरे की रेंज में होते हैं. यह दूरी या कवरेज स्मार्टफोन के सिग्नल की मजबूती पर निर्भर करता है. यह एक से दूसरे मॉडल में अलग-अलग हो सकता है, जो कि सामान्यत: दो स्मार्टफोन्स के बीच 100 फीट होती है.’

फायरचैट एक और नवीनतम एप है, जो यूजर्स को बिना इंटरनेट या मोबाइल कवरेज के आपस में संचार करने में सक्षम बनाती है. यह लोगों को एक दूसरे से जोड़कर दुनिया के किसी भी हिस्से में संचार करने में सक्षम बनाती है.

यह एप ब्लूटूथ के माध्यम से नजदीकी फोन्स को जोड़ता है, जिन्होंने एप इंस्टाल कर रखा है. इससे लोग आसानी से निजी फोन कॉल कर सकते हैं, टेक्स्ट मैसेज भेज सकते हैं और फाइलों को भी साझा कर सकते हैं.

सिग्नल ऑफलाइन मैसेंजर ऐसा ही एक वाईफाई डायरेक्ट आधारित एप है, जिससे लोग इंटरनेट या नेटवर्क के बिना 100 मीटर की दूरी तक संपर्क कर सकते हैं.

वोजर एप एक फोन से सीधे दूसरे फोन में एनक्रिप्टेड मैसेज डिलिवर करता है. इस एप की मदद से लोग पहाड़ों या उन स्थानों में कनेक्टेड हो सकते हैं, जहां किसी तरह का मोबाइल कवरेज नहीं है.

‘सिफॉन’ एक ऐसा ही एप है, जो लोगों को कंटेंट फिल्टरिंग प्रणाली से बचाता है. यह एक ओपन सोर्स वेब प्रॉक्सी है.

ऐसे एप्स और निजी गेटवेज का दुनिया भर में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है.

एनक्रिप्टेड मैसेंजिंग एप टेलीग्राम भारत में काफी लोकप्रिय है. इस एप का नया अपडेट जल्द जारी हो रहा है, जो हांगकांग के प्रदर्शनकारियों को अपना फोन नंबर छुपाने में सक्षम बनाएगा. इससे वे बिना किसी खतरे से आपस में संपर्क करने में सक्षम होंगे.

इसके कारण घाटी में सुरक्षा अधिकारियों को आतंकवादियों और अलगाववादियों के नेटवर्क को तोड़ने में परेशानी हो रही है.

share & View comments